Bihar : वीरपुर, कटिहार एवं समस्तीपुर प्रक्षेत्र के अभियंताओं का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम, विभागीय मंत्री विजय कुमार चौधरी ने किया उद्घाटन


पटना। जल संसाधन विभाग द्वारा “बाढ़ संघर्षात्मक कार्य एवं पूर्ववर्ती अनुभवों से सीख” (Flood Fighting Works and Learning from Previous Floods) विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ आज पटना स्थित ज्ञान भवन में हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन माननीय जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी एवं विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। स्वागत भाषण अभियंता प्रमुख (बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण) शरद कुमार ने दिया।
इस प्रशिक्षण का उद्देश्य विभागीय अभियंताओं को बाढ़ प्रबंधन से संबंधित पूर्व अनुभवों और नवीनतम तकनीकों के आधार पर क्रियान्वयन, समन्वय एवं नेतृत्व कौशल में दक्ष बनाना है। कार्यक्रम के पहले दिन वीरपुर, कटिहार एवं समस्तीपुर प्रक्षेत्र के तकरीबन 550 अभियंताओं को प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम के दौरान आज बाढ़ नियंत्रण से संबंधित एसओपी, आदेश, गश्ती निर्देशिका, बाढ़ सामग्री की उपलब्धता, पूर्व-तैयारी एवं बाढ़कालीन रणनीतियों, तटबंधों की सुरक्षा हेतु टीम निर्माण, गैर-संरचनात्मक उपायों तथा विश्व बैंक द्वारा सुझाए गए बाढ़ प्रबंधन अनुभवों पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया।
इस अवसर पर मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि बाढ़ जैसे चुनौतीपूर्ण विषय पर इस प्रकार का प्रशिक्षण अत्यंत सराहनीय प्रयास है। इस तरह के कार्यक्रम की अपनी महत्ता व प्रांसगिकता होती है। बीते दिन ही विभिन्न बाढ़ परिक्षेत्रों की योजानाओं की समीक्षा हुई थी। मॉनसून काल विभाग के लिए परीक्षा की घड़ी है, इसमें सभी अधिकारी पूर्ण निष्ठा और सजगता के साथ कार्य करें। बाढ़ जैसी आपदा के समय में सामुदायिक प्रयास की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। सामुदायिक प्रयास के लिए जन-विश्वास होना जरूरी है। साथ ही विभाग के अधिकारी के साथ ही स्थानीय लोगों का प्रयास आवश्यक हो जाता है। उन्होंने कहा कि स्थानीय जनता के साथ विश्वासपूर्ण संबंध बनाने का काम समय से पूर्व स्थल निरीक्षण और तत्पर कार्यशैली से ही अर्जित किया जा सकता है। तटबंधों की नियमित निगरानी और बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यों को लेकर आपकी सजगता से स्थानीय लोगों में आपके काम के प्रति विश्वास कायम होगा।
इस बार मॉनसून से पूर्व सभी कार्यों को गुणवत्तापूर्ण ढंग से निर्धारित समय से पहले पूरा किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि तटबंधों की सुरक्षा हेतु संवेदनशील स्थलों का निरंतर निरीक्षण किया जाए और ऐसा कोई भी बिंदु शेष न रहे जहाँ विभागीय अधिकारी न पहुंचे हों। सभी अधिकारी अपने-अपने स्तर पर नियमित निरीक्षण करते रहें ताकि अधिकांश प्रतिशत समस्याओं का समाधान पहले ही सुनिश्चित हो सके।
इस अवसर पर प्रधान सचि संतोष कुमार मल्ल ने अपने संबोधन में कहा कि इस वर्ष मॉनसून के समय से पूर्व आगमन की संभावना है, जिससे विभाग की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। उन्होंने अधिकारियों को लगातार सतर्क रहकर तटबंधों की निगरानी करने और रैट होल्स, साहिल होल्स एवं फॉक्स होल्स जैसे कमजोरियों को चिन्हित कर त्वरित मरम्मति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। साथ ही, उन्होंने आगामी पाँच महीनों तक बाढ़ सुरक्षा कार्यों को पूरी गंभीरता व तत्परता के साथ संचालित करने पर बल दिया। उन्होंने विशेष जोर देते हुए कहा कि बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने से पूर्व कर ली गई पूरी तैयारी से बाढ़ के जोखिम को न्यूनतम किया जा सकता है। सभी स्तर के अधिकारी व पदाधिकारी अपने-अपने स्तर पर लगतार स्थल निरीक्षण करते रहें। किसी भी स्तर पर कोई त्रुटि की गुंजाईश नहीं होनी चाहिए।
कार्यक्रम में विभाग के अपर सचिव नवीन, अपर सचिव पवन कुमार सिन्हा, अभियंता प्रमुख (मुख्यालय) शरद कुमार, अभियंता प्रमुख (सिंचाई सृजन) अवधेश कुमार, सलाहकार (नितिगत मामले) रविंद्र कुमार शंकर, वाल्मी शासी पर्षद के परामर्शी अध्यक्ष ईश्वर चंद्र ठाकुर, माननीय मंत्री के आप्त सचिव ज्ञानेंद्र कुमार, मुख्य अभियंता (योजना एवं मॉनिटरिंग) ब्रजेश मोहन सहित बाढ़ प्रक्षेत्रों के मुख्य अभियंता एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।