सोनपुर मेला में नहीं पहुंचा कोई विदेशी पर्यटक : 'पर्यटक ग्राम' को अब भी इंतजार, कभी गंगा स्नान के दिन से लगती थी भीड़
SONEPUR :मोक्षदायिनी गंगा और गंडक नदी के संगम और बिहार के सारण और वैशाली जिले के सीमा पर ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक महत्व वाले सोनपुर क्षेत्र में लगने वाला सोनपुर मेला बिहार के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है। हालांकि एक वक्त था कि जब देश-विदेश में चर्चित इस मेले के देखने के लिए दूर-दूर से विदेशी सैलानी यहां पहुंचते थे लेकिन इस बार मेला विदेशी पर्यटकों के लिए अभी तक तरस रहा है।
विश्व प्रसिद्ध एशिया का सबसे बड़े मेला सोनपुर मेले में एक वक्त विदेशी पर्यटकों की भीड़ लगती थी। मेला के पहले दिन से ही 'पर्यटक ग्राम' में विदेशी पर्यटकों की भीड़ जुटती थी लेकिन इस बार मेला के छह दिन बीत जाने के बाद भी अब तक एक भी विदेशी पर्यटक मेला देखने नही पहुंचा है।कभी सोनपुर मेला में विदेशी पर्यटक गंगा स्नान के वक्त से ही सोनपुर पहुंच जाते थे। मगर इस बार एक भी विदेशी पर्यटक मेला घूमने नही पहुंचे है।
विदेशी पर्यटकों के रात्रि विश्राम के लिये बनाए गये पर्यटक ग्राम के अंदर एक भी कॉटेज विदेशी पर्यटक ने बुक नही कराया है। पर्यटक ग्राम पूरी तरह सजधज कर तैयार है।मगर इस ग्राम में ठहरने वाले मेहमान विदेशी नही है बल्कि बिहार के है।शायद कोरोना का डर इस मेला में विदेशी पर्यटकों का अब तक नही आना कारण हो सकता है।हालांकि पशु मेला के तौर पर चर्चित रहे इस मेले में अब ज्यादातर पशुओं की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है ऐसे में अब इस मेले का क्रेज अब कम होता नजर आ रहा है।
बता दें कि मेले में हर बार विदेशी पर्यटकों के लिए पर्यटन विकास निगम की ओर से बनाया जाने वाला स्विस कॉटेज आकर्षण का केंद्र होता है।स्विस कॉटेज में रुकने के लिए पहले सप्ताह में छह नवंबर से 12 नवंबर के बीच छह हजार रुपये प्रतिदिन का रेट है। वहीं 13 नवंबर से 19 नवंबर तक स्विस कॉटेज में ठहरने के लिए चार हजार रुपये प्रतिदिन का रेट है। वहीं 20 नवंबर से 26 नवंबर तक 2500 रुपये एक दिन का रेट है। चौथे सप्ताह में 27 नवंबर से सात दिसंबर तक 1500 रुपये प्रतिदिन का रेट है। पर्यटन विकास निगम की ओर से दस प्रतिशत डिस्काउंट दिया जा रहा है उसके बाद जीएसटी भी देना होगा।
हाजीपुर से पंकज चौहान की रिपोर्ट ...