घर पर 60 से 70 नक्सलियों का हमला : पुलिस मुखबिरी में पिता-पुत्र की हत्या, चंद मिनटों ने बचाई 'विधायक' की जान

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Naxalites attack on house in Chatra, father and son shot dead after police informant Naxalites attack on house in Chatra, father and son shot dead after police informant

चतरा:चतरा में लोकसभा चुनाव समाप्त होते ही प्रतिबंधित टीएसपीसी नक्सलियों ने बड़ी घटना को अंजाम दिया है. उग्रवादियों के विरुद्ध मोर्चा खोलने वाले हिम्मती पिता-पुत्र की हत्या कर पुलिस को खुली चुनौती पेश कर दी है. पुलिस का साथ देने की किम्मत पंकज बिरहोर और उसके पिता को जान देकर चुकानी पड़ी है. घटना कुंदा थाना क्षेत्र के घोर नक्सल प्रभावित हिंदियाकला गांव में घटी है. दस्ते के साथ हथियारबंद नक्सलियों ने शनिवार की रात हिंदियाकला गांव में पहुंचकर पिता-पुत्र को अपने कब्जे में लेकर पहले उनकी बेरहमी से पिटाई की फिर गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया. दो लोगों की नक्सल हत्या से इलाके में सनसनी है. ग्रामीण दहशत में हैं. मृतक विलुप्तप्राय बिरहोर जाती के थे. घटना के करीब 12 घंटे के बाद भी पुलिस घटनास्थल पर नहीं पहुंची. पुलिस के अधिकारी ग्रामीण और पंचायत प्रतिनिधियों के सहयोग से मृतक पिता-पुत्र के शव को निजी वाहन से उठवाकर मौके से पांच किलोमीटर दूर पक्की सड़क पर मंगवा रही है. पुलिस के अधिकारी सुरक्षा कारणों से हिंदियाकला गांव नहीं पहुंच पाने की बात कर रहे हैं.

नक्सली मंटू को पकड़कर किया था पुलिस को सुपुर्द

बताते चले कि कुछ दिन पूर्व पंकज और उसके भाई विधायक बिरहोर ने टीएसपीसी के एक नक्सली मंटू गंझू को प्रधानमंत्री आवास योजना में लेवी मांगने के दौरान पकड़कर हथियार के साथ पुलिस के हवाले कर दिया था. घटना के बाद नक्सली का गुस्सा सातवें आसमान पर था. इसी का प्रतिशोध लेने के लिए नक्सलियों ने शनिवार की देर रात घटना को अंज़ाम दिया है.

घटना के 12 घंटे बाद भी हिंदियाकला नहीं पहुंची पुलिस

घटना की सूचना के करीब 12 घंटे के बाद पुलिस मौके पर नहीं पहुंची. घटनास्थल से करीब पांच किलोमीटर दूर बौरा गांव में रुककर एसपी सिमरिया एसडीपीओ अजय केशरी और अन्य पुलिस पदाधिकारी स्थिति का जायजा लेते नजर आए. पुलिस अधिकारियों ने मुख्यालय के निर्देश पर सुरक्षा कारणों से घटनास्थल पर नहीं पहुंचने की बात कही है. हालांकि मामले में जिले के वरीय पुलिस अधिकारी अभी कैमरे में कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं. एसपी विकास पांडेय ने इतना जरूर कहा है कि पिता-पुत्र की हत्या की घटना में संलिप्त नक्सलियों के धर-पकड़ को लेकर इलाके की घेराबंदी की जा रही है. हर हाल में नक्सलियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्हें किसी भी सूरत में बक्सा नहीं जाएगा. नक्सलियों के किस दस्ते ने घटना को अंजाम दिया है इसकी जांच की जा रही है.

