JHARKHAND NEWS : NCST में हजारों शिकायते लंबित, क्या आयोग सिर्फ विशेष मामलो पर करता है सुनवाई….


RANCHI : राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCST) के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बीते चार सालों में आयोग को 47 हजार से ज्यादा शिकायतें मिली हैं. इनमें जातिगत अत्याचार, भूमि विवाद और सरकारी नौकरी से संबंधित विवाद ही मुख्य मुद्दे हैं. वही आज कल झांरखड की राजधानी रांची के सिरमटोली में बन रहे फ्लाईओवर का रैंम विवाद पर NCST ने संज्ञान लिया है और सुनवाई कर रहा है. राजनीति के नजरीए से रैंम विवाद सबसे प्रमुख मामलो में से एक है. लेकिन सवाल उठता है कि 2024 तक आयोग के पास 47000 से अधिक मामले लंबित है, वही NCST की बेवसाइट के अनुसार 2025-26 में अब तक 712 के दर्ज किए गए है, तो 52 लंबित, 659 केस पर आयोग संज्ञान लिया है साथ ही इस साल अब तक आयोग ने सिर्फ एक केस का निस्तारण किया है.
विशेष मामलो पर आयोग का होता है ध्यान ?
रांची के सिलमटोली-मेकॉन चौक तक बन रहे फ्लाईओवर ब्रिज के विवाद की शुरुआत केंद्रिय सरना पूजा स्थल के पास उतर रहा रैंम से शुरु हुई, राज्य सरकार ने इसे सुलझाने के कई प्रयास किए. लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकल पाया, जबकि इस विवाद में आदिवासी समाज के कई गुट निकल कर सामने आ गए. कुछ इस रैंम के समर्थन में है, तो कुछ आज भी इसका विरोध कर रहे हैं. इसी दौरान NCST ने पुरे मामले को टेकओवर किया और सुनवाई करना शुरु कर दी. मामला यही नहीं रुका आयोग ने पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव सुनिल कुमार, रांची DC मंजुनाथ भजंत्री और नगर निगम के प्रशासक संदीप सिंह को समन जारी कर 29.05.2025 को नई दिल्ली स्थित आयोग के कार्यालय में फ्लाईओवर से संबंधित दस्तावेज के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया था, लेकिन इन तिनो अधिकारियो में से कोई आयोग के कार्यलय में उपस्थित नहीं हुए और अगली सुनवाई के लिए तीन जून कि तारीख मुकर्र की गयी है. अब आयोग पर सवाल यह उठता है कि अगर आयोग इतना तेजी से आदिवासी समाज से जुड़े मामलो की सुनवाई करता है, तो कुछ ही वर्षो में इतने अधिक केस लंबित क्यों हैं.
आयोग के पास कितने केस लंबित
दाखिल एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी सामने आई है कि NCST के आंकड़ों के अनुसार, साल 2020-21 में उन्हें 11,917 शिकायतें मिलीं. वहीं 2021-22 में 13,964, और 2022-23 में 12,402 और इस साल यानी 2024 में 9,550 शिकायतें मिल चुकी हैं. वहीं 2025-26 में अब तक 712 मामले दर्ज हो चुके हैं.
(राहुल कुमार की रिपोर्ट)