'नहीं चाहिए मुफ्त की सैलरी...' : बिहार यूनिवर्सिटी का रोचक मामला, कॉलेज प्रशासन में मचा हड़कंप
मुजफ्फरपुर : बिहार के एक यूनिवर्सिटी का बड़ा ही रोचक मामला सामने आ रहा है जहां एक प्रोफेसर ने क्लास नहीं मिलने पर अपनी एक - दो महीने ही नहीं पूरे 2 साल 9 महीने की पूरी सैलरी ही सरकार को वापस लौटा दी है। प्रोफसर के इस पहल पर कॉलेज प्रशासन में हड़कंप मच गया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बिना बच्चों को पढ़ाए वेतन लेना उन्हें गंवारा नहीं।
मामला बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित भीमराव आंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी का है जहां जिले के नीतीश्वर कॉलेज में हिंदी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ ललन कुमार ने एक - दो महीने ही नहीं पूरे 2 साल 9 महीने की पूरी सैलरी यानि कि 23 लाख से ज्यादा की राशि सरकार को वापस लौटा दी है। इस राशि को लौटाने की जो वजह सामने आई है। उसे जानने के बाद सभी लोग उनकी तारीफ कर रहे है।
प्रोफ़ेसर साहब ने बताया कि यह वेतन उन्हें तब मिला था जब कोरोना काल चल रहा था। इस दौरान दो साल नौ माह तक सभी कॉलेज बंद थे। ऐसे में वह बिना पढ़ाए वेतन लेना उन्हें गंवारा नहीं है। मंगलवार को जब बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. आरके ठाकुर से मिलकर यह राशि लौटाने पहुंचे थे, तो एक पल के लिए कुल सचिव भी हैरान रह गए और उन्होंने यह पैसे वापस लेने से इनकार कर दिया। लेकिन, जब प्रोफेसर ललन कुमार ने नौकरी से इस्तीफा देने की बात की, तो कुलसचिव को उनकी बात माननी पड़ी।
जिस किसी ने भी यह मामला सुना हैरान ही रह गया। बिहार में सरकारी स्कूलों और कॉलेजों के शिक्षक और प्रोफेसर को अक्सर हम सबने वेतन मिलने में देरी को लेकर धरना प्रदर्शन से लेकर हड़ताल पर जाते हुए देखा है। भले ही शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई की स्थिति कितनी भी खराब क्यू ना हो। लेकिन, इन सबके बीच कुछ लोग ऐसे लोग भी हैं, जो बिलकुल जुदा हैं।