तिल की सौंधी खुशबू से महक रहा बाजार : हजारीबाग के बड़कागांव के कारीगर से गुलजार हुआ रामगढ़ का तिलकुट का कारोबार

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रामगढ़: गया के बाद झारखंड में रामगढ़ जिला तिलकुट कारोबार में धीरे-धीरे एक नया मुकाम की ओर बढ़ रहा है.इसकी वजह हजारीबाग जिले के बड़कागांव चेपा कला के हुनरमंद कारीगर है जो अपने हाथों से बने तिलकुट कारोबार को पिछले दो दशक में एक करोड़ के कारोबार में तब्दील कर चुके हैं.

जिले के लोहा टोला में सड़क किनारे स्थित विभिन्न दुकानों से तिलकुट की महक और कारोबार से बाजार गुलजार है. साधारण दिखने वाला या कारोबार पर अगर प्रकाश डालें तो एक दुकान में2महीने के अंदर80से90क्विंटल तिलकुट बनाए जाते हैं. इस तरह सिर्फ रामगढ़ में2महीने के अंदर लगभग80से90क्विंटल का तिलकुट कारोबार होता है. जिस वजह से पिछले दो दशक में यह कारोबार लगभग एक करोड़ के आसपास पहुंच चुका है. इससे जुड़े व्यवसाई बढ़न साव बताते हैं कि दो दशक पूर्व तक गया से यहां तिलकुट आया करता था. लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं पड़ती. इसकी सबसे बड़ी वजह हजारीबाग जिले के बड़कागांव के चेपा कला के कारीगर है.

बताया जाता है कि करीब दो दशक पूर्व बड़कागांव के चेपाकला के दर्जनों मजदूर गया से तिलकुट बनाने की कारीगरी सीख कर यहां आए थे. अब धीरे-धीरे उस क्षेत्र में यह उनका पुश्तैनी कारोबार बन गया है. सीजन में इस क्षेत्र के कारीगर राज्य के विभिन्न हिस्सों में जाकर तिलकुट बनाने का काम करते हैं. यही वजह है कि रामगढ़ में दो दर्जन से ज्यादा दुकान जहां तिलकुट बनाया जा रहा है. लगभग सभी जगहों में यही के कारीगर हैं.


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