Jharkhand News : सरकार और नौकरशाह के मनमानी के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन कर रही है झारखंड पुनरूत्थान अभियान
चाईबासा। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बड़े-बड़े कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए कोल्हान पोड़ाहाट के आदिवासी और मूलवासी खूंटकट्टी रैयतों की जमीन को बिना उचित प्रक्रिया पूर्ण किए ही राज्य सरकार जिला में पदस्थापित आला अधिकारियों द्वारा बहुफसली सिंचित भूमि को अधिग्रहण करने की विज्ञापन प्रकाशित करा रही है। यह बातें चाईबासा बायपास सड़क निर्माण के लिए चिन्हित बहुफसली सिंचित कृषि भूमि पर पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे झारखंड पुनरूत्थान अभियान के मुख्य संयोजक सन्नी सिंकु ने कहा है।और आगे उन्होंने कहा ऐसे सुनियोजित षड्यंत्र सिर्फ एनएच 75ई पुटिदा से रघुनाथपुर चाईबासा बायपास सड़क निर्माण कार्य करने के लिए बहुफसली सिंचित कृषि भूमि को अधिग्रहण करने के लिए 14जनवरी 2024 को ठीक मकर सक्रांति और मागे पर्व के दिन विज्ञापन प्रकाशित कराया गया।
जिला में विगत वर्ष एनएच 320G हाटगमरिया से कोलेबिरा सड़क निर्माण करने के लिए जिंतुगाड़ा से बड़ानंदा मौजा के बहुफसली सिंचित कृषि भूमि को अधिग्रहण करने के लिए जगन्नाथपुर बायपास सड़क निर्माण की विज्ञापन भी 22 अक्टूबर 2023 को दुर्गापूजा के बीच प्रकाशित किया गया था। जो यह दर्शाता है जानबूझकर इरादतन कोल्हान पोड़ाहाट के आदिवासी मूलवासियों की बहुफसली सिंचित कृषि जमीन को बड़े बड़े पूंजीपतियों के व्यापक हित में असंवैधानिक रूप से राज्य सरकार और सरकरीतंत्र भूमि अधिग्रहण करना चाहती है।
सरकार और नौकरशाह के उन मनमानी के खिलाफ झारखंड पुनरूत्थान अभियान एक वर्षों से लगातार विरोध करते हुए चरणबद्ध आंदोलन कर रही है। कभी खूंटकट्टी रैयती जमीन मालिकों के साथ बैठक और धरना प्रदर्शन करके तो कभी खेतों और सड़क पर पदयात्रा करके। और कई बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन,महामहिम राज्यपाल के साथ ही जिला के आला अधिकारियों को भी मांग पत्र प्रेषित किया गया। लेकिन इसके बाबजूद न राज्य सरकार और न ही जिला के आला अधिकारियों में कोई कार्यसंस्कृति बदलते दिखाई दे रही है। ऐसे में गैर राजनीतिक सामाजिक संगठन झारखंड पुनरूत्थान अभियान की महती दायित्व है कि कोल्हान पोड़ाहाट के खूंटकट्टी रैयती जमीन मालिकों और ग्रामीणों को जागरूक करें और अपने बहुफसली सिंचित कृषि भूमि को बचाने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने के लिए उत्प्रेरित करें। कयोंकि हमारे पूर्वजों ने पीढ़ी दर पीढ़ी इस खूंटकट्टी जल,जंगल,जमीन से अपना जीविका चलाने के लिए ही झाड़ जंगल को साफ कर गांव बसाया,खेती योग्य जमीन तैयार किया। और इसी भू सम्पदा को बचाए रखने के लिए कोल्हान में ब्रिटिश सरकार से लड़ते हुए हमारे हजारों पूर्वजों ने बलिदान दिया था।
झारखंड पुनरूत्थान अभियान के द्वारा आयोजित चाईबासा बायपास के लिए प्रस्तावित बहुफसली सिंचित कृषि भूमि से होकर की जा रही पदयात्रा के पहले दिन जिस तरह से रघुनाथपुर,सिंहपोखरिया,गितिलपी, तुईबीर, डोंकाहातू, टोलगोय, डोबरोसाई, टेकासाई,कातीगुटु के मौजा मुंडा और रैयतदार ग्रामीणों का जन समर्थन मिल रहा है। ख़ासकर, गुमढ़ा पीढ़ के रैयतों का यह जन समर्थन 25 मार्च 1820 को शहीद पार्क चाईबासा में हुई हो विद्रोहियों की शहादत की याद दिला दिलाती है। इसी गुमड़ा पीढ़ के हथियारबंद हो विद्रोहियों ने ब्रिटिश सरकार के द्वारा कोल्हान पोड़ाहाट में सबसे पहले भेजे गए लेफ्टिनेंट रफसेज़ को चाईबासा स्थित उनके कैंप कार्यालय में चारों तरफ से घेर लिया था। जब लेफ्टिनेंट रफसेज को ब्रिटिश हुकूमत के द्वार कोल्हान पोड़ाहाट पर कब्जा करने के लिए भेजा गया था। गुमड़ा पीढ़ के हथियारबंद हो विद्रोहियों द्वारा अपने को चारों ओर से घिरा हुआ देखकर अपनी जान बचाने के लिए लेफ्टिनेंट रफसेज ने सेना प्रमुख जॉन पीटर मेलोर्ड और गार्ड को गोली चलाने का आदेश जारी किया था। ठीक जहां पर शहीद पार्क चाईबासा बना है उसी स्थान पर इसी गुमड़ा पीढ़ के 50 हथियारबंद हो विद्रोहियों को अंग्रेजी सेना ने सीने में गोली मारकर निर्मम पूर्वक हत्या कर दिया था। उन वीर शहीद हो विद्रोहियों की याद में अंग्रजों ने शहीद पार्क का निर्माण कराया था। जिस शहीद पार्क को 6 अक्टूबर 1937 में तत्कालीन बिहार उड़ीसा के गवर्नर सर मॉरिस गार्नियर ने उद्घाटन किया था। फिर से कोल्हान पोड़ाहाट के अपनी भू सम्पदा यानी खूंटकट्टी बहुफसली सिंचित जमीन को बचाने के लिए इसी गुमड़ा पीढ़ से उन वीर शहीद हो विद्रोहियों के वंशजों का पदयात्रा में व्यापक जन समर्थन फिर से आंदोलन पोड़ाहाट में जन आंदोलन को बल मिलने का आसार दिखाई दे रहा है। पदयात्रा में शामिल गुमड़ा पीढ़ के मानकी शिव शंकर सवैया ने कहा कोल्हान पोड़ाहाट में जो मानकी मुंडा विनियम लागु है। यह कोल्हान पोड़ाहाट के वीर शहीद हो विद्रोहियों के कुर्बानी का परिणाम है।
जिन वीर शहीद पूर्वजों ने अपनी इस्टेट और आजादी को कोल्हान पोड़ाहाट में बहाल रखने के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ 1820 से लगातार देश आजाद होने तक अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करते रहा। सिंह पोखरिया मौजा मुंडा दीपू सिंह सवैया ने कहा कि हमारा मौजा के एक भी रैयतदार किसी भी परिस्थिति में एक इंच जमीन देने के लिए तैयार नहीं है।पदयात्रा का शुभारभ केलेंडे रघुनाथपुर गांव के एनएच सड़क से पूर्व सांसद चित्रसेन सिंकु ने राष्ट्रीय झंडा दिखाकर रवाना किया।पदयात्रा में गितिलपी मौजा के मुंडा बबलू सवैया,तुईबीर मौजा के मुंडा मैथ्यू देवगम, तोलगोयसाई के मुंडा मधु पुरती, डोबरोसाई मुंडा रोबिन पड़ेया, कातीगुटू मुंडा सिडेयु पुरती, अमृत मांझी, बबलू सिंकु, सुरेश सवैया,भालबद्र सवैया,नरेश सवैया,कोलंबस हांसदा,रेयान सामड,महेंद्र जामुदा,सुमंत सिकु, गुरुचरण सिंकू,नारायण पुरती,विकास केराई,विनीत लगुरी,बालकृष्ण
डोरायबुरु,कमल किशोर सवैया,मनमोहन सवैया, सिंह बोई सवैया,सरिता सवैया, सोमबारी सवैया और सैकड़ों महिला पुरुष ने रघुनाथपुर,सिंह पोखरिया ,गितिलपी,तुईबीर, टोलगोय साई, डोबरो साई, काती गुटु,गांव के ग्रामीणों के साथ अपने अपने बहुफसली सिंचित कृषि भूमि खेत ही खेत में पदयात्रा का नेतृत्व प्रदान किया। जिसमें सभी गांव के रैयतदर सैकड़ों की संख्या में शामिल हुआ।