उत्तरप्रदेश : मानवता की रक्षा के लिए सनातन शिक्षा पद्धति अपनाना होगा: कृष्णानंद पाण्डेय


वाराणसी:धरोहर संरक्षण सेवा संगठन ने सनातन विस्तार के उद्देश्य को लेकर अनवरत चल रहे “संस्कृति संवाद यात्रा“ की बैठक का 28 वाँ पड़ाव का आयोजन रविवार को जौनपुर जिले के वाजिदपुर स्थित गिरधारी शिक्षण संस्थान में हुआ. संगठन के प्रमुख संयोजक कृष्णा नन्द पाण्डेय ने कहा सनातन ही मानवता है व मानवता ही सनातन है. मानवता की रक्षा व समाज में मानवता की स्थापना के लिए सनातन शिक्षा पद्धति को अपनाना होगा. सनातन संस्कृति युक्त शिक्षा से ही सशक्त राष्ट्र व चरित्रवान समाज का निर्माण किया जा सकता है. जिसके लिए हर सनातनी को आगे आना होगा. स्वयं ही अध्ययन अध्यापन की जिम्मेदारी लेना होगी. तब सनातन संस्कृति के बारे में समाज जानेगा.
सत्य को स्वीकारना होगा, मानवता के लिए घातक साबित होगा सनातन की समाप्ति: पांडेय
संस्कृति की जानकारी ही मजबूत समाज की आधार होती है. कुछ सत्य जिसे स्वीकारना होगा. जिस समाज का जन्मदर ढाई प्रतिशत से कम हो जाता है वह सभ्यता समाप्त हो जाती है. आज सनातन समाज का जन्मदर एक दशमलव छिहत्तर है जो अत्यंत चिन्ता का विषय है. इसको नहीं बढ़ाया गया तो सनातन सभ्यता समाप्त हो जाएगी, जो मानवता के लिए घातक है.
जनसंख्या का असंतुलन राष्ट्र व संस्कृति के लिए घातक: डा.सचिन सिंह
वही एक वक्ता ने कहा की डा.सचिन सिंह ग्रामीण क्षेत्रों ,पहाड़ो, जंगलों सीमावर्ती क्षेत्रों व मुस्लिम मुहल्लों के आस पास से हिंदुओं के पलायन से जनसंख्या असंतुलन बहुत तेजी से हो रही है जो राष्ट्र व संस्कृति के लिए घातक है. जनसंख्या असंतुलन व पलायन रोकने के लिए हमे सनातन शिक्षा पद्धति अपनाना होगा. “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसे” जो शिक्षा हमे बताती है कि एक पुत्र राष्ट्र के लिए, एक समाज के लिए,एक परिवार के लिए,एक व्यापार के लिए ऐसा होगा तभी असंतुलन दूर होगा. इसके लिए हमे सनातन शिक्षा पद्धति अपनाना होगा. कार्यक्रम का आयोजन करुणा सागर चौबे और संचालन गौरव मिश्र ने किया. इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से मनोज गिरी,सौरभ सिंह,अभिषेक शुक्ला,अखिलेश यादव, चंद्रेश दूबे, गोविन्द जी,अभिषेक सिंह,अरुणेंद्र चौबे सहित गणमान्य लोग उपस्थित रहे.
(राहुल की रिपोर्ट)