लालू के बिना अधूरा है अयोध्या का राम मंदिर आंदोलन : बीजेपी के सबसे बड़े अभियान पर लगा दिया था ब्रेक
PATNA (ROSHAN JHA )- भारतीय इतिहास में 6 दिसंबर 1992 को कौन भूल सकता है। यह वही दिन है जिस दिन का उल्लेख हिंदू समर्थक अपने अनुसार और मुसलमान समर्थक अपने अनुसार करते हैं। यह वही दिन है जिस दिन अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद के ढांचे को कारसेवकों ने तोड़ दिया था। यह वही दिन है जिस दिन भगवान राम के समर्थकों ने भारतीय इतिहास में एक नया परचम लहरा दिया था।
हम बात कर रहे हैं राम मंदिर आंदोलन की। अयोध्या राम मंदिर आंदोलन का इतिहास बिहार का उल्लेख किए बिना अधूरा है। राम मंदिर आंदोलन की बात हो और बिहार और बिहार के उस समय के मुख्यमंत्री लालू यादव का नाम ना लिया जाय यह कैसे हो सकता है।
लालू यादव इन दिनों सिंगापुर में किडनी का ऑपरेशन करवा चुके हैं। उनकी छोटी बेटी रोहिणी आचार्य ने उनको अपना किडनी डोनेट किया है।
वापस कहानी पर लौटते हैं 6 दिसंबर 1992 से 2 साल पहले उस समय के भाजपा के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के निर्माण के लिए रथ यात्रा पर निकलने का ऐलान करते हैं। लालू ने पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान के मंच से लालकृष्ण आडवाणी को रथ यात्रा को रद्द करने का आग्रह किया। उस दिन लालू ने मंच से कहा था कि आडवाणी जी हम आपसे आग्रह करते हैं इस रथ यात्रा को रोक दीजिए।
अगर इंसान नहीं रहा तो मंदिर में घंटी कौन बजाएगा। अगर इंसान नहीं रहा तो मस्जिद में अजान कौन पढ़ेगा। वापस लौटते हैं मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव लालकृष्ण आडवाणी को उस समय के बिहार और आज के झारखंड के धनबाद में गिरफ्तार करने का प्लान बनाते हैं, लेकिन यह प्लान फ्लाप हो जाता है, क्योंकि पब्लिक डोमेन में सभी को पता चल जाता है कि लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार किया जाना है।
रथयात्रा समस्तीपुर पहुंचती है। सीएम आवास से मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव उस समय के समस्तीपुर के डीएम और आज के केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को फोन करते हैं और लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने का आदेश देते हैं। लाल कृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी होते ही देशभर में भाजपा और भाजपा के लोग रातों-रात सुपरस्टार बन जाते हैं।
परिणाम स्वरूप देश में पहली बार 1996 में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार बनती है जो आगे चलकर 5 सालों तक सत्ता संभालते हैं। राम मंदिर आंदोलन का ही परिणाम था कि 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी इतिहास रचते हुए दो तिहाई बहुमत के साथ भारत के प्रधानमंत्रियों बनते हैं। उनके कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आता है जो हिंदुओं के समर्थन में होता है। सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम पक्ष को अलग से मस्जिद के लिए एक जमीन देने का फैसला सुनाती है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण काम चल रहा है। इसलिए 6 दिसंबर 1993 को भले कौन भूल सकता है, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान।
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