भोर भेलई हे पिया भिनसरवा भेलई हे : पहली बार आनंद मिश्र-विंध्यवासिनी देवी की आवाज में रिकार्ड हुआ था कैसेट

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PATNA- आज मैथिली गीत संगीत जगत के महान कलाकार और वरिष्ठ साहित्यकार आनंद मिश्र की जयंती है। एचएमवी कंपनी ने पहली बार जिस क्षेत्रिय भाषा के कलाकार को गीत गाने का मौका दिया उसमें आनंद मिश्र का नाम शामिल है। कशिश परिवार की ओर से आज जयंती के अवसर पर अनंद मिश्र को शत—शत नमन करता हूं।

15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो चुका था। आजादी से दस—ग्यारह साल पहले भारत में अंग्रेज शासन काल के दौरान आकाशवाणी की स्थापना हो चुकी थी। इसी बीच कोलकाता से मैथिल कवि कोकिल विद्यापति को लेकर एक फिल्म का निर्माण होता है। इसमें शामिल मैथिली गितों को मोहम्मद रफी और लता मंगेश्कर की आवाज में रिकार्ड किया जाता है। जानकारों का कहना है कि उस समय लोग विद्यापति के गीतों को ना सिर्फ पसंद करते हैं बल्कि दिवाने हो जाते हैं।

अपनी कहानी पर लौटते हैं साल 1948, इसी साल पहली बार बिहार की भाषा मैथिली में कामर्शियल कैसेट अर्थात अल्बम बनाने का निर्णय ग्रामोफोन कंपनी की ओर से लिया जाता है। कंपनी ने यह फैसला क्यों लिया वह भी अपने आप में वह काहानी काफी रोचक है।

बिहार के मधुबनी में एक महान गायक का जन्म होता है जिसे लोग आनंद मिश्र के नाम से जानते हैं। मैथिली साहित्यकारों का कहना है कि आनंद मिश्र ना सिर्फ अच्छे गायक थे बल्कि उनकी गिनती विद्वान समाज में भी किया जाता है। दूसरे कलाकार का नाम विंध्यवासिनी देवी है, जिनका जन्म मुजफ्फरपुर जिले में होता है।

1948 की शुरुआत में इन दोनों कलाकार की आवाज में आकाशवाणी दिल्ली से विद्यापति के दो गीत रिकॉर्ड किए गए थे। गाना था "माय हे जोगी एक ठाढ़ अंगनमा मे। गीत प्रसारण के बाद एचएमवी कंपनी का ध्यान इस युवा आवाज की ओर जाता है। कंपनी के प्रतिनिधियों ने पटना पहुंचकर आनंद मिश्रा और विंध्यवासिनी देवी से संपर्क किया और अगस्त 1948 में वे दोनों कुछ लोकगीतों और विद्यापति गीतों के साथ कंपनी के लखनऊ स्टूडियो पहुंचते हैं।

दुलाल सेन की संगीत में रिहर्सल शुरू होता है। रिकॉर्डिंग के लिए दो लोक गीत और दो विद्यापति गीत का चयन किया जाता है। एल्बम का नाम एक लोक गीत "भोर भेलई हे पिया भिंसरवा भेलई है" के नाम पर रखा जाता है। सबसे पहले टाइटल सांग का पूर्वाभ्यास शुरू किया जाता है। इसी बीच एक खेला शुरू हो जाता है।

विंध्यवासिनी देवी के पति ने अपनी पत्नी को गाना गाने से रोक दिया। उनका कहना था कि मिसरजी अर्थात आनंद मिश्र की पत्नी के रूप में ड्यूएट गीत गाना सही नहीं हैं। गांव समाज के लोग क्या बोलेंगे। अब कंपनी के कर्मचारी परेशान थे। चारों गीतों की रिकॉर्डिंग पूरी हो गई थी। अन्य तीन गीतों में दो विद्यापति गीत और एक झूमर शामिल था।

लाख समझाने के बादी भी विंध्यवासिनी देवी के पति ने कुछ भी मानने से साफ इंकार कर दिया। तब कंपनी के मालिक ने इसी गीत को विमला माथुर की आवाज में रिकार्ड करवाया।

जानकारों का कहना है कि बाजार में कैसेट आते ही उस अल्बम ने बिक्री मामले में सारे रिकार्ड तोड़ डाले। आज आनंद मिश्र की जयंती है। इस अवसर पर कशिश परिवार आनंद मिश्र को शत—शत नमन करता है।

-ROSHAN JHA

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