तथागत अवतार तुलसी : 9 साल में मैट्रिक..12 साल में M.sc करने वाला आज बेरोजगार, नोबल का था ख्वाब लेकिन बदले में मिल रहे मां के आंसू

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 Tathagat Tulsi who became a professor at the age of 21 is unemployed today  Tathagat Tulsi who became a professor at the age of 21 is unemployed today

NEWS DESK :गणित के बड़े-बड़े समीकरण पलक झपकते ही हल कर देने वाले बिहार के विलक्षण प्रतिभा के धनी तथागत अवतार तुलसी एकबार फिर सुर्खियों में हैं लेकिन इस बार वे किसी रिसर्च या क्वांटम कंप्यूटर को लेकर नहीं बल्कि बेरोजगारी और अवसाद की वजह से चर्चा में हैं।


परेशानियों से जूझ रहे हैं तथागत तुलसी

बचपन में खिलौनों की जगह गणित के बड़े-बड़े प्रश्नों को खेलते हुए सॉल्व करने वाले तथागत अवतार तुलसी अब अपनी जिंदगी से ही परेशान है। बकौल तथागत, छोटी-सी उम्र में अपनी प्रतिभा से दुनिया में नाम कमाने वाला आज सम्मानजनक नौकरी नहीं पाने से दुखी है। आज की तारीख़ में उनके पास न तो सेविंग्स हैं और नहीं घर। तथागत तुलसी कहते हैं कि पढ़ाई में तेज होने का फायदा हुआ या फिर नुकसान, समझ नहीं पा रहा।

बचपन खोने और जिंदगी न जीने का अफसोस

9 साल की उम्र में मैट्रिक पास और 12 साल की उम्र में B.sc और M.sc करने वाले तथागत अवतार तुलसी के चेहरे पर बचपन को खोने और जिंदगी न जीने का अफसोस साफ तौर पर दिखता है। अब पुरानी बातों को याद करते हुए वे दुखी हो जाते हैं। बाल चमत्कार से पॉपुलर तथागत कहते हैं कि "क्लास के बच्चे मेरे से उम्र में बड़े थे, इस वजह से स्कूल में कोई दोस्त नहीं था। इन सब चीजों से दुखी रहता था।

बेरोजगार हैं तथागत तुलसी

तथागत तुलसी की माने तो वे IIT बॉम्बे में असिस्टेंट प्रोफेसर थे लेकिन अब 2019 से बेरोजगार हैं। उनकी माने तो जुलाई 2010 में IIT बॉम्बे में फिजिक्स के प्रोफेसर के तौर पर नौकरी शुरू की। 2013 से समंदर की हवा से एलर्जी की शिकायत होने लगी। इस वजह से मुंबई छोड़ना पड़ा। चार साल छुट्टी पर रहा। उसके बाद भी मुंबई नहीं जा सका, जिसके बाद 31 जुलाई 2019 को IIT बॉम्बे ने नौकरी से निकाल दिया।

तथागत तुलसी बताते हैं कि मेरा रिसर्च वर्क नहीं हो सका। मैं नोबेल प्राइज जीतने की सोच रहा था और घर आकर बैठ गया। इस बारे में मैंने कोविड के दौरान राष्ट्रपति जी को चिट्ठी लिखी। उन्होंने उसे खारिज कर दी।

जब पे बैक का आया वक्त तो मां..

पता है दुख मुझे सिर्फ नौकरी जाने का नहीं होता। इस बात का भी होता है कि मैंने बचपन में प्रसिद्धि पा ली। पढ़ने और देश के लिए कुछ करने के लिए मां-बाप से दूर हो गया। आज जब पे बैक का वक्त आया है तो मैं अपनी मां को रोते हुए देखता हूं। उनका 35 साल का ब्रिलिएंट लड़का बेरोजगार है। उसके पास न सेविंग्स है, न घर और न ही सम्मानजनक नौकरी।

ठगा हुआ कर रहे हैं महसूस

मैं खुद भी आज ठगा हुआ महसूस करता हूं। पढ़ाई में तेज होने का फायदा हुआ या नुकसान, समझ नहीं पा रहा। हर दिन सिर्फ इसी रिग्रेट में गुजरता है कि काश! फिजिक्स में कुछ कर लेता। देश के लिए कुछ नहीं कर पाया। रिसर्च नहीं कर पाया। नोबेल नहीं ला पाया।

नोबल प्राइज जीतने का है ख्वाब

तथागत तुलसी ये भी कहते हैं कि "मैंने अपना सारा बचपन फिजिक्स को दे दिया, इस उम्मीद में कि एक दिन मैं कोई बड़ा आविष्कार करूंगा और नोबेल प्राइज़ जीतूंगा। मैं देश का नाम रोशन करूंगा। अगर मैं कुछ नहीं कर पाया तो यह मेरे बचपन के साथ नाइंसाफ़ी होगी।"

विलक्षण प्रतिभा के धनी तथागत तुलसी की माने तो उन्होंने कई विदेशी संस्थानों में नौकरी और रिसर्च के लिए भी आवेदन भेजा लेकिन हर जगह से उन्हें निराशा ही हाथ लगी। हालांकि कुछ जगहों से पहले उन्हें ऑफ़र मिले थे। तथागत के मुताबिक़ सेहत की वजह से उनके करियर में एक बड़ा ब्रेक लग गया है।

अब लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं तथागत

बिहार की राजधानी पटना में 9 सितंबर 1987 को जन्मे तथागत तुलसी अब लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं ताकि खुद को नौकरी से हटाए जाने को अदालत में चुनौती दे सकें। क़ानून की किताबें पढ़ने के बाद उन्होंने इसका एक तरीका निकाला है, 'वर्चुअल ट्रांसफ़र' का यानी किसी भी जगह पर रहकर छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाने का।

तथागत का मानना है कि वो IIT दिल्ली जैसी अच्छी सुविधा वाले संस्थान से बच्चों को पढ़ा सकते हैं और वहीं पर अपना रिसर्च भी आगे बढ़ा सकते हैं। उनका कहना है कि "आईआईटी में आपको रिसर्च के लिए ज़्यादा समय मिल पाता है, बाक़ी जगहों पर बच्चों को पढ़ाने में ज़्यादा समय देना होता है। इसके अलावा वहां सुविधाएं भी ज़्यादा बेहतर हैं।"

बनाना चाहते हैं क्वांटम कंप्यूटर

तथागत तुलसी कहते हैं कि वे एक क्वांटम कंप्यूटर बनाना चाहते हैं। अगर इसमें सफल रहा तो इससे बहुत सारी समस्याएं हल हो सकती है, जिसकी दुनिया को ज़रूरत है। इसका कारोबार, रक्षा क्षेत्र और वैज्ञानिक शोध में बहुत उपयोगिता होगी।"

गौरतलब है कि तथागत अवतार तुलसी के पिता एक निजी संगठन में नौकरी करते थे, जो अब रिटायर्ड हो चुके हैं। सरकारी स्कूल में शिक्षिका रही उनकी मां भी अब सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। फिलहाल तथागत तुलसी आजकल फिजिक्स की किताबों से इतर लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं ताकि अपनी जिंदगी को पटरी पर ला सकें।