पितृपक्ष में गयाजी में पिंडदान शुरू

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देश के विभिन्न राज्यों के हजारों तीर्थयात्री देवघाट व फल्गु नदी में कर रहे पिंडदान और तर्पण

GAYA: धार्मिक नगरी गयाजी में आज से पिंडदान कर्मकांड की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। देश के कई राज्यों से तीर्थयात्री हजारों की संख्या में गया शहर पहुंचकर पवित्र फल्गु नदी व देवघाट सहित अन्य कई पिंड वेदियों पर पिंडदान कर रहे हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार गयाजी में पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कोरोना के कारण विगत 2 वर्षों से पितृपक्ष मेला नहीं लगाया गया था। लेकिन इस बार वर्ष 2021 में कोरोना के घटते प्रभाव को देखते हुए सरकार ने पितृपक्ष मेला तो नहीं लगाया लेकिन कोविद 19 का अनुपालन करते हुए पिंडदान कर्मकांड करने की इजाजत दी है। यही वजह है कि हजारों की संख्या में आज प्रथम दिन पिंडदानी पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर रहे हैं।

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धार्मिक मान्यता के अनुसार स्वयं भगवान श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ का गया में पिंडदान किया था। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भी कोविड-19 का अनुपालन कराने को लेकर विभिन्न जगह पर शिविर लगाया गया है। जहां लोगों को टीका भी दिया जा रहा है और जो पिंडदानी दूसरे राज्यों से आए हैं उनके द्वारा लिए गए टीके की भी जांच की जा रही है।

गयाजी में पिंडदान का धार्मिक महत्व

सनातन धर्म में श्राद्ध का काफी महत्व है. पितृपक्ष का आरंभ आश्विन मास महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होता है जो आश्विन अमावस्या तिथि को समाप्त होता है. हिन्दू धर्म में माता-पिता की सेवा को काफी महत्व दिया गया है।इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए पुत्र का पिंडदान करना महत्वपूर्ण माना गया है.इस अवसर पर गयाजी में देश-विदेश के सनातन धर्मावलंबी पिंडदान और तर्पण करने आतें हैं।गया में पिंडदान को लेकर कई धार्मिक मान्यताये प्रचलित हैं।यही वजह से है कि पितृपक्ष के दौरान देश विदेश के लाखों तीर्थयात्री गया में पिंडदान और तर्पण करने आतें हैं।

गया से प्रदीप रंजन की रिपोर्ट


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