बिरसा आवास योजना के नाम पर मांगी जा रही थी लेवी

मृतक के भाई विधायक बिरहोर ने बताया कि जिले के पूर्व उपायुक्त अबु इमरान कुछ दिन पूर्व गांव में आए थे. उस दौरान उन्होंने गांव में जरूरत के मुताबिक 10 बिरहोर परिवारों को बिरसा आवास दिया था. जिसका देखरेख मृतक और उसका भाई कर रहे थे. इसी दौरान टीएसपीसी के नक्सलियों के छह सदस्यों का दस्ता पूर्व में गांव में पहुंचा था और प्रति आवास दस हजार रुपये लेवी की मांग की जा रही थी. जिसका विरोध करते हुए पंकज और उसके भाई ने ग्रामीणों के सहयोग से दस्ते में शामिल हथियारबंद उग्रवादी मंटू गंझू को पड़कर हथियार के साथ पुलिस के हवाले कर दिया था. परिजनों के अनुसार नक्सलियों को गांव में लाने में गांव के ही सुदेश्वर यादव नामक शख्स ने भूमिका निभाई थी. जिसे पुलिस ने पड़कर जेल भेज दिया है.

मरते-मरते पंकज ने कर दी नक्सलियों की धुनाई

मृतक के भाई के अनुसार देर रात करीब 60 से 70 की संख्या में आए वर्दीधारी हथियारबंद टीएसपीसी नक्सली दस्ते ने पहले घर का दरवाजा खुलवाने के प्रयास किया. जिसके बाद जब घर मे सो रहे पंकज और उसके वृद्ध पिता ने दरवाजा नहीं खोला तो नक्सलियों ने तोड़ने का प्रयास किया. उसके बाद भी जब दरवाजा नहीं टूटा तो घर में लगे करकट सीट को तोड़कर ऊपर से घर मे बंद परिजनों पर ईंट, पत्थर और टांगी से हमला किया।. इसके बाद पंकज ने घर का दरवाजा खोलते हुए हाथ मे रखे टांगी से नक्सलियों पर धावा बोल दिया. इस दौरान उसने दस्ते में शामिल दो नक्सलियों की पिटाई भी कर दी. इसके बाद नक्सलियों ने पंकज को पड़कर पहले उसकी बेरहमी से पिटाई की और फिर घर के आंगन में ही उसे दो गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया. पंकज की हत्या के बाद नक्सली उसके भाई को ढूंढने लगे. जब भाई घर में नहीं मिला तो बौखलाए नक्सलियों ने घर के भीतर सो रहे पंकज के वृद्ध पिता को घसीट कर बाहर निकाला और ईंट, पत्थर और लोहे के रड से कूचकर उनकी भी निर्मम हत्या कर दी. हालांकि नक्सलियों के आने से चंद मिनट पूर्व ही पंकज का बड़ा भाई घर से खाना खाकर बाहर निकाला था, जिससे उसकी जान बच गई.

गांव में बने पुलिस पिकेट, नक्सलियों पर लगेगा लगाम

घटना के बाद मृतक के परिजनों ने गांव में पुलिस विकेट बनाने की मांग की है. कहा है कि इस गांव में पूर्व से ही विभिन्न नक्सली संगठनों का वर्चस्व रहा है. यह गांव प्रतापपुर और कुंदा प्रखंड मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर घोर जंगल में स्थित है. ऐसे में यहां नक्सल गतिविधि की सूचना पर जब तक पुलिस पहुंचती है तबतक नक्सली घटना को अंजाम देकर आराम से चलते बनते हैं. जिससे ग्रामीण दहशत में जीने को विवश है.

कालीचरण नहीं पहुंच सके हिंदियाकला, सुरक्षा कारणों से पुलिस ने रोका

इधर घटना की सूचना पाकर चतरा संसदीय क्षेत्र से भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी कालीचरण सिंह भी कुंदा पहुंचे. लेकिन पीड़ित परिवार से मिलने से पूर्व एसपी ने उन्हें सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए हिंदियाकला गांव जाने से रोक दिया. इसके बाद कालीचरण सिंह वापस लौट गए।

चतरा से कुमार चंदन की रिपोर्ट..