BIG NEWS : शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जारी किया 8 पन्नों का नया फरमान, सभी DEO को करना होगा अब ये काम, महीने भर की दे दी डेडलाइन
PATNA : शिक्षा विभाग से केके पाठक के जाने के बाद अब नये अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ पूरी तरह एक्शन में हैं। वे बिहार में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए लगातार नये-नये फरमान जारी कर रहे हैं। यही नहीं, वे लगातार स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं।
8 पन्नों का नया फरमान जारी
इसी कड़ी में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ अब 8 पन्नों का नया दिशा-निर्देश जारी किया है। इसके साथ ही उन्होंने डेडलाइन भी फिक्स कर दी है। उन्होंने बिहार के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को लिखा है कि राज्य के विद्यालयों में आधारभूत संरचनाओं पर विशेष रूप से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है लिहाजा आप सभी से यह अपेक्षा की जाती है कि राज्य में सभी विद्यालयों को अपना भवन सही रूप से रंग-रोगन किया हुआ हो, भवनों की छत न टपकती हो, फर्श टूटा नहीं हो, दरवाजे एवं खिड़कियां सही रूप से लगी हों और छात्र के अनुपात में विद्यालय भवन में कमरे की उपलब्धता हो।
सभी DEO को करना होगा अब ये काम
इसके साथ ही विद्यालय भवन के किसी भी कमरे का शैक्षणिक कार्य को छोड़ अनावश्यक रूप से अन्य कार्य यथा गोदाम, भंडार आदि में इस्तेमाल न हो रहा हो, इसे सुनिश्चित किया जाए। प्रत्येक वर्ग के लिए अलग-अलग कमरे निर्धारित किए जाएं। कमरों में साफ सफाई हो। अगर वर्ग कक्ष वर्त्तमान में निर्माणाधीन हो या कक्षा के अनुपात में कमरे न हों तो निकटतम सामुदायिक भवन या अन्य सरकारी भवनों पर भी कक्ष संचालन की व्यवस्था की जा सकती है। इसमें यह ध्यान रखा जाए कि संबंधित सरकारी भवन विद्यालय से 500 मीटर के दायरे में ही हों। इसके साथ नये पक्के भवन के निर्माण हेतु प्रस्ताव और सभी अतिरिक्त भवन के निर्माण का प्रस्ताव संकलित कर जिला पदाधिकारी शिक्षा विभाग को सौंपेंगे।
सभी स्कूलों में हो बेंच-डेस्क की व्यवस्था
इसके साथ ही बेंच डेस्क की व्यवस्था प्रत्येक विद्यालय में व्यवस्था भी आवश्यकतानुसार सुनिश्चित करायी जाए। बेंच डेस्क के अधिष्ठापन में सरकार द्वारा निर्धारित गुणवत्ता पर पूरा ध्यान दिया जाए और निर्धारित मापदण्ड के अनुसार नहीं है तो आपूर्तिकर्ता को बदलने का आदेश दिया जाए। निम्न गुणवत्ता के उपस्करों को नहीं बदले जाने की स्थिति में आपूर्तिकर्त्ता के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई किया जाए। इन उपस्करों को सुरक्षित रखना प्रधानाध्यापक की जवाबदेही है।
सुनिश्चित की जाए पेयजल की व्यवस्था
साथ ही स्कूल में पीने के पानी की व्यवस्था प्रत्येक विद्यालय में सुनिश्चित की जाए। यह ध्यान रखा जाए कि चापाकल या समरसेवल पंप जिसके माध्यम से पीने के पानी की व्यवस्था की गई है, वे सुचारू रूप से संचालित हों, इसकी भी जांच होनी चाहिए। पम्प निर्धारित मापदंड के अनुसार है, यह भी जांच कर लिया जाए। विभाग द्वारा सबरसेवल की गहराई भी निर्धारित गहराई में हो, इसकी भी जांच होनी चाहिए। अगर चापाकल की मरम्मती की आवश्यकता हो तो अविलंब उनकी मरम्मती करवायी जाए। यह भी जानकारी मिली है कि सबरसेवल पम्प तो लगा दिया गया है पर पानी की टंकी और नल नहीं लगाया गया है। जहां सबरसेवल पंप लगाया गया है, उसके साथ टंकी और नल भी लगाया जाए।
अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था
इसके साथ ही प्रत्येक विद्यालय में लड़के एवं लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही नियमित रूप से साफ-सफाई और पानी की व्यवस्था भी सुनिश्चित करायी जाए। शौचालय में Overhead Tank एवं Piped Water Supply होना चाहिए। इसकी व्यवस्था की जाए। सफाई के लिए outsourcing से (प्रारंभिक विद्यालय में 58505, उच्च माध्यमिक -8515) कार्य के लिए एजेंसी नियुक्त है। यह सुनिश्चित किया जाए कि वह दिन में बार-बार शौचालय को साफ रखे। सफाई के लिए फिनाइल इत्यादि उन्हें उपलब्ध हो। शौचालय में साबुन भी उपलब्ध होना अनिवार्य है।
पंखे और लाइट की व्यवस्था हो सुनिश्चित
विद्युत व्यवस्था प्रत्येक विद्यालय भवन में बिजली मीटर और वायरिंग की व्यवस्था के साथ साथ बल्व और पंखे आदि की व्यवस्था भी सुनिश्चित करायी जाए। केवल बिजली का सम्बद्धता लेना पर्याप्त नहीं है। बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए और हर महीने विद्युत विपत्र का भुगतान किया जाए। शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयों के बिजली विपत्र की समीक्षा की जाएगी।
जिला शिक्षा पदाधिकारी अपने अधीनस्थ पदाधिकारियों के माध्यम से नियमित रूप से सभी विद्यालय का शत-प्रतिशत निरीक्षण एक सप्ताह में कराते हुए उपर्युक्त व्यवस्था अगले एक माह के अंदर दुरूस्त करना सुनिश्चित करेंगे। अगर एक माह के बाद निरीक्षण में उपर्युक्त आधारभूत संरचनाओं के अधिष्ठापन/मरम्मती में किसी प्रकार की कमी पायी जाती है तो इसकी संपूर्ण जबावदेही आप पर निर्धारित की जाएगी।
शिक्षकों की उपस्थिति पर जीरो टॉलरेंस की नीति
इसके साथ ही शिक्षकों की उपस्थिति पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनायी जाएगी। सभी शिक्षक अपने डिजिटल लैब/मोबाइल के माध्यम से अपनी उपस्थिति बनाएंगे। इस संबंध में अलग से दिशा-निर्देश निर्गत किया जा चुका है। अगर विशेष परिस्थति में किसी शिक्षक को छुट्टी की आवश्यकता होगी तो उस संबंध में वे औपचारिक रूप से अनुमति प्राप्त करने के उपरांत ही अवकाश पर जाएंगे। समय पर विद्यालय आना और जाना उनका दायित्व है। सरकार द्वारा निर्धारित गुणवत्ता एवं पाठ्यक्रम के अनुरूप ही शिक्षण कार्य हो/ बच्चों को शिक्षा दी जाए, यह सभी शिक्षक सुनिश्चित करेंगे और प्रधानाध्यापक उसका अनुश्रवण करेंगे। इस संबंध में किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाए।