तिलकुट से गुलजार गया का बाजार : मकर संक्रांति को लेकर बढ़ी डिमांड, खरीदारी को उमड़े लोग
गया : बिहार के गया जिले का प्रसिद्ध तिलकुट को लेकर इन दिनों तिलकुट का बाजार गुलजार है. मुख्य रूप से शहर के रमना रोड और टिकारी रोड में तिलकुट की दुकानें सजी हुई है, जहां लोग बड़े पैमाने पर खरीदारी कर रहे हैं. वैसे तो गया शहर में सालों भर तिलकुट का व्यवसाय होता है. लेकिन मकर संक्रांति के दिन तिलकुट खाने व दान करने की पौराणिक परंपरा है.
इसे लेकर शहरवासी बड़े पैमाने पर तिलकुट की खरीदारी कर रहे हैं. टिकारी रोड और रमना रोड मोहल्ला स्थित तिलकुट की दुकानों पर खरीदारों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है. वही तिलकुट की बिक्री भी बड़े पैमाने पर हो रही है, हालांकि महंगाई के कारण तिलकुट की बिक्री पर इसका खासा असर पड़ा है. इसके बावजूद लोग बढ़-चढ़कर तिलकुट की खरीदारी कर रहे हैं. चारों ओर तिलकुट कूटने की धम-धम की आवाज और तिल भुजने की सोंधी महक से गया शहर का इलाका तिलकुट की सोंधी खुशबू से खुशबूदार हो चुका है. नवंबर महीने से लेकर फरवरी के बसंत पंचमी महीने तक गया शहर में तिलकुट का व्यापार परवान पर होता है. एक आंकड़े के अनुसार नवंबर से फरवरी तक इन 4 महीनों में तिलकुट का व्यापार लगभग 50 करोड़ रुपए का होता है.
वही तिलकुट का निर्माण करने वाले दुकानदार नंदन कुमार गुप्ता ने बताया की गया की जलवायु तिलकुट निर्माण के लिए उपयुक्त मानी जाती है. गया की जलवायु तिलकुट निर्माण के लिए सर्वोत्तम है. यही वजह है कि गया में निर्मित तिलकुट का स्वाद अन्य जगहों पर बनने वाले तिलकुट से अलग होता है. वैसे तो अब तिलकुट का निर्माण गया के अलावे देश के अन्य राज्यों एवं शहरों में किया जाने लगा है. लेकिन गया की आबो-हवा में निर्मित तिलकुट का स्वाद निराला होता है. यही वजह है कि गया का तिलकुट सबसे उत्तम माना जाता है.
गया में तिलकुट कई प्रकार के बनाए जाते हैं. जैसे खोवा का तिलकुट, गुड़ का तिलकुट, ड्राई फूड का तिलकुट, चीनी का तिलकुट के अलावे तिल से कई व्यंजन का निर्माण होता है. जैसे तिलवा, तिल पापड़ी, रेवड़ी मस्का, बादाम पट्टी आदि. आयुर्वेद और चिकित्सीय सलाह की माने तो जाड़े के दिनों में तिल का तासिर गर्म होता है. तिलकुट खाने से पेट की बीमारियां दूर होती है. घुटनों या जोड़ों में दर्द के लिये भी तिल से निर्मित व्यंजन बहुत ही फायदेमंद होता है. मकर संक्रांति पर्व पर चूड़ा, दही और तिलकुट का सेवन किया जाता है.
उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति के दिन परिवार की सुख, समृद्धि शांति हेतु तिल दान का भी प्रावधान है. वैसे तो महंगाई का असर तिलकुट पर पड़ा है, फिर भी लोग अपनी जरूरत के हिसाब से तिलकुट की खरीदारी कर रहे हैं. तिलकुट व्यवसाय से जुड़े लोग भी इस उद्योग को पेटेंट करवाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि गया में निर्मित तिलकुट का स्वाद अन्य जगहों पर बने तिलकुट से बेहतर माना जाता है. यही वजह है कि तिलकुट की बिक्री देश के विभिन्न राज्यों के अलावा जापान, अमेरिका, सिंगापुर, नेपाल जैसे देशों में भी की जाती है.
उन्होंने बताया कि तिलकुट का निर्माण चीनी को एक तार की चाशनी बनाने के बाद ठंडा कर उसे लट द्वारा बनाया जाता है. उसके बाद तिल को गर्म कर सोंधा होने तक भुंजा जाता है. तिल में चीनी और गुड़ के लट में कूट-कूट कर खस्ता बनाया जाता है. बेहतर तिलकुट निर्माण के लिए चीनी का कम और तिल का ज्यादा उपयोग किया जाता है. इस तरह से तिलकुट का निर्माण होता है.
वह तिलकुट खरीदने वाले खरीदार दिलीप कुमार सिकंदर ने बताया कि मकर संक्रांति पर तिलकुट खाने की पौराणिक परंपरा रही है. यही वजह है कि परिवार एवं रिश्तेदारों के लिए तिलकुट खरीद रहे हैं, वैसे तो महंगाई के कारण तिलकुट ज्यादा कीमत पर बिक रहा है. इसलिए इसकी खरीदारी कम कर रहे हैं. पहले पहले जिन रिश्तेदारों को 2 किलो तिलकुट भेजते थे, उन्हें अब आधा किलो या एक किलो तिलकुट ही भेज पा रहे हैं. तिलकुट खाने से शरीर स्वस्थ रहता है.
वही तिलकुट खरीदने वाले स्थानीय निवासी संतोष ठाकुर ने बताया कि मकर संक्रांति के पर्व पर तिल खाने से कई तरह के शारीरिक फायदे होते हैं. पेट साफ रहता है और शरीर स्वस्थ रहता है. मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, इस दिन तिल खाने की पुरानी परंपरा है. इसलिए परिवार के लिए तिलकुट की खरीदारी कर रहे हैं. महंगाई का असर भी तिलकुट की खरीदारी पर पड़ा है, इसलिए पहले जहां ज्यादा खरीदारी करते थे, वहीं अब कम मात्रा में खरीद रहे हैं. तिलकुट खाने से शरीर की अन्य कई बीमारियां भी दूर होती है. अपने रिश्तेदारों के लिए भी तिलकुट की खरीदारी कर रहे हैं.