'लड़कियों को मिले पूरा हक' : GICT इंडिया – 2024 में बोलीं ईशा अंबानी, कहा : टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हो बराबर हिस्सेदारी

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 GICT India – Isha Ambani's big statement in 2024  GICT India – Isha Ambani's big statement in 2024

NEW DELHI : चौथी औद्योगिक क्रांति के इस डिजिटल युग में भारत को अगर वर्ल्ड लीडर के तौर पर उभरना है तो लड़िकयों को आगे लाना होगा। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और सूचना व संचार टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में लड़िकयों की भागीदारी बढ़ानी होगी। दूरसंचार विभाग द्वारा आयोजित ‘गर्ल्स इन आईसीटी इंडिया – 2024’ में लड़िकयों से बात करते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड की निदेशक ईशा अंबानी ने उन्हें प्रौद्योगिकी को एक करियर के रूप में चुनने के लिए प्रोत्साहित किया।

'लड़कियों को मिले पूरा हक'

ईशा ने कहा कि टेक्नोलॉजी क्षेत्र में महिलाओं और पुरूषों का अनुपात बराबर होना चाहिए। इसके लिए हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है। ‘गर्ल्स इन इनफार्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (जीआईसीटी) इंडिया – 2024’ का आयोजन दूरसंचार विभाग - भारत सरकार, अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (दक्षिण एशिया), इनोवेशन सेंटर - दिल्ली और संयुक्त राष्ट्र की अन्य एजेंसियों ने मिलकर किया था।

'टेक्नोलॉजी कार्यबल में बढ़ा महिलाओं का प्रतिनिधित्व'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए ईशा अंबानी ने कहा कि “सरकार आवश्यक सुधार कर रही है, और इसके परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। पिछले दशक में टेक्नोलॉजी कार्यबल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 6% बढ़ा है, पर उद्योग जगत को भी अपना योगदान देना होगा। उन्हें ऐसे तरीके और साधन तैयार करने होंगे, जिससे महिलाओं के करियर में स्थिरता सुनिश्चित हो सके। साथ मिलकर, हम एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं जहां हमारी बेटियों को कल का नेता बनने के समान अवसर मिलें। “

ईशा अंबानी ने अपनी मां का किया जिक्र

ईशा अंबानी ने अपनी मां नीता अंबानी का जिक्र करते हुए कहा कि वे बार-बार कहती हैं कि "एक आदमी को सशक्त बनाओ तो वह एक परिवार का पेट भरेगा। जबकि एक महिला को सशक्त बनाया जाए तो वह पूरे गांव को खाना खिलाएगी।” उन्होंने आगे कहा कि “मुझे मेरी मां की बात पर पूरा विश्वास है कि महिलाएं जन्मजात लीडर होती हैं। उनकी सहज निस्वार्थता उन्हें बेहतर लीडर बनाती है। महिला कर्मचारियों को उनके करियर के आरंभ से ही प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। केवल कागज पर विविधता और समावेशिता दिखाने से बदलाव नहीं आएगा”।