शिक्षा नहीं तो कुछ भी नहीं... : प्रशांत किशोर ने लालू-नीतीश पर बोला हमला, बताई बिहार की दुर्दशा की कहानी

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गोपालगंज : चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज के फाउंडर प्रशांत किशोर ने गोपालगंज में बिहार की ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए लालू- नीतीश को आड़े हाथों लिया है। कहा कि किसी राज्य की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो जाए तो उसकी आने वाली 2 पीढ़ियां अनपढ़ हो सकती है। वहीँ प्रशांत ने शिक्षा का महत्व समझाते हुए बताया कि गरीबी से निकलने का एकमात्र साधन शिक्षा ही है।

जन सुराज पदयात्रा के 114 वें दिन की शुरुआत गोपालगंज के थावे प्रखंड अंतर्गत धतीवाना पंचायत के वार्ड नं 1 शिव मंदिर के समीप स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से की। इसके बाद प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ धतिवाना पंचायत के बिशंबरपुर गांव से पदयात्रा के लिए निकले। आज जन सुराज पदयात्रा गोपालगंज के थावे प्रखंड के धतिवाना पंचायत के बिशंबरपुर गांव से होते हुए लछवार, उचकागांव प्रखंड में प्रवेश करते हुए इटवा, बंकी खाल, धरमान टोला, मीरगंज नगर पंचायत सलेमपट्टी पहुंची। जहां प्रशांत किशोर पत्रकारों के साथ प्रेस वार्ता किया। इस के बाद पदयात्रा का हुजूम हरखौली उत्तर टोला, बरवा कापापुरा गुजरत हुए हथुआ प्रखंड के मुनेरा गांव के रास्ते हथुआ नगर पंचायत सिंघहा पंचायत के बसडिला, सेमराव स्टेडियम स्तिथ जन सुराज पदयात्रा शिविर में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची।

बिहार की ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी राज्