जन्म के वक्त बच्चे का रोना जरूरी : महावीर वात्सल्य अस्पताल में फस्ट गोल्डेन मिनट पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित, डॉक्टर और नर्स हुए प्रशिक्षित

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 Training program on First Golden Minute organized at Mahavir Vatsalya Hospital  Training program on First Golden Minute organized at Mahavir Vatsalya Hospital

PATNA :जन्म के समय नवजात शिशु का रोना उसकी सेहत के लिए जरूरी है। जन्म के ठीक बाद का एक मिनट बच्चे के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। चिकित्सा जगत में इसे फस्ट गोल्डेन मिनट के नाम से जाना जाता है। इस एक मिनट में बच्चा नहीं रोए तो उसे कृत्रिम सांस देने की जरूरत होती है।

महावीर मन्दिर न्यास द्वारा संचालित महावीर वात्सल्य अस्पताल में शनिवार को एनआरपी यानी नेशनल रिससिटेशन प्रोग्राम के तहत 40 डॉक्टरों और नर्सों को प्रशिक्षित किया गया। महावीर वात्सल्य अस्पताल के वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एन पी सिंह, डॉ. प्रभात, विनय रंजन, डॉ. विवेक पाण्डेय, डॉ. चंदन, डॉ. अमित, डॉ. रणदीप, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अमित, डॉ. मनीष कुमार के अलावा शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमन मिश्रा ने फस्ट गोल्डेन मिनट पर नवजात शिशु की समुचित देखभाल का प्रशिक्षण दिया।

इस अवसर पर इंडियन एकेडमी ऑफ पेडिएट्रिक्स यानी आईएपी की केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. मधु सिन्हा भी उपस्थित थीं। जन्म के समय नहीं रोने को मेडिकल टर्म में बर्थ एसफिक्सिया के नाम से जाना जाता है। महावीर वात्सल्य अस्पताल के शिशु रोग विभाग के समन्वयक डॉ. बिनय रंजन ने बताया कि इससे नवजात शिशु की जान को खतरा होता है। पूरे देश में नवजात शिशुओं की मृत्यु के 20 प्रतिशत मामले नहीं रोने के कारण पाए गये हैं।

नवजात शिशु के रोने से उसके फेफड़े खुलते हैं और ऑक्सीजन पूरे शरीर में प्रवाहित होता है। महावीर वात्सल्य अस्पताल के वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक पाण्डेय ने बताया कि नहीं रोने के कारण अस्पतालों के नीकू में भर्ती होनेवाले शिशुओं की संख्या राष्ट्रीय स्तर पर बिहार में सर्वाधिक है इसलिए जन्म के समय प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ का होना जरूरी है। इससे नहीं रोनेवाले नवजात शिशुओं की उचित देखभाल कर उन्हें बचाया जा सकता है।

इस अवसर पर आईएपी सचिव डॉ. मधु सिन्हा ने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम नवजात शिशुओं की समुचित देखभाल में बहुत उपयोगी साबित होगा। महावीर वात्सल्य अस्पताल के चीफ को-ऑर्डिनेटर डॉ. प्रभात ने सभी प्रतिभागियों से मरीजों के हित में कार्य करने की अपील की। एक दिन के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद प्रशिक्षणार्थी डॉक्टरों और नर्सों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गये।


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