नई नियोजन नीति पर विरोध : आज राज्य भर के युवा कर रहे डिजिटल स्ट्राइक, 2021 में लाई गई नियोजन नीति को हाईकोर्ट ने किया था निरस्त

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रांची : नियोजन नीति के विरोध में आज राज्य भर के युवा डिजिटल स्ट्राइक कर रहे हैं. ट्विटर कैंपेन चला कर युवा अपना विरोध जता रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2021 में लाई गई नियोजन नीति को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था. इसमें झारखंड राज्य से 10वीं और 12वीं पास करने की बाध्यता थी. नियोजन नीति निरस्त होने के बाद राज्य सरकार ने युवाओं से सलाह लेने के बाद कहा कि पुरानी नियोजन नीति को संशोधन के साथ लागू करेंगे. जो नियोजन नीति 2016 से पहले लाई गई थी उसे लागू करेंगे.


बता दें कि2016में लाई गई नियोजन नीति में60:40के अनुपात को आधार बनाया गया था. इसके तहत झारखंड के स्थानीय आदिवासी मूलवासियों के लिए 60 प्रतिशत सीट आरक्षित की गई. जबकि40फ़ीसदी सीट ओपन टू ऑल की गई है.

छात्र नेताओं ने राज्य सरकार से मांग की है कि आप नई नियोजन नीति बनाएं ना कि पुराने वाले नियोजन नीति को लागू करें.नई नियोजन नीति ऐसी बननी चाहिए जिससे यहां के स्थानीय मूलवासी छात्र-छात्राओं को इसका लाभ हो सके.


वहीं इस पूरे मामले पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सह रांची महानगर अध्यक्ष कुमार राजा ने कहा कि सरकार जिस नियोजन नीति को लेकर आ रही है उस नियोजन नीति को बनाने के दौरान झारखंड के लाखों युवाओं से सरकार में राय लेने के उपरांत ही बनाई है. युवाओं को समझना होगा कि उनके ही द्वारा दिए गए राय के अनुरूप सरकार काम कर रही है. सरकार युवाओं की है. यहां के आदिवासियों की मूलवासियों की है.

वहीं नियोजन नीति को लेकर सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि हमारी सरकार में अधिक से अधिक यानी लाखों युवाओं से राय लेकर नियोजन नीति लाई है. यह जो युवा विरोध कर रहे हैं. वे दिग्भ्रमित हैं. विपक्षी के कहने पर यह विरोध जता रहे हैं. हमारे पास अधिक से अधिक युवाओं का समर्थन है. कुछ युवाओं के विरोध करने से हमें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.

वहीं प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा ने युवाओं का समर्थन करते हुए कहा है कि आज युवा अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है. उन्हें उम्मीद थी कि सरकार1932आधारित नियोजन नीति लाएगी. सरकार नहीं लाई. उनका कहना था कि हम प्रत्येक वर्ष500000युवाओं को नौकरी देंगे. वो नहीं दे पाई. वहीं सरकार द्वारा आदिवासी मूल निवासियों को यहां किसी और डी ग्रेड में नौकरी दिलाएंगे. वह भी सरकार नहीं कर पाए तो ऐसे में आज युवा अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं. मुख्यमंत्री आदिवासी मूलवासी का मतलब सिर्फ सोरेन परिवार समझते हैं.


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