मकर संक्रांति : तिल की सौंधी खुशबू से महक रहा बाजार,रांची के दुकानों पर खरीदारों की भीड़
डेस्क/रांची:-मकर संक्रांति विशेष मिठाई तिलकुट को लेकर अब झारखंड में बिहार से कारीगर आकर तिलकुट बनाना शुरु कर दिए हैं। 14 और 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाया जाएगा इसको लेकर नवादा जिला से रजौली आए कारीगर। गया के प्रसिद्ध तिलकुट कारीगर ने बताया कि हम अपने पिता को गुरु मानकर रोजगार के चाह में तिलकुट बनाने की कला को सीखे हैं।
बता दे कि तिलकुट के दाम में पिछले साल की तुलना में इस बार मामूली बढ़ोतरी हुई है। बाजार में चीनी और गुड़ के तिलकुट की कीमत लगभग बराबर है। गुड़ और चीनी के तिलकुट की कीमत 320 रुपये प्रति किलो है। इलाइची वाले तिलकुट वी कीमत 360 रुपये और सौंफ वाले तिलकुट की भी कीमत 360 रुपये प्रति किलोग्राम है।
चौक चौराहा तिलकुट के सौंधी खुशबू से महक उठा है। बाजार में काले तिल के लड्डू की भी अच्छी डिमांड रहती है। काले तिल की कीमत अधिक होने के कारण यह मंहगे दाम में बिकता है। फिलहाल बाजार में इसकी कीमत 400 रुपये प्रति किलोग्राम है। उधर मकर संक्रांति में बाजार में तिलकुट की भारी मांग को देखते हुए दुकानदार ने बिहार के नवादा से कारीगरों को बुलाया है। कारीगर दिन-रात मेहनत कर स्वादिष्ट तिलकुट बनाने में जुटे हुए हैं। तिलकुट बनाने वाले कारीगरों के अनुसार तिलकुट बनाने की प्रक्रिया बेहद लंबी चलती है।
बोकारो:-मकर संक्रांति को लेकर बोकारो में तिलकुट का बाजार पूरी तरह से सज धज कर तैयार है। बिहार से आए कारीगर तिलकुट कूटने का काम कर रहे हैं और इसको लेकर तैयारी की जा रही है। बिहार से आए तिलकुट कारीगर लोगों को गुड़ और चीनी का तिलकुट बना कर देने का काम कर रहे हैं। तिलकुट बनाने वाले कारीगर 1 दिन में 50 से 80 किलो तिलकुट कूटने का काम करते हैं।
कारीगर की माने तो शुगर फ्री के नाम पर गुड़ का तिलकुट लोग अधिक पसंद कर रहे हैं। तिलकुट बनाने की प्रक्रिया भी काफी जटिल है। पहले चीनी की चासनी को बनाकर उसे तैयार किया जाता है। उसके बाद मिट्टी के बर्तन में डालकर उसे प्रक्रिया किया जाता है। नवादा से आए कारीगर तिलकुट कूटने का काम कर रहे हैं। गुड और चीनी के तिलकुट की कीमत भी अलग-अलग है। एक और जहां गुड़ के तिलकुट की कीमत 280 प्रति किलो है जबकि चीनी का 260 रुपए है। वहीं खोवा वाले तिलकुट की कीमत अधिक है। कई तरह के अन्य गुड़ के और चीनी के सामान बनाए जा रहे हैं। कारीगर का कहना है कि काफी मेहनत से तिलकुट को तैयार किया जाता है।
बाघमारा:-बाघमारा कोयलांचल के बाजारों में तिलकुट की सौंधी-सौंधी खुशबू की महक अब बिखरने लगी है। मकर सक्रांति में अब कुछ दिन ही शेष रह गए है। कोयलांचल के बाजारों के दुकानों में तिलकुट का बाजार सज गया है। बाजारों में तरह तरह के तिलकुट बनाये जा रहे।
जिसे देख खरीददारी करने ग्राहक पहुच रहें हैं। कतरास कोयलांचल में पिछले 20 सालों से स्थानीय दुकानदार बिहार राज्य से तुलकुट बनाने वाले कारीगर को बुलाते है। एक दर्जन से अधिक कारीगर दुकानदार विशेष रूप से तिलकुट बनाने के लिए बुलाते है। कारीगर पूरी मेहनत से तिलकुट बनाने का काम करते है। सौंधी महक बाजारों में बिखेरते है। कतरास में परम्परा के अनुसार पिछले 20 सालों से बाहर के कारीगर आते है।
वहीं तिलकुट बनाने वाले कारीगर बताते है कि वे सभी लगभग 20 कारीगर बिहार के जहानाबाद,देवघर सहित स्थानीय लोगो का समूह है। जो कोयलांचल आते है। यहाँ आकर तरह- तरह तिलकुट बनाते है। वहीं स्थानीय दुकानदार बताते है कि पिछले 20 सालों से बिहार के जहानाबाद,देवघर,चकाई ओर कुछ स्थानीय कारीगर को विशेष रूप से मकर सक्रांति के 50 दिन पहले बुलाते है। तिलकुट के तरह-तरह के भेराइटिज बनाते है। खोवा तिलकुट,बिना खोवा तिलकुट, गुड़ तिलकुट,गुड़ लड्डू,तिलकुट के चीनी लडडू आदि बनाते है।