फिर होगा आन्दोलन ! : नई सरकार में मुखर हुए BIHAR के शिक्षक संघ,KK पाठक से दो-दो हाथ करने को तैयार..


PATNA:-महागठबंधन की सरकार में शिक्षक संघ दबी जुबान से बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की सख्ती और मनमाने आदेश का विरोध करती थी,लेकिन एनडीए के नेता के रूप में नीतीश कुमार के सरकार बनाये जाने के बाद से शिक्षक संघ केके पाठक से दो-दो हाथ करने को तैयार है.प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ ने ऑनलाइन सक्षमता परीक्षा का विरोध किया है साथ ही नियोजित शिक्षकों से सक्षमता परीक्षा के लिए आवेदन नहीं करने के लिए कहा है.वहीं सक्षमता परीक्षा में शामिल नहीं होने या पास नहीं होने पर नौकरी खत्म किये जाने के केके पाठक के कमिटि के फैसले को गलत बताया है.
इस संबंध में राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष बृजनंदन शर्मा ने कहा कि केके पाठक की अध्यक्षता वाली कमिटि ने सक्षमता परीक्षा पास नहीं करने या शामिल नहीं होने को लेकर जो अनुशंसाएं की है,वह संविधान और शिक्षक नियमावली 2023 की कंडिका-3 का उल्लंघन है.सरकार खुद ही नियम बनाती है और खुद ही उसे तोड़ती है.बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2023 की कंडिका 3 में स्पष्ट रूप में लिखा हुआ है कि वैसे स्थानीय निकाय शिक्षक जो नियम के तहत सक्षमता परीक्षा में शामिल नहीं होतें हैं या उत्तीर्ण नहीं होतें हैं,वे स्थानीय निकाय शिक्षक के रूप में बने रहेंगे,पर केके पाठक की कमिटि ने नौकरी से हटाने की अनुशँसा की है.कमिटि की यह अनुशंसा पूर्व के नियम के खिलाफ और हास्यास्पद है.
इसके साथ ही शिक्षक संघ ने ऑनलाइन सक्षमता परीक्षा का विरोध किया है.इनकी मानें तो अधिकांश शिक्षकों को कम्प्यूटर की जानकारी नहीं है.न ही किसी उचित माध्यम से उन्हें प्रशिक्षित किया गया है.इसलिए ऑऩलाइन परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए.नई सरकारी के गठन के बाद सभी अलग अलग शिक्षक संघ मुखर हो गए हैं और एक मंच पर आकर केके पाठक के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं.
सभी शिक्षक संघों ने एक साथ बैठक की है.इसमें ये निर्णय लिया गया है कि सक्षमता परीक्षा पास नहीं करने या शामिल नहीं हेने पर नौकरी से निकला जाने का प्रावधान,सक्षमता परीक्षा में तीन जिलों के विकल्प का प्रावधान और ऑनवाइन परीक्षा का प्रावधान खत्म किया जाना चाहिए और सक्षमता परीक्षा पास करने वाले शिक्षक को उसकी इच्छा के अऩुसार पुराने स्कूलों में ही पदस्थापित करने की प्रकिया शुरू की जाय,और अगर शिक्षा विभाग इन पर ध्यान नहीं देता है तो राज्य के लाखों नियोजित शिक्षक सड़कों पर भी उतरने को तैयार हैं.