शिक्षा विभाग और राजभवन में फिर बढ़ी तकरार : दोनों तरफ से होने लगा लेटर वार, जानिए क्या है पूरा मामला

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Dispute increased again between education department and Raj Bhavan Dispute increased again between education department and Raj Bhavan

PATNA :राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच एकबार फिर से विवाद बढ़ गया है। जी हां, विश्वविद्यालयों में अधिकार और हस्तक्षेप को लेकर शिक्षा विभाग और राजभवन में टकराव चरम पर पहुंच गया है। दोनों तरफ से लगातार लेटर वार जारी है, जिसमें अब भाषा की मर्यादा भी टूट गयी है।


शिक्षा विभाग और राजभवन में फिर बढ़ी तकरार

पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने शिक्षा विभाग की बैठक में भाग लेने के लिए राजभवन से इजाजत मांगी थी। रजिस्ट्रार के इस कदम को उच्च शिक्षा निदेशक मूर्खतापूर्ण कहा। इस विवाद के बीच विश्वविद्यालय पदाधिकारी असमंजस में हैं कि वे क्या करें ?

दरअसल, शिक्षा विभाग ने 2 और 3 मार्च को कार्यक्रम आयोजित किया था। इसपर पाटलिपुत्र विवि के कुलसचिव ने राजभवन से मार्गदर्शन मांग लिया था। इस पर राजभवन ने कहा था कि विभाग के इस कार्यक्रम में जाने की अनुमति नहीं दी है। राजभवन की रोक के बाद शिक्षा विभाग ने बुधवार को एक और आदेश जारी किया कि उन्मुखीकरण कार्यक्रम में शामिल होना अनिवार्य है। जो कुलपति और पदाधिकारी विभागीय बैठक में भाग नहीं लेंगे, उनपर उचित कार्रवाई की जाएगी।

दोनों तरफ से होने लगा लेटर वार

शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच लेटर वार की यह ताजा कड़ी है। शिक्षा विभाग ने 28 फरवरी को अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक के लिए सभी कुलपतियों को बुलावा भेजा है। इसमें भी शामिल नहीं होने के लिए राजभवन से निर्देश जारी किया गया है। पहले भी कई बार दोनों के बीच विवि के अधिकारों पर तनातनी हो चुकी है।

शिक्षा विभाग ने ताजा पत्र में विश्वविद्यालय से पूछा है कि प्रशासी विभाग की बैठकों में भाग लेने के लिए आपने किस नियम के तहत किसी अन्य प्राधिकार से अनुमति मांगना उचित समझा? दूसरी ओर, राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ड एल चोंग्यू ने बुधवार को पूर्णिया विवि के कुलपति और मगध विवि के कुलसचिव को एक पत्र भेजा है। पत्र में कहा है कि आपने 28 की शिक्षा विभाग की बैठक में भाग लेने की अनुमति मांगी गयी है। इसमें भाग लेने की अनुमति नहीं है। इस पत्र की प्रतिलिपि सभी विवि को भी भेजी है।

इधर, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. रेखा कुमारी ने पत्र भेजते हुए कहा कि आपको स्पष्ट हो जाना चाहिए था कि शिक्षा विभाग सभी विश्वविद्यालयों का प्रशासी विभाग है।