JHARKHAND ELECTION 2024 : पश्चिम सिंहभूम के पांचों सीटों पर बागी बिगाड़ सकते खेल, JMM और BJP बागियों से परेशान

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चाईबासा : झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले ही पश्चिम सिंहभूम जिले के पांचों सीट पर झामुमो का पलड़ा भारी दिख रहा था.लेकिन नामांकन पर्चा भरने के बाद जिस तरह झामुमो के बागियों ने अपने तेवर दिखाएं हैं,उससे झामुमो को ही नुकसान होता नजर आ रहा है. भाजपा से अधिक झामुमो में ही बगावत तेज हो चुकी है. इसे रोक पाना झामुमो के लिए कड़ी चुनौती है.

जिले के जगन्नाथपुर विधानसभा में झामुमो फोल्डर के जिला परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सुरेन,पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा और चक्रधरपुर विधानसभा में विजय सिंह गागराई,जंगल सिंह गागराई ने झामुमो खेमे में खलबली मचा दी है. तो मझगांव में मानकी-मुंडा और कार्यकर्ताओं की नाराजगी भारी पड़ रही है. झामुमो और भाजपा दोनों ही बागी से जूझ रहे हैं. जगन्नाथपुर में भाजपा से बागी बनाकर मंगल सिंह गिलुवा ने नामांकन पर्चा दाखिल किया है जो कोड़ा दंपति और भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.

वहीं मनोहरपुर विधानसभा सीट आजसू को जाने के बाद भाजपा नेता और मनोहरपुर से पूर्व विधायक रहे गुरु चरण नायक ने भी पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पर्चा दाखिल किया है. बीते चुनाव में गुरुचरण नायक मनोहरपुर से भाजपा के प्रत्याशी थे,मगर उन्हें जोबा मांझी से हार का सामना करना पड़ा,इस बार मनोहरपुर विधानसभा सीट आजसू को मिली है,गुरुचरण नायक को टिकट नहीं मिला. वहीं चाईबासा से भी टिकट की और चुनाव लड़ने की जुगाड़ में रही पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष लालमुनी पूर्ति ने भी भाजपा से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि उन्होंने नामांकन नहीं किया है. लेकिन लालमुनि के साथ पूरी सदर प्रखंड कमेटी भाजपा से गीता बलमुचू को टिकट मिलने के बाद नाराजगी जताते हुए इस्तीफा दिया है और पार्टी के विरोध में काम करने की चेतावनी दी है. इससे भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है. वहीं भाजपा में संगठन में आपसी गुटबाजी, अंतर्कलह और बिकने की संस्कृति भी पार्टी प्रत्याशी को नुकसान पहुंचा सकता है.

वहीं चाईबासा विधानसभा से झामुमो का कोई बागी तो नहीं है और पार्टी के अंदर कोई विरोध भी नहीं है,लेकिन लगातार तीन बार,15 साल विधायक रहने के कारण झामुमो प्रत्याशी दीपक विरुवा के खिलाफ भी एंटी इनकंबेंसी काम कर रही है.शहर का विकास और विस्तार नहीं होने और कई विकास कार्य आदि नहीं होने का ठीकरा भी दीपक विरुवा पर फोड़ा जा रहा है और बदलाव की बात कही जा रही है. सत्ता में रहने और विधायकी कार्यकाल को लेकर झामुमो के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी भी है,यही बीजेपी के लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकता है.राजनीतिक पार्टियों और प्रत्याशियों द्वारा चुनावी बैतरणी पार करने के लिए साम,दाम,दंड,भेद सभी तरह के राजनीतिक हतकंडे अपनाए जा रहे हैं. हालांकि जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आती जाएगी वैसे-वैसे चुनावी संग्राम और मुकाबला और जोड़ पकड़ेगा.

झामुमो नेत्री सह जिला परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सुरेन ने अंतिम दिन जगन्नाथपुर विधानसभा से नामांकन पर्चा दाखिल कर अपने मंसूबे सभी को बता दिया कि वे रूकने वाली नहीं है. जबकि लक्ष्मी सुरेन को नामांकन रोकने के लिए कई धमकी और चेतावनी मिली थी. उन्हें जिप अध्यक्ष पद से हटा दिया जाएगा. लेकिन धमकी और चेतावनी का कोई असर लक्ष्मी सुरेन पर नहीं पड़ा. उल्टे नामांकन के बाद कांग्रेस प्रत्याशी और जगन्नाथपुर के निवर्तमान विधायक सोनाराम सिंकू पर ताबड-तोड़ हमले शुरू कर दी. दूसरी तरफ झामुमो के ही पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोगा ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भर कर झामुमो को परेशान कर दिया है. लक्ष्मी सुरेन और मंगल सिंह बोबोंगा के चुनाव लड़ने से कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

चक्रधरपुर विधानसभा में भी कमोवेश जगन्नाथपुर विधानसभा वाली ही स्थिति है. टिकट नहीं मिलने पर झामुमो नेता विजय सिंह गागराई ने नामांकन पर्चा भर दिया है और झामुमो विधायक सुखराम उरांव के विजय रथ रोकने के लिए कोई कसर छोड़ने को तैयार नहीं है. विजय सिंह गागराई खरसावां के झामुमो विधायक दशरथ गागराई के भाई हैं और चक्रधरपुर में दोनों का अपना वोट बैंक है. विजय सिंह गागाराई को मानकी-मुंडा और आदिवासी संगठनों का भी पूरा समर्थन है. विजय गागराई के तेवर को देखते हुए झामुमो के लिए इस बार राह बिल्कुल भी आसान नहीं है. वहीं झामुमो से ही जुड़े और मुखिया संघ के प्रतिनिधि के रूप में बदगांव और आसपास के इलाकों में सक्रिय जंगल सिंह गागराई ने भी अपना नामांकन पर्चा दाखिल किया है. जंगल गागराई के भी चुनाव लड़ने से झामुमो को भारी नुकसान हो सकता है.

जगन्नाथपुर और चक्रधरपुर की तरह मझगांव विधानसभा में झामुमो के किसी बागी ने नामांकन तो नहीं किया है,लेकिन विधायक निरल पूर्ति के खिलाफ एंटी इंकम्बैंसी जबरदस्त है. लोगों में विधायक के कार्य को लेकर भारी नाराजगी है. नाराजगी झामुमो के समर्पित कार्यकर्ताओँ में ही है. उपर से मझगांव के मानकी-मुंडा ने खुले तौर पर विधायक का विरोध कर रहे हैं. यहां तक उनके खिलाफ सीएम हेमंत सोरेन तक को पत्र लिखकर नाराजगी जता चुके हैं. कार्यकर्ताओं और मानकी-मुंडा की नाराजगी झामुमो के लिए भारी पड़ सकती है. इसके बावजूद झामुमो ने वर्तमान विधायक निरल पूर्ति को टिकट दिया है,उन पर विश्वास जताया है. अब निरल पूर्ति डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं और अपना चुनावी प्रचार भी जमकर शुरू कर दिया है.

बहरहाल,जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा है. राजनीतिक समीकरण भी तेजी से बदल रहा है. झामुमो की कोल्हान में मजबूत पकड़ थोड़ी ढ़ीली पड़ने लगी है. जिससे एनडीए खेमे में कोल्हान में कुछ सीटों पर फतह करने की उम्मीद जगने लगी है. वहीं के विधायकों,प्रत्याशियों के 5,10,15,25 साल के कार्यकाल में एंटी इनकंबेंसी और अपने विधायकी कार्यकाल में ठेकेदारों,दलालों,बिचौलियों से घिरे होने और आम जनता से कोई सरोकार नहीं रखना,कई विकास कार्य,सड़क,पुल,पुलिया नहीं होने नहीं बनने,आज भी सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र के लोगों,ग्रामीणों को बुनियादी एवं आधारभूत सुविधा,संरचना,विकास की किरण नहीं पहुंचने,लाभ नहीं मिलने आदि को लेकर भी एंटी इनकंबेंसी काम कर रही है.

चाईबासा से राजीव सिंह की रिपोर्ट-----