'जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए खतरा' : पूर्व मंत्री श्रवण कुमार ने जताई चिंता, नालन्दा में राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित


नालंदा : खबर है नालंदा से जहां उद्यान महाविद्यालय नूरसराय के परिसर में " जलवायु परिवर्तनीय बागबानी : अनुकूलन और समाधान रणनीतियाँ" विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उदघाटन शनिवार को पूर्व मंत्री श्रवण कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में बिहार, यूपी, राजस्थान, सहित अन्य प्रदेशों के बहुयात संख्या में कृषि वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
पूर्व मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि बिहार कृषि प्रधान राज्य है। सूबे के 11 करोड़ आबादी कृषि पर आधारित है।कृषि के क्षेत्र में जैसे जैसे संसाधन बढ़ता गया वैसे वैसे खेती पिछडता गया। जलवायु परिवर्तन रुकेगा तो खेती अच्छी होगी और धरती पर बसर करने वाले सारी प्राणी स्वस्थ्य होंगें।जब नीतीश कुमार पहली बार सीएम बने थे उस समय हरित परत मात्र नौ प्रतिशत था और अब बढ़कर 15 प्रतिशत हो गया है। जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए मुख्यमंत्री ने 24 हजार आठ सौ करोड़ की लागत से जल जीवन हरियाली योजना का शुरुआत किया था। इस वर्ष भी सूबे में पांच करोड़ पौधरोपण करने का लक्ष्य है। पूर्व मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन किसानों के लिए चुनौतियां बन गयी है। ये चुनौती भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए है।इसका कुप्रभाव सारे प्राणी पर पड़ रहा है।बदलते परिवेश में कृषि वैज्ञानिक इसका हल निकलेगे।
सीएम नीतीश ने इस दिशा में सबसे पहले कदम बढ़ाया है । वहीं पूर्व एपीसी आईएएस सुनील कुमार ने कहा कि क्लाइमेट चेंज के कारण तापमान बढ़ रहा है। हर प्राणी के अलावे कृषि पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। देश में कृषि के विकास के लुए तेरह हजार कृषि वैज्ञस्नीक काम कर रहें हैं। हॉर्टिकल्चर के बिना एग्रीकल्चर का विकास असंभव है। सीआईएसएच,आईसीएआर लखनऊ के पूर्व निदेशक डॉ. आरके पाठक ने कहा कि जीने के लिए शुद्ध भोजन,पानी और शुद्ध हवा की आवश्यकता है। पर आज के परिवेश में भोजन ,पानी और हवा भी दूषित हो गया है। मिट्टी हमारी आत्मा की तरह है। मिट्टी रूपी आत्मा बंजर होते जा रही है। इस आत्मा को बचाने के लिए रसायन को छोड़ना पड़ेगा। आज हमारी उपजाऊ जमीन एंटीबायोटिक पर टीका हुआ है।
पंजाब में पांच नदियां बहती थी।आज के दौर में पंजाब में सिंचाई के लिए भी दिक्कत हो रही है। कारण सिर्फ एक है क्लाइमेट चेंज। आज जरूरत है जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के मुद्दों व इससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं के समाधान करने का। वहीं बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, भागलपुर के कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि पृथ्वी वास्तव में गर्म हो रही है। तापमान की बढ़ोतरी होने से पृथ्वी पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप जे प्रभाव पड़ेगा।ग्लोबल वार्मिंग के चलते खाद्यान उत्पादन में भी समस्या आ सकती है।बिहार के आलू उत्पादक किसानों को रोगमुक्त आलू बीज की उपलब्धता करना नालंदा उद्यान महाविद्यालय का उद्देश्य है। बदलते जलवायु परिवर्तन में बिहार आलू बीज उत्पादन का हब बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है।
नालंदा की धरती से लगातार शिक्षा का दीप जलता रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण पूरा मानव जीवन प्रभावित हो रहा है। 0.74 प्रतिशत वैश्विक तापमान में पिछले सौ वर्षों में बढ़ा हैं।वायु प्रदूषण के चलते उद्यानिक फसलों में उत्पादन में कमी हुई है। वहीं कुलपति ने पूर्व मंत्री से महाविद्यालय के शोध कार्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जमीन की उपलब्धता कराने की मांग भी किया। संगोष्ठी के पहले दिन देश के आधा दर्जन से अधिक वैव्यनिकों ने जलवायु अनुकूल कृषि पर विस्तृत रूप से चर्चा किया। मौके पर डॉ. आरके सुहाने,डॉ. रेवती रमन सिंह, डॉ. पीके सिंह,डॉ. पंचम कुमार सिंह,डॉ. सुनीता कुशवाहा,डॉ. बिनोद कुमार,डॉ. एमडी ओझा,डॉ. एपी सिंह, डॉ. दिव्या तिवारी,डॉ. शशिबाला,डॉ. निखत आजमी,डॉ. संजय कुमार,डॉ. महेश कुमार मणिकांत प्रभाकर सुभम कुमार जदयू के वरिष्ट नेता राजेन्द्र प्रसाद जदयू के प्रखण्ड अध्यक्ष नरेंद्र कुमार उर्फ सोनी लाल बबलू कुमार भूषण कुमार जदयू नेता मंजर इमाम सहित देश के सैकड़ो कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे।