करोड़ों की जमीन स्कूल के लिए दान कर दी : 12 साल की उम्र में शादी,6 साल बाद पति की मौत..जमीन दाता दायमुनि देवी के संघर्ष की कहानी

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Untold story of Dayamuni Devi who donated crores of land for the school in samastipur Untold story of Dayamuni Devi who donated crores of land for the school in samastipur

रोसड़ा ( समस्तीपुर )- एक तरफ जहां एक और दो धूर जमीन के लिए एक भाई अपने दूसरे भाई की हत्या कर दे रहा है वहीं समस्तीपुर की एक महिला ने स्कूल के लिए कुल 9 कट्ठा जमीन दान कर दी है...इस महिला के इस कदम की हर ओर प्रशंसा हो रही है.समस्तीपुर जिले के शिवाजीनगर प्रखंड के करियन गांव निवासी दायमुनि देवी ने गांव के उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय करियन के लिए नौ कट्ठा जमीन दान दी है.आज के डेट में इस जमीन की कीमत करोड़ो मे है.


करोड़ों की जमीन स्कूल के लिए दान

जमीन मिलने से स्कूल के शिक्षक एवं छात्र –छात्रा के साथ ही गांव के लोग भी खुश और उत्साहित हैं.जमीन देने के बाद विद्यालय के बेहतर विकास को लेकर गांव के बुद्धिजीवी एवं वर्तमान और अवकाश प्राप्त शिक्षकों ने विशेष बैठक की और उदयन शिक्षा समिति के बैनर तले जमीन दाता स्वर्गीय नंद कुमार पाठक की पत्नी दायमुनी देवी को ग्रामीणों के समक्ष सम्मानित किया.इस सम्मान समारोह में करियन गांव निवासी सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक जीतेन्द्र मिश्रा,उनकी पत्नी पूनम मिश्रा समेत कई गणमान्य भी शामिल हुए.पूनम मिश्रा ने जमीन दाता दायमुनि देवी को अंगवस्त्र और माला पहनाकर सम्मानित किया .



रिटायर IG समेत कई गणमान्य ने किया सम्मानित

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अवकाश प्राप्त पुलिस महानिरीक्षक जितेंद्र मिश्रा ने कहा कि आज के इस आधुनिक और भागमभाग दौर में जमीन दाता दायमुनी देवी ने शिक्षा के क्षेत्र में करोड़ों राशि की जमीन मुफ्त में विद्यालय को दान देकर क्षेत्र के हर जाति वर्ग के बच्चों के लिए एक मां की अहम भूमिका निभाई है, इस खुशी के दिन को गांव के लोग हमेशा याद रखेंगे, पूरा गांव और समाज इनका और इनके पूर्वजों का ऋणी रहेगा, पूर्व से इनके पूर्वजों का इतिहास दान करने का रहा है.येलोग गांव के गरीब, असहाय लोगो को रहने के लिए जमीन एंव गांव के बच्चों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में दान देने का काम करते आ रहे है। सैकड़ो वर्ष पूर्व भी इनके पूर्वजों के द्वारा संस्कृत विद्यालय के लिए भूमि दिया था.और अब इन्हौने ये नेक काम किया है.

प्रधानाध्यापक ने बताया देवतुल्य मां

सम्मान समारोह के दौरान उपस्थित ग्रामीण समिति के सदस्यों एवं विद्यालय परिवार की ओर से बेहतर सहयोग के लिए समस्तीपुर जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह की भी तारीफ की गई.वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रदीप कुमार पासवान ने कहा कि बिहार सरकार के द्वारा विद्यालय को प्लस टू कर दिया, लेकिन भवन के अभाव में बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे थे, गांव की उदारवादी जमीन दाता दायमुनी देवी ने गांव के हर बच्चों को शिक्षित बनाने को लेकर करोड़ों राशि का जमीन मुफ्त में विद्यालय को देकर क्षेत्र में इतिहास रच दिया है, यह सदैव विद्यालय परिवार एवं छात्र-छात्राओं के नजरों में देवतुल्य मां कहलाएंगी.

12 साल में शादी,6 साल बाद पति की मौत

वहीं जमीन दान करने वाली दायमुनि ने कहा कि उनके अपनी कोई संतान हीं है पर अपने गांव के हरेक बच्चे को अपने बच्चे जैसा मानती हूं. अब वह वह 66 वर्ष की हो गई हैं,आगे उनकी जीवन कब तक तक है ..ये किसी को पता नहीं..इसलिए जब उन्हें स्कूल के लिए जमीन की जरूरत का पता चला तो उन्हौने ये कदम उठाया है.अपने जीवन की दुखद कहानी को याद करते हुए दायमनि देवी ने कहा कि महज 12 वर्ष की उम्र में उनके माता-पिता ने शादी कर दिया था, शादी के 6 वर्ष बाद ही उनके पति स्वर्गीय नंद कुमार पाठक के ट्रेन से गिर जाने की वजह से मौत हो गई थी. वे परीक्षा देने ट्रेन से समस्तीपुर जा रहे थे और रोसड़ा में ही वे ट्रेन से गिर गे थे..

गांव के बच्चें ही उनकी संतान हैं

दायमुनि ने कहा कि उनकी अपनी कोई संतान नहीं है,पर उनका सपना है कि गांव का हर बच्चा शिक्षित हो.इसलिए जब उन्हें पता चला कि विद्यालय को मध्य विद्यालय से उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कर दिया गया है , जहां 10वीं,11वीं के साथ प्लस टू के बच्चों की पठन पाठन की व्यवस्था की गई है,लेकिन जमीन के अभाव में विद्यालय में भवन नहीं बन पा रहा है और बच्चे सिर्फ नाम दर्ज करवा करवाकर इधर उधर भटकते रहते हैं.तो उन्हौने स्कूल के लिए जमीन देने का निर्णय लिया.इसको लेकर वह खुद जिलाधिकारी से मिली,जिसके बाद जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह ने उसी दिन सभी विभागीय पदाधिकारी को बुलाकर सख्त निर्देश देते हुए जमीन दान करवाने की सभी प्रक्रिया को पूरा करवाया.वो चाहती हैं कि इस जमीन पर जल्द से जल्द विद्यालय का भवन का निर्माण हो ताकि वे अपनी आंखों से उस भवन में बच्चों को पढ़ते हुए देख सकें.