51 साल में भारत रत्न समेत 75 से ज्यादा अवार्ड : पहले गाने की 25 रूपए की फ़ीस से 370 करोड़ तक का सफर :36 भाषाओँ में 50 हज़ार गाना गाने का है लताजी का कीर्तिमान
DESK:-लता मंगेशकर का जन्म 28 सितम्बर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था.दीनानाथ और शेवंती मंगेशकर के घर जमनी पहली लड़की का नाम हेमा रखा गया.मराठी ड्रामा कम्पनी चलने वाले पिता दीनानाथ नाटक ‘भाव बंधन’ के किरदार लतिका से इतने प्रभावित हुए की अपनी बेटी का नाम लता रख दिया.बचपन से ही गानों के प्रति लता जी का रुझान था.इनकी बचपन की कहानी भी रोचक है बताया जाता है की जीवन में लता दी सिर्फ दो दिन ही स्कूल गई,लेकिन ज्ञान अर्जन में कोई कमी नहीं हुई घर पर ही पिता ने अलग अलग भाषाएँ सिखाई और संगीत की सारी शिक्षा दीक्षा घर पर ही हुई.16 दिसंबर 1941 को लता दीदी पहली बार माइक के सामने थी और रेडियो के लिए गाना रिकॉर्ड हुआ और शुरू हो गया संगीत के 7 दशकों का सुहाना सफर.
लता जी जब 13 साल की थी तो पिता का साथ छूट गया और खेलने कूदने की उम्र में कंधो पर आ गई महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी,चार भाई बहनो की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी की वजह से लता जी ने हिंदी और मराठी फिल्मो में छोटे छोटे रोल निभाने शुरू कर दिए लेकिन उन्हें लग गया की वो एक्टिंग के लिए नहीं बानी है.लता जी के इंडस्ट्री में स्ट्रगल और एंट्री की कहानी भी अलग है.लता जी को पहली बार स्टेज पर गाना गाने के लिए महज 25 रूपए मिले थे.इन्होने 1942 में मराठी फिल्म पहली मंगलगौर में महज 13 साल की उम्र में गाना गया था.हिंदी फिल्मों में संगीतकार गुलाम हैदर ने लता जी को 18 साल की उम्र में पहला ब्रेक दिया था.फिल्म मजबूर के लिए 'अंग्रेजी छोरा चला गया' इन्होने गाया। लता जी अपने प्रोफेशन में भी वसूलों की पक्की थी ये कभी भी द्विअर्थी शब्द वाले गाने पसंद नहीं करती थी यही वजह थी की कई बार राइटर्स को गाने के बोल भी बदलने पड़ते थे.फिल्म संगम का गाना ‘का करू राम मुझे बुड्ढा मिल गया’ के लिए राजकपूर साहब से इनकी बहस हो गई और घंटो समझाने के बाद की इसमें कुछ गलत नहीं है,लता दी ने ये गाना गाया,लेकिन बाद में ये कहा की गाने को को मैंने मन से नहीं गाया.
33 साल की उम्र में लता जी की आवाज़ का जादू सर चढ़कर बोलने लगा और ये बन गई स्वर कोकिला.अपने करिअर के दौरान इन्होने कई सारे कीर्तिमान स्थापित किये कई अवार्ड से इन्हे नवाज़ा गया.51 साल में इन्हे 75 से ज़्यादा आवर्ड दिए गए जिनमे 7 बार फ़िल्मफ़ेयर पद्म भूषण पद्म विभूषण 1989 में दादासाहब फाल्के और 2001 में भारत का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न शामिल है. इसके अलावा इन्हे फिल्म एक दूजे के लिए, कोरा कागज,सरस्वतीचंद्र,पाकीजा,दो रास्ते,सहित कई फिल्मो के लिए ऑल बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का भी अवार्ड मिल चूका है। अपने गाने की पहली फ़ीस 25 रूपए लेने वाली 370 करोड़ की मालकिन बनी इन्हे गाने की रायल्टी से हर महीने 40 लाख रूपए आता है.92 साल के सफर में लता जी ने 36 भाषाओँ में 50 हज़ार गाने गाये जो किसी भी गायक के लिए एक रिकॉर्ड है.लता जी अब हम सब से जुदा हो गई लेकिन उनकी सुरमई संगीत जब जब लोग सुनेगे तो भारत रत्न लता दीदी के कीर्तिमान को ज़रूर याद करेंगे।कशिश न्यूज़ की तरफ से भी स्वर साम्राज्ञी को विनम्र श्रद्धांजलि।
रिपोर्ट-अमित सिंह