क्या चिराग का राजनीतिक वजूद संकट में ! : 2020 के विधानससभा चुनाव में लोजपा के बंगले की रोशनी बुझाने वाले क्या उप चुनाव में हेलिकाप्टर उड़ा पायेगें

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UPCHUNAV ME CHIRAG PASWAN  LAR RAHE HAIN VAJUD KI LADAYE UPCHUNAV ME CHIRAG PASWAN  LAR RAHE HAIN VAJUD KI LADAYE

तारापुर विधान सभा क्षेत्र में एक अदद उम्मीदवार नही ढूंढ पाने वाले चिराग क्या अपने संसदीय क्षेत्र में भी इज्जत बचा पायेगें.

PATNA:- 30 अक्टूबर को दो विधान सभा क्षेत्रो में हो रहे उप चुनाव की उल्टी गिनती अब शुरू हो गयी है.और इसके साथ ही अब सूबे के नेताओं का दम भी फूलने लगा है. इस मिनी चुनावी महाभारत में जहां महागठबंधन के बीच तो जंग है ही परिवार के बीच भी महाभारत मचा हुआ है. एक तरफ जहां सूबे के सबसे बड़े दल राजद में दो भाईयों तेजप्रताप और तेजस्वी के बींच तलवार खिंची हुई हो तो स्व रामविलास पासवान को खानदान भी एक दूसरे को मटियामेट करने में जी जान से लगा हुआ है.

2020 के विधान सभा चुनाव में नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करने का दावा करने वाले लोजपा के चिराग ने जद यू की बत्ती गुल करने के फेर में अपने बंगले की ही रोशनी बुझा दी.परिणाम सामने है लोजपा की बत्ती गुल होते ही उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. अपने पिता की विरासत पर कब्जा के लिये अपने चाचा के साथ दो - दो हाथ कर रहे चिराग

फिलहाल चुनाव आयोग ने चिराग को अपने पिता का नाम लगाने की अनुमति दे दी है और उनकी पार्टी का नाम राम विलास पासवान करने के साथ ही उन्हे हेलिकाप्टर चुनाव चिन्ह देकर आकाश में उड़ने के लिये छोड़ दिया गया है.

पहली बार लोजपा के बंगले के बगैर उप चुनाव मैदान में उतरने वाले चिराग पासवान के लिये यह उप चुनाव भी उनके राजनीतिक अस्तित्व के लिये चुनौती लेकर आया है. 2020 के विधान सभा चुनाव में चिराग ने अपने संसदीय क्षेत्र जमुई के तारापुर विधान सभा क्षेत्र से मीना देवी को खड़ा किया था जिसे 11264 वोट मिले थे. यानि चिराग के उम्मीदवार को करीब 6.45 प्रतिशत वोट आये थे. लेकिन इस बार तो चिराग को तारापुर से एक अदद उ्मीदवार भी नही मिला है और उन्होने जमुई के रहने वाले चंदन सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है.

दूसरी ओर चिराग के चचेरे भाई प्रिंस राज के संसदीय क्षेत्र कुशेश्वर स्थान विधान सभा क्षेत्र से चिराग ने 2020 में पूनम कुमारी को अपना उ्मीदवार बनाया था और वह भी तीसरे स्थान पर रहकर 13362 वोट लायी थी. यानि यह स्थिति तब थी जब पूरा पासवान का परिवार एक जुट था और स्वर्गीय रामविलास पासवान की सहानुभूति लोजपा के बंगले को मिली थी.

इस बार नजारा पूरी तरह से बदला हुआ है.इस बार चिराग ने नय चेहरे अंजू देवी को चुनाव मैदान में उतारा है. एक तरफ जहां नीतीश के खिलाफ वैसी लहर नही है तो महागठबंधन के बीच भी अपनी डफली अपना राग है वही चिराग के कुनबे में भी आग लगी है और उनका पूरा परिवार जद यू उम्मीदवार के पक्ष में जोर - शोर से लगा हुआ है.ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या चिराग अपने उम्दमीदवार को 2020 इतना भी वोट दिलवा पायेगें . यानि जीत की कौन कहे चिराग खुद ही अपने राजनीतिक वजूद का इम्तीहान दे रहे . देखना है वह अपने राजनीतिक वजूद को बचा पाते हैं या नही.


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