'सीता-राम' सिर्फ हिन्दुओं के धरोहर नहीं... : Javed Akhtar ने किया का जयघोष, रामायण को बताया सांस्कृतिक विरासत

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DESK : अक्सर अपने विवादित बोल और बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले दिग्गज बॉलीवुड गीतकार जावेद अख्तर एक बार फिर सुर्खियां बटोर रहे हैं। जावेद अख्तर अक्सर किसी न किसी मुद्दे पर अपनी राय बेबाकी से जाहिर करते रहते हैं, लेकिन हाल ही में उन्होंने भगवान राम और माता सीता को लेकर भी अपनी राय जाहिर की है। उन्होंने कहा कि राम और सीता सिर्फ भगवान नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत भी हैं। इतना ही नहीं उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान सिया राम का जयघोष भी किया।


हाल ही में दिवाली पर आयोजित समारोह के दौरान हिंदू संस्कृति में सहिष्णुता की सराहना की है। दरअसल दिवाली के मौके पर मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे द्वारा आयोजित दीपोत्सव कार्यक्रम का भव्य आयोजन शिवाजी पार्क में किया गया। कार्यक्रम के दौरान ही कवि और गीतकार जावेद अख्तर ने कहा कि भगवान राम और सीता न केवल हिंदू देवी-देवता हैं बल्कि उन्हें भारत की सांस्कृतिक विरासत कहा जा सकता है।


जावेद अख्तर ने आगे कहा कि रामायण भारत की सांस्कृतिक विरासत है और उन्हें राम और सीता की भूमि पर पैदा होने पर गर्व है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मैं नास्तिक हूँ फिर भी राम और सीता को इस देश की संपत्ति मानता हूँ, इसीलिए यहाँ आया हूँ। रामायण हमारी सांस्कृतिक विरासत है। यह आपकी रुचि का विषय है। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं राम और सीता की धरती पर पैदा हुआ, जब भी हम मर्यादा पुरूषोत्तम की बात करते हैं तो राम और सीता ही याद आते हैं। तो आज से जय सियाराम। इतना ही नहीं गीतकार ने समारोह में मौजूद लोगों से भी 'जय सिया राम' के नारे लगाने को कहा।


कार्यक्रम के दौरान जावेद अख्तर ने लखनऊ में अपने बचपन के दिनों को याद किया और कहा कि वहां लोग 'जय सिया राम' कहकर एक-दूसरे का स्वागत करते थे। उन्होंने कहा, 'मैं लखनऊ से हूं। बचपन में मैं अमीर लोगों को गुड मॉर्निंग कहते देखता था, लेकिन सड़क से गुजरता आम आदमी कहता था, जय सिया राम। इसलिए सीता और राम को अलग-अलग सोचना पाप है। सिया राम शब्द प्रेम और एकता का प्रतीक है। बस एक ने सिया और राम को अलग कर दिया। उसका नाम रावण था। तो जो अलग होगा वो रावण होगा। तो आप मेरे साथ तीन बार जय सिया राम का जाप करें। आज से बोलो जय सिया राम।