केलांचल में मखाना : कटिहार समेत कई जिलो के किसानो ने शुरू की मखाना की खेती

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KATIHAR ME MAKHANA KI KHETI KE PRATI BADH RAHA HAI AKARSHAN KATIHAR ME MAKHANA KI KHETI KE PRATI BADH RAHA HAI AKARSHAN

KATIHAR: भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि ही है.ऐसे में केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार दोनों ही इसके बेहतरी को लेकर कई सारी योजनाएं चला रही है.और किसान भी कृषि को बेहतर करने के लिए लगातार नए-नए प्रयोग कर रहे है ऐसा ही एक प्रयोग बिहार के कटिहार ज़िले में भी किया जा रहा है।

कटिहार के किसान इन दिनों पारम्परिक खेती के अलावा मखाने की खेती पर ज़्यादा ध्यान दे रहे है. दरअसल ये इलाका केले और मक्का की खेती के लिए मशहूर रहा है लेकिन कई सारी परेशानियों की वजह से यहां के किसानो का केले और मक्के की खेती से मुंह मोड़ रहें हैं ,और मखाना की खेती की तरफ झुकाव हो रहा है.इसके वाजिब करण भी है एक ओर जहां केले की खेती में पनामा विल्ट बिमारी परेशान करती है वही असमय बारिश मक्के की खेती को तबाह करती है जिससे किसानो की मेहनत पर पानी फिर जाता है और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए किसानो ने ऐसा तरीका अपनाया जिससे उन्हें परेशानी भी काम हो और मुनाफा भी ज़्यादा हो.दरअसल मखाने की खेती के लिए 4 से 5 फ़ीट पानी लगा जगह चाहिए जो आसानी से उपलब्ध हो जाता है इसके अलावा इसमें उर्वरक और कीटनाशक के प्रयोग की भी आवश्यकता नहीं होती है जो इसे और भी फायदेमंद बनाता है.

किसी भी फसल के उत्पादन के बाद सबसे बड़ी चुनौती होती है उसको उचित मूल्य पर बेचना। कटिहार के किसान मखाने के उत्पादन के बाद इसको आसानी से दूसरी राज्यों में भेज देते है जिससे इन्हे अच्छी आमदनी होती है।

मखाना की मांग भी ज़्यादा है क्योकि इसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू काफी अच्छी है।मखाना लो कॉलेस्ट्रॉल डायट है इसके साथ ही ये प्रोटीन,मैग्नीशियम, फास्फोरस का बेहतर सोर्स है जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद है.

अब राज्य और देश के विभिन्न हिस्सों में कटिहार के किसान सेहत मंद मखाना भेज रहे है बदले में इनकी भी आर्थिक सेहत भी सुदृढ़ हो रही है ऐसे में ज़रुरत है सरकार और स्थानीय प्रशासन के सहयोग की ताकि सीमांचल का ये क्षेत्र मखाना उत्पादन का हब बन जाए.

कटिहार से रितेश और पटना से अमित की रिपोर्ट