CM के आदेश का उल्लंघन : बीमार रानू अगरिया को एंबुलेंस से लाया गया गढ़वा सदर अस्पताल, लेकिन इलाज के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ति
गढ़वा : जिले में झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश का उल्लंघन हो रहा है. मुख्यमंत्री के एक्स पर पोस्ट के बाद रानू अगरिया नामक व्यक्ति का इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति किया गया. अब उसे कोई नहीं पूछ हो रहा है. दरअसल भवनाथपुर थाना क्षेत्र के रोहनिया गांव निवासी कल्पनाथ अगरिया के पुत्र 25 वर्षीय रानू अगरिया के इलाज को लेकर मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद मंगलवार को जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य महकमा एकाएक सक्रिय हुआ. रानू अगरिया को लेने के लिए मंगलवार को उसके घर एंबुलेंस पहुंची और सदर अस्पताल में लाकर उनका इलाज शुरू हो गया है.
चिकित्सकों की मानें तो उनका रक्त जांच कराया गया है. लेकिन बुधवार को उसे लावारिस अवस्था में छोड़ दिया गया. आज रानू अपना दर्द सुना रहा है कि घर से एम्बुलेंस लाकर अस्पताल में उसे छोड़ दिया और यहां इलाज के नाम पर सिर्फ मरहम पट्टी हुआ बाकि कोई नहीं पूछ रहा है. अब हमलोग निराश होकर अपने घर जा रहे हैं.
गौरतलब है कि रानू अगरिया को चार वर्ष पूर्व हरियाणा के पानीपत में मजदूरी करने के दौरान दाएं घुटने में सरिया से गंभीर चोट लगी थी. इसके बाद उसके परिवारवालों ने एक निजी अस्पताल में इलाज करवाया. इसमें 50,000 रुपये खर्च हुए. रानू अगरिया को इलाज के लिए जमीन तक बेचनी पड़ी. लेकिन जख्म ठीक नहीं हुआ. रानू अगरिया ने बताया कि इसके बाद उसे सदर अस्पताल गढ़वा में भर्ती कराया गया. लेकिर सदर अस्पताल के चिकित्सकों ने उससे साफ बोल दिया कि यहां इलाज संभव नहीं है. तब युवक के ससुराल वालों ने यूपी के राबर्ट्सगंज में इलाज कराने की कोशिश की. ससुरालवालों ने जमीन बंधक रखकर इलाज कराया. लेकिन जख्म ठीक नहीं हुआ. उसने बताया कि वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान उसे कुछ नेताओं ने मदद का आश्वासन देते हुए कहा था कि चुनाव जीतने के बाद तुम्हारा इलाज करा देंगे. बताया गया कि रानू ने भवनाथपुर के विधायक अनंत प्रताप देव से मोबाइल फोन पर बात कर मदद की गुहार लगाई. तब विधायक अनंत प्रताप ने रानू अगरिया के बारे में ट्विटर पर लिखा. इसके बाद मुख्यमंत्री ने तुरंत इसके मामले में एक्शन लिया. तब जिला प्रशासन ने रानू अगरिया को उसके घर से एंबुलेंस के माध्यम से सदर अस्पताल, गढ़वा लाया गया और उसका इलाज शुरु कर दिया गया है. लेकिन इलाज के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ति किया जा रहा है.