प्रसिद्ध त्रिमुहानी संगम पर मेला की हुई शुरूआत : कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
समस्तीपुर के रोसड़ा और खानपुर प्रखंड के सीमांचल स्थित बूढ़ी गंडक बागमती नदी के तीन धाराओं के संगम में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है । ग्रामीणों के सहयोग से उक्त स्थल पर आज से चलने वाले लगातार एक महीने तक मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला सैकड़ो वर्षो से तिरमोहानी मेला के नाम से प्रसिद्ध है। नदी में स्नान के बाद लोग नदी किनारे स्थित शिव पार्वती मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं।
इधर त्रिमुहानी मेले में लकड़ियों के अलग-अलग सामान के साथ कई तरह की दुकानें लगाई जाती है। जिसमें आगामी 1 महीने तक लोग आकर मेला का आनंद उठाते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि यह त्रिमुहानी मेला पिछले सैकड़ों वर्षो से लगती आयी है। लोग इस नदी के संगम में स्नान को गंगा स्नान का दर्जा दिया गया है। लोग बताते हैं कि इस संगम में स्नान करने के बाद गंगा स्नान के बराबर फल की प्राप्ति होती है।
इस मेले में घरेलू उपयोग करने वाले लकड़ी के सभी सामानों की दुकाने लगाई जाती है। जिसमें ओखली मूसल, चोकला बेलन दलघटनी पीडिया,चौकी सहित विभिन्न तरह की फर्नीचर की खरीदारी लोग किया करते हैं। वही मनोरंजन के लिए कटघोरा का खेल मीना बाजार झूला सहित कई तरह के दुकानें सजाई गई जिसे देखने समस्तीपुर सहित आसपास के कई जिले के लोग आया करते हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि ग्रामीणों के सहयोग से यह मेला संपन्न कराया जाता है।
बरसों बरसों से चली आ रही इस मेले में अब तक किसी भी स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधियों का सहयोग नहीं मिल पाया है। जिसके कारण यह मेला प्रसिद्ध नहीं हो पाया है लेकिन क्षेत्र के लोग पिछले 17 वर्षों से इस संगम स्थल पर पहुंचकर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर स्नान दान पुण्य एवं मुंडन कर मेले का आनंद उठाते आ रहे हैं। स्थानीय जिला प्रशासन के द्वारा मेले में सहयोग किया जाता है तो यह जिले का सबसे बड़ा मेला स्थल माना जाएगा।
समस्तीपुर जिले में प्रसिद्ध त्रिमुहानी मेला में क्षेत्र के हजारों की पुरुष महिला की संख्या भीड़ जुटी हुई थी। मेले में लगाए गए दुकानदारों ने बताया कि इस बार महंगाई के कारण खरीदारी कम हो रही है लेकिन लोग उत्साह के साथ त्रिमुहानी मेला में पहुंच रहे हैं। वही इस त्रिमुहानी मेला में लोग सोनपुर मेला की तरह ही लोग दूर दूर से आकर मेला देखने आते है।
रंजीत मिश्रा की रिपोर्ट