DM को हलफनामा दायर करने का निर्देश : प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारक की दुर्दशा से चिंतित हाईकोर्ट बिहार सरकार के हफनामा पर जताया असंतोष
पटना हाईकोर्ट ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा के मामलें पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने केंद्र सरकार ( आर्केलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) व राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामे को असन्तोषजनक करार दिया।
हाईकोर्ट ने सिवान के डी एम को इस जनहित याचिका में उठाए गए सभी मुद्दों पर हलफनामा दायर कर जवाब देने को निर्देश दिया।साथ ही कोर्ट ने पटना के जिलाधिकारी को पटना स्थित बांस घाट और बिहार विद्यापीठ के सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया हैं।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार, आर्किओलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया समेत अन्य सभी पक्षों को निश्चित रूप से जवाब दायर करने का आदेश दिया था।लेकिन आज आर्किओलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया व राज्य सरकार के द्वारा जो हलफनामा दायर कर जवाब दिया गया,उन्हें हाईकोर्ट ने असन्तोषजनक बताया।
इससे पूर्व कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से जवाब दायर किया गया था।कोर्ट को इसमें जानकारी दी गई कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 10 जनवरी,2022 को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी।इसमें सम्बंधित विभाग के अपर प्रधान सचिव सहित अन्य वरीय अधिकारी बैठक में उपस्थित थे, जिनमें पटना और सीवान के डी एम भी सम्मिलित थे।इसमें कई तरह के जीरादेई में विकास कार्य के साथ पटना में स्थित बांसघाट स्थित डा राजेंद्र प्रसाद की समाधि स्थल और सदाकत आश्रम की स्थिति सुधारें जाने पर विचार तथा निर्णय लिया गया।
इस बैठक में जीरादेई गांव से दो किलोमीटर दूर रेलवे क्रासिंग के ऊपर फ्लाईओवर निर्माण पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया।साथ ही राजेंद्र बाबू के पैतृक घर और उसके आस पास के क्षेत्र के विकास और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कार्रवाई करने का निर्णय हुआ हाईकोर्ट ने इससे पहले अधिवक्ता निर्विकार की अध्यक्षता में अधिवक्ताओं की तीन सदस्यीय कमिटी गठित की थी।कोर्ट ने इस समिति को इन स्मारकों के हालात का जायजा ले कर कोर्ट को रिपोर्ट करने का आदेश दिया था।
अधिवक्ताओं की कमिटी ने जीरादेई के डा राजेंद्र प्रसाद की पुश्तैनी घर का जर्जर हालत, वहां बुनियादी सुविधाओं की कमी और विकास में काफी पीछे होने की बात अपनी रिपोर्ट में कहा।साथ ही पटना के बांसघाट स्थित उनके समाधि स्थल पर गन्दगी और रखरखाव की स्थिति को भी असंतोषजनक बताया।वहां काफी गन्दगी पायी गई और सफाई व्यवस्था, रोशनी आदि की भी बेहद कमी थी।साथ ही पटना के सदाकत आश्रम की हालत को भी वकीलों की कमिटी ने दुर्दशापूर्ण स्थिति करार दिया।
जनहित याचिका में अधिवक्ता विकास कुमार ने बताया कि जीरादेई गांव व वहां डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के पुश्तैनी घर और स्मारकों की हालत काफी खराब हो चुकी है। जीरादेई में बुनियादी सुविधाएं न के बराबर है।वहां न तो पहुँचने के लिए सड़क की हालत सही है।साथ ही गांव में स्थित उनके घर और स्मारकों स्थिति और भी खराब हैं,जिसकी लगातार उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि इन स्मृतियों और स्मारकों को सुरक्षित रखने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 3 फरवरी,2022 को होगी।