यूपी चुनाव का बिहार में दिख रहा साईड इफ़ेक्ट : एनडीए में बढ़ी खींचतान, सहयोगी दल कितने दूर कितने पास
PATNA : मुकेश सहनी के ताज़ा बयान सुनने के बाद आपको ज़्यादा समझाने की ज़रुरत नहीं है,आप खुद समझ गए होंगे की वीआईपी प्रमुख अपने वीआईपी बयान यानि वेरी इम्पोर्टेन्ट बयान से क्या सन्देश देना चाहते है.यदि इस महत्वपूर्ण वक्तव्य की व्याख्या की जाये तो साफ़ पता चलता है की एनडीए में इन दिनों किस तरह खीचतान चल रही है,एनडीए है तो सबको मिलकर रहना है यानि चुनाव सब मिल कर लड़ेंगे अगर अलग लड़ेंगे तो एनडीए नहीं है. इतना ही नहीं वीआईपी के मुखिया सीटें नहीं मिलने पर सभी सीटों पर अपनी तैयारी की बात कहते है.संकेत साफ़ है की मुकेश सहनी इस बार बैकफुट पर आने के मूड में नहीं दिख रहे हालांकि पहले एनडीए में अपनी हक़ की बात करना और अगले ही पल एनडीए की प्रगाढ़ एकता की गाथा सुनाना ये सोचने पर मजबूर कर देगा कि वीआईपी के मुखिया किस तरह की प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे है.हालांकि बीजेपी ने पहले ही वीआई के मांग पर रुख स्पष्ट कर दिया है.
ये तो हुई एनडीए के एक सहयोगी की बात अन्य सहयोगी भी विधान परिषद् चुनाव को लेकर अपनी इच्छा का इज़हार कर चुके है हम पहले ही दो सीटों की मांग कर चुकी है लोजपा राष्ट्रीय की ओर से भी पहले पशुपति पारस और अब प्रिंस राज ने अपनी मांग रख दी है. हालांकि जदयू के की ओर से पहले ही 50 -50 फार्मूले की मांग उठी जिस पर बीजेपी ने 13 सीटों पर अपनी दावेदारी के संकेत दिए.
उतर प्रदेश विधान सभा चुनाव का साइड इफ़ेक्ट बिहार में साफ़ तौर पर दिख रहा है,एक ओर जदयू बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर हां हां करते ना हो जाना और जदयू का 51 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा करना वहीं दूसरी ओर शुरुआत से ही वीएआईपी का यूपी में बीजेपी के आमने सामने होना एनडीए के सेहत के हिसाब से सही नहीं है,ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा की सियासी खींचतान के बावजूद एनडीए में अटूट एकता की बात करने वाले सियासी दिग्गजों की बात कितनी सच साबित होती है।
अमित सिंह की रिपोर्ट ...