JHARKHAND NEWS : कांके CO ने जमाबंदी खोलने में कोर्ट के आदेश को माना आधार

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RANCHI : कांके अंचल एक फिर चर्चा में है जिसके पीछे का कारण जमीन की दोहरी जमाबंदी सलीमा खातून के नाम से किए जाने को लेकर है. लेकिन इस जमाबंदी को खोलने का आधार रांची सिविल कोर्ट में चल रहे टाइटल सूड वाद संख्या- 1955/2019 (पूर्ववर्ती शीर्षक वाद-64/08) में अपर सिविल न्यायाधीश जूनियर डिवीज़न-XII के दिए गए आदेश के अनुसार किया गया है.

ग्राम पिठौरिया में आर.एस. खाता संख्या 355, आर.एस. प्लॉट संख्या 425 पर स्थित भूमि जिसका क्षेत्रफल 10.20 एकड़ में से 3.50 एकड़ है पर वादी सलीमा खातून पत्नी स्वर्गीय सिद्दीकी खलीफा ने दावा किया और रांची सिविल कोर्ट में टाइटल सूड का मुकदमा दर्ज कराया. जिसकी लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद 16 दिसंबर 2023 को न्यायाधीश नूतन एक्का की कोर्ट ने सलीमा खातून के पक्ष में फैसला दिया.

क्या है कोर्ट का फैसला

वादी के विद्वान वकील ने प्रस्तुत किया कि प्रतिवादी संख्या 1 से 5 ने अपने डब्ल्यू.एस. में स्वीकार किया है कि सोबराती अपनी मृत्यु तक खाता संख्या 355 की संपूर्ण भूमि के एकमात्र मालिक थे. मुकदमे के लंबित रहने के दौरान किए गए विक्रय विलेख में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि भूमि उपहार में प्राप्त हुई थी, जिसे एक्सटेंशन के रूप में प्रदर्शित किया गया है. इसके अलावा वादी विक्रय विलेख में पक्ष नहीं है. आगे प्रस्तुत किया कि हालांकि उपहार विलेख 1934 में बनाया गया था और आर.एस. रिकॉर्ड 1935 में था. आगे प्रस्तुत किया कि चूंकि विभाजन मौखिक था, इसलिए कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है. यह प्रस्तुत किया गया है कि उपहार विलेख पर कभी कार्रवाई नहीं हुई. रिलीज डीट मौजूद है. जिसमें वादी पक्ष नहीं है. जो स्थापित करता है, कि पंजीकृत बिक्री विलेख दिनांक 06.03.1934 और रिलीज विलेख दिनांक 12.11.1975 वादी के लिए बाध्यकारी नहीं हैं. इसके अलावा डी.डब्लू.आई और डी.डब्लू.02 ने कहा कि उन्हें गिफ्ट डीड के बारे में जानकारी नहीं है. इसके अलावा गिफ्ट डीड के लेखक की भी जांच नहीं की गई, इसलिए प्रतिवादी यह साबित करने में विफल रहे कि गिफ्ट डीड एक जेनविन लेनदेन था, इस प्रकार प्रतिवादी यह साबित करने में विफल रहे कि 12.11.1975 की रिलीज डीड वैध दस्तावेज है. उपरोक्त पर चर्चा और निष्कर्ष से यह स्पष्ट है कि वादीगण को अपने अधिकार, शीर्षक की घोषणा के लिए दावा करने का अधिकार है. मुकदमे की भूमि पर हित और कब्जे के मामले में दस्तावेजी साक्ष्य और स्पष्ट रूप से इस तथ्य को स्थापित करते हैं कि वादी के पास तत्काल मुकदमा लाने के लिए कार्रवाई का वैध कारण था और यह नहीं कहा जा सकता कि मुकदमा किसी भी कारण से गलत है. उपरोक्त चर्चा और मुद्दे पर निष्कर्षों से मुझे लगता है कि सभी मुख्य मुद्दे वादी के पक्ष में तय किए गए हैं. इसलिए मेरा विचार है कि वादी इस मुकदमे में डिग्री पाने का हकदार है.

नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी लगा चुके है आरोप

आरोप है कि कांके अंचलाधिकारी जय कुमार राम ने निजी स्वार्थवश लेन-देन के आधार पर 03/04/2025 को वर्णित जमीन की दोहरी जमाबंदी सलीमा खातून के नाम से कर दी है, जो पूर्णतः गलत है. इस जमीन का लगान रसीद निर्गत करने का आदेश भी दिया गया है.

(राहुल कुमार की रिपोर्ट)