कोल्हान झारखंड की सत्ता की सीढ़ी : आगामी विधानसभा चुनाव में कोल्हान से 3-3 पूर्व सीएम उतरेंगे चुनावी दंगल में

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चाईबासा : आगामी विधानसभा का चुनाव कोल्हान प्रमंडल में काफी दिलचस्प होगा. कोल्हान से3-3पूर्व मुख्यमंत्री और1मुख्यमंत्री के चुनावी मैदान में उतरने की संभावना है. कोल्हान भाजपा और झामुमो दोनों के लिए सत्ता की सीढ़ी और सत्ता का केंद्र बिंदु बन गया है. कोल्हान झारखंड की राजनीति का हॉट केक बन गया है. कोल्हान हारे तो सत्ता गई,कोल्हान जीते तो झारखंड की सत्ता मिलेगी. विगत2014और2019के विधानसभा चुनाव में यही देखा गया है.2014के झारखंड विधानसभा चुनाव में कोल्हान के14सीटों में से12सीटों पर भाजपा ने चुनाव जीता था और झारखंड के सत्ता पर काबिज हुई थी.2019के चुनाव में कोल्हान के14विधानसभा सीटों में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया,भाजपा का खाता तक नहीं खुला.2019के चुनाव में झामुमो ने11कांग्रेस ने2और एक निर्दलीय सरयू राय ने चुनाव जीता था.

कोल्हान में भारी प्रचंड जीत दर्ज करने के बाद झारखंड राज्य में झामुमो की सरकार बनी. कोल्हान से झारखंड में अब तक पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा,मधु कोड़ा,सरायकेला से विधायक चंपाई सोरेन और जमशेदपुर से रघुवर दास मुख्यमंत्री बन चुके हैं. मगर रघुवर दास के मुख्यमंत्री रहते चुनाव हारने के और कोल्हान में पार्टी का सूपड़ा साफ होने,करारी हार के बाद,विधानसभा चुनाव में पार्टी नेताओं में आपसी गुटबाजी,अंतर कलह,विवाद को सुलझाने के लिए उन्हें ओड़िशा का राज्यपाल बनाकर झारखंड की सक्रिय राजनीति से अलग कर दिया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पर चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने पर रोक लगा रखी है. मधु कोड़ा ने चुनाव आयोग से चुनाव लड़ने की अनुमति देने का अनुरोध भी किया है.

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा जगन्नाथपुर विधानसभा अपने अभेद किला,गढ़ से अपनी पत्नी गीता कोड़ा को चुनाव लड़ाना चाहते हैं और खुद मझगांव विधानसभा या मनोहरपुर विधानसभा से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं. हालांकि चाईबासा में भी भाजपा के पास कोई जिताऊ उम्मीदवार नहीं है. इस लिहाज से चाईबासा से भी चुनाव लड़ने की राजनीतिक गलियारों में चर्चा होती रहती है. अब सब कुछ चुनाव आयोग पर निर्भर है कि मधुकोड़ा को चुनाव लड़ने की अनुमति देता है या नहीं. मधु कोड़ा के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई गई है. अगर चुनाव आयोग हटा लेता है तो मधु कोड़ा भी विधानसभा चुनाव में दमदार तरीके से उतरेंगे. मधु कोड़ा पूर्व में मझगांव विधानसभा से चुनाव भी लड़ चुके हैं और उनकी पत्नी जगन्नाथपुर से चुनाव लड़ रही थी. मगर भाजपा के गोलबंदी और जगन्नाथपुर में कोडा दंपति को हराने के लिए जी जान लगा देने के बाद मधु कोड़ा ने मझगांव विधानसभा से नामांकन करने के बाद चुनाव प्रचार छोड़ दिया और अपनी पूरी ताकत ऊर्जा जगन्नाथपुर में अपनी पत्नी गीता कोड़ा को चुनाव जीताने में झोंक दी थी और जगन्नाथपुर से जीताकर गीता कोड़ा को विधायक भी बनाने में कामयाब रहे थे.

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के भी चाईबासा से चुनाव लड़ने की लगातार राजनीति गलियारों में चर्चा होती रही है. खूंटी से लोकसभा चुनाव हारने के बाद अर्जुन मुंडा जो इस कोल्हान क्षेत्र के कद्दावर नेता हैं वह अपने परंपरागत खरसावां अथवा चाईबासा या चक्रधरपुर विधानसभा से भी चुनाव लड़ने की चर्चा हो रही है. पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा खरसावां से विधायक चुने गए थे और मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि मुख्यमंत्री रहते हुए झामुमो के दशरथ गागराई ने उन्हें हराया था. लगातार दो बार खरसावां से अर्जुन मुंडा चुनाव हार गए हैं. इसलिए मोदी कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री रहे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकसभा चुनाव हारने के बाद झारखंड की राजनीति में सक्रिय मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदारो में से एक अर्जुन मुंडा को सुरक्षित चाईबासा अथवा चक्रधरपुर से भी चुनाव लडाने की चर्चा पार्टी के अंदर खाने में चल रही है और उनकी पत्नी मीरा मुंडा या पूर्व विधायक मंगल सिंह सोय को खरसावां से विधानसभा चुनाव लड़ने,लडाने की चर्चा हो रही है.

वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा की कद्दावर नेता और झामुमो के बागी बने पूर्व मुख्यमंत्री सरायकेला के विधायक चंपाई सोरेन सरायकेला से ही चुनाव लड़ेंगे. कोल्हान में3 -3पूर्व मुख्यमंत्री चुनावी समर में कूदेंगे. कोल्हान कभी भाजपा का गढ़ हुआ करता था. आज वही कोल्हान से भाजपा का सुफड़ा साफ हो गया है. भाजपा अपने3-3 मुख्यमंत्री और जंबो जेट नेताओं के फौज से कोल्हान में अपनी खोई प्रतिष्ठा पाने और कोल्हान के अपने गढ़ को पुनः वापस लेने की तैयारी में जुट गया है.

जो भी हो इस बार विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है और कोल्हान झारखंड की सट्टा का केंद्र बिंदु होने वाला है और झारखंड की राजनीति का हॉट केक बन गया है. झामुमो के बागी बने पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेनअगर भाजपा में आते हैं तो कोल्हान में भाजपा का चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल जायेगा. वहीं झामुमो के लिए भी चंपाई सोरेन का भाजपा में आना बड़ी चुनौती पेश कर सकता है. चंपाई झामुमो के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं और झामुमो को काफी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. वहीं भाजपा को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. यही कारण है कि चंपाई सोरेन को भाजपा ने तोड़कर अपने पाले में मिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर एक कर दिया है. कहा जाता है कि चंपाई सोरेन के साथ झामुमो के कई नाराज विधायक भी आने वाले समय में भाजपा का दामन थाम सकते हैं. चंपाई सोरेन कोल्हान में बड़ा आदिवासी चेहरा है. पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं,झामुमो के लिए बागी बन गए हैं. झामुमो को कोल्हान में हराने के लिए चंपाई सोरेन के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतर सकती है.

वहीं संथाल के बाद कोल्हान में अपने किला को बचाने के लिए झामुमो ने भी तैयारी शुरू कर दी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मनोहरपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने की चर्चा चल रही है,राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि चंपाई सोरेन अगर भाजपा में शामिल होते हैं तो कोल्हान में पार्टी को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मनोहरपुर से चुनाव लड़ने का कारण पार्टी के विधायकों को एकजुट करना और कोल्हान में झामुमो के बने गढ़ को बचाना है. चंपाई सोरेन के मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद चंपाई सोरेन की नाराजगी और बागी बनने की झामुमो और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी अंदेशा हो गया था. यही कारण है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पश्चिमी सिंहभूम जिला के मनोहरपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने की चर्चा ने बल दे दिया है. झामुमो संथाल और कोल्हान को एक साथ साधने की तैयारी कर दी है.

चाईबासा से राजीव सिंह की रिपोर्ट---