BIHAR NEWS : पुल बना, पर नहीं बना एप्रोच पथ- खेत में खड़ा पुल बना सवाल, उपयोगिता पर उठे प्रश्न

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The bridge was built, but the approach path was not. The bridge standing in the field became a matter of concern, raising questions about its utility. The bridge was built, but the approach path was not. The bridge standing in the field became a matter of concern, raising questions about its utility.

कटिहार:-बिहार के कटिहार जिले के डंडखोरा प्रखंड स्थित महेशपुर पंचायत के पसंटा गांव में प्रधानमंत्री ग्राम संपर्क योजना के तहत बना पुल अब सुर्खियों में है। लगभग चार वर्ष बीत जाने के बाद भी पुल को मुख्य सड़क से जोड़ने वाला एप्रोच पथ नहीं बन सका है। नतीजा यह है कि खेत के बीच खड़ा यह पुल आज तक उपयोग में नहीं आ पाया है और इसकी उपयोगिता पर ही सवाल उठने लगे हैं।

जानकारी के अनुसार, इस पुल का निर्माण कार्य3सितंबर2020को प्रारंभ हुआ था और इसे2सितंबर2021तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लगभग दस हजार की आबादी वाले एक दर्जन से अधिक गांवों के लोगों को उम्मीद थी कि पुल बनने के बाद वे आसानी से जिला मुख्यालय तक पहुंच सकेंगे। लेकिन पुल निर्माण के चार साल बाद भी निजी जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी, जिसके कारण एप्रोच पथ का निर्माण कार्य अधूरा रह गया है।


स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पुल से जुड़ा हुआ अधिकांश कार्य पूरा हो चुका है। लेकिन एप्रोच पथ का एक पाया (पिलर) निजी जमीन पर बना था, जिसके लिए बिना अधिग्रहण के ही डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार कर ली गई थी। नतीजतन, पुल तो बन गया लेकिन सड़क से जुड़ाव न होने के कारण यह पुल ‘खेत में बना सफेद हाथी’ बनकर रह गया है।

इस अधूरी विकास परियोजना को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी है। लोगों का कहना है कि करोड़ों की लागत से बना यह पुल अगर उपयोग में नहीं आ पाया, तो यह सरकार की विकास योजनाओं पर सवाल खड़ा करता है।

कटिहार के जिलाधिकारी मनेश कुमार मीणा ने इस मामले में बताया कि-फिलहाल आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण नए निर्माण कार्य की अनुमति नहीं दी जा सकती।लेकिन यह मामला पुराना है, इसलिए इसकी जांच करवाकर उचित निर्णय लिया जाएगा।अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पुल बनने के चार साल बाद भी अप्रोच पथ नहीं बनने के पीछे की जिम्मेदारी किसकी है। जांच के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि इस अधूरे विकास कार्य के ‘खलनायक’ कौन हैं।

कटिहार से रितेश रंजन की रिपोर्ट