श्रावणी मेला 2024 : सावन की तीसरी सोमवारी आज, जानिये इस दिन का महत्व

Edited By:  |
Reported By:
shrawni mela 2024 shrawni mela 2024

देवघर : श्रावण की तीसरी सोमवारी पर देवघर के बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ी है. रविवार देर रात से ही जलार्पण के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगने लगी. बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ पर जलार्पण कर पूजा अर्चना कर रहे हैं. श्रावण की तीसरी सोमवारी को दिन और तिथि के दृष्टिकोण से अतिविशिष्ट माना जा रहा है. श्रावण मास, सोमवार और शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि होने के कारण आज का दिन सभी दृष्टिकोण से श्रेष्ठ माना जा रहा है. जानकारों के अनुसार आज के दिन शिवलिंग पर दूध और गंगाजल अर्पित करने से सभी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

समुंद्र मंथन के दौरान आज इस रत्न की हुई थी प्राप्ति

श्रावण के प्रत्येक सोमवार को समुद्र मंथन से समृद्धि के द्योतक की प्राप्ति हुई थी. तीसरे सोमवार को समुद्र मंथन से कौस्तुभ मणि की प्राप्ति हुई थी. इसलिए तीसरे सोमवार को शिव की आराधना से धन,वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

राजा दक्ष ने चंद्रमा को दिया था श्राप

महाबली राजा दक्ष की 27 पुत्रियों का विवाह चंद्रमा से हुई थी. लेकिन चंद्रमा इनमें से रोहिणी को सबसे ज्यादा प्यार करते थे. यही कारण है कि चंद्रमा की बाकी पत्नियां इससे नाराज थी. रोहिणी को छोड़ राजा दक्ष की बाकी 26 पुत्रियां चंदमा की शिकायत अपने पिता से की. शिकायत सुनते ही राजा दक्ष क्रोधित हो गए और उन्होंने चंद्रमा को क्षय अथवा विलुप्त होने का श्राप दे दिया. श्राप मिलने की तकलीफ में चंद्रमा ने महादेव की घोर तपस्या की. तब भगवान शिव ने चंद्रमा से कहा कि राजा दक्ष उनके ससुर हैं और वह उनका सम्मान करते हैं. उनके श्राप को काट नहीं सकते. फिर भी भोलेदानी ने चंद्रमा को 15 दिन क्षय और 15 दिन शक्ति में रहने का आशीर्वाद दिया. यही कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की कहानी है. इसलिए पूर्णिमा के अगले दिन से चंद्रमा की शक्ति घटने लगती है जो अमावस्या को समाप्त हो जाती है जो कृष्ण पक्ष कहलाता है. वहीं अमावस्या के दूसरे दिन यानी प्रतिपदा से चंद्रमा अपने शक्ति में आने लगते हैं जो शुक्ल पक्ष कहलाता है.

आज इस विधि से पूजा करने से ये मिलता है लाभ

आज शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि है. जिसे चंद्रमा का आविर्भाव तिथि माना जाता है. चंद्रमा को सोम या सोमेश्वर भी कहते हैं. आज सावन माह की सोमवारी भी है. वैसे तो पूरा सावन माह भोलेनाथ का सबसे प्रिय होता है. यही कारण हैं कि आज के दिन शिवलिंग पर दूध अर्पण करने से विद्यार्थियों के अस्थिर मस्तिष्क स्थिर होता है. धन की कमी दूर होता है,स्वास्थ्य लाभ मिलता है और जिसे पुत्री की चाहत है उसे पुत्री की प्राप्ति हो जाती है.

खुद उपायुक्त कर रहे हैं हर गतिविधि की मॉनिटरिंग

तीसरी सोमवारी को दिन और तिथि के अनुसार इसे श्रेष्ठ माना जा रहा है. यही कारण है कि रविवार देर रात में ही श्रद्धालुओं की कतार मंदिर से रुट लाइन में 10 किलोमीटर लंबी लग गई थी. देर रात से ही जिला उपायुक्त विशाल सागर मेला क्षेत्र की हर गतिविधियों पर नज़र बनाये हुए हैं. इतनी बड़ी तादाद में जलार्पण के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं को सुलभ जलार्पण कराना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है. इसके लिए प्रशासन द्वारा अतिरिक्त दंडाधिकारी,पुलिस पदाधिकारी और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है. तीसरी सोमवरी पर देवघर में 3 लाख से अधिक की भीड़ जुटने की उम्मीद की जा रही है. सभी को कतारबद्ध तरीके से जिला प्रशासन द्वारा सुलभ और सुरक्षित जलापर्ण कराया जा रहा है. आज सुबह 4 बजकर 3 मिनट में बाबा मंदिर का पट खोला गया. तब से लगातार श्रद्धालु बाबा का जलापर्ण कर रहे हैं.