रक्षाबंधन पर अक्षरधाम में विशेष आयोजन : हरिभक्तों और स्वयंसेवकों का हुआ जुटान, बड़ी संख्या में लोग रहे मौजूद

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Special event in Akshardham on Rakshabandhan Special event in Akshardham on Rakshabandhan

NEW DELHI : स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर, नई दिल्ली में रक्षाबंधन का पर्व बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के प्रमुख और गुरु ब्रह्मस्वरूप महंतस्वामी महाराज के सान्निध्य में श्रावण पूर्णिमा को धार्मिक सद्भावना और उल्लास से मनाया। हरिभक्तों और स्वयंसेवकों का समुदाय इस प्रेम के बंधन का त्योहार मनाने के लिए भारी संख्या में उपस्थित था।

सभा का मंगल प्रारंभ वैदिक पूजन-प्रार्थनाओं से हुआ, जिसमें वैश्विक कल्याण और लोगों में परस्पर प्रीति रहे वैसी भावना व्यक्त हुई। इसके पश्चात पूज्य आदर्श जीवनदास स्वामी ने अपने मार्गदर्शी प्रवचन में कहा कि "जैसे रक्षाबंधन के दिन एक बहन भाई की रक्षा हेतु उसकी कलाई पर राखी बांधती है, वैसे ही उपनिषद आदि ग्रंथ दुर्गुणों से दूर रखकर हमारी रक्षा करते हैं। इस पर्व का मर्म यही समझने में है कि भगवान सभी भक्तों की हर क्षण रक्षा करते हैं।"

तत्पश्चात् ब्रह्मस्वरूप महंत स्वामी महाराज के प्रातः पूजा का प्रारंभ हुआ। बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के बाल और युवा वृन्द के स्वयंसेवकों ने गुरु के चरणों में सामाजिक दूषणों और व्यसनों से रक्षा करने की प्रार्थना की। हरिभक्तों ने भी रक्षाबंधन के पर्व और उसकी भावना के अनुरूप विविध भक्ति कीर्तनों का गान किया। उस क्षण पूरी सभा उत्सव की भावना, आध्यात्मिक आनंद और भक्ति से भर गई।

इसके बाद ब्रह्मस्वरूप महंतस्वामी महाराज ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि "हमें हमारी आत्मा की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि हमारा देह नश्वर है। हमारी आत्मा की रक्षा के लिए हमें भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए। जब भगवान और उनके एकांतिक संत हमारी रक्षा करते हैं, तभी हमारी आत्मा का कल्याण होता है। सत्संग में आने से आत्मा की रक्षा होती है। भगवान और संत जन्म मरण के चक्रव्यूह से हमारी रक्षा करते हैं। इसी कारण से भगवान की आज्ञा में रहना चाहिए।"

आज के समारोह में सांसद और मिनिस्टर ऑफ स्टेट, मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर्स, रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्रीज़, हर्ष मल्होत्रा भी उपस्थित थे। सभा में उनका सम्मान किया गया। तत्पश्चात सभा में उपस्थित हरिभक्तों की कलाई पर राखियां बांधी गई, जो दिव्यता, सुरक्षा, प्रगति और समर्थन का प्रतीक है। आज का यह उत्सव एकता, सुहृदभाव और परस्पर प्रीति की भावना को प्रबल करने की प्रार्थनाओं से समृद्ध हुआ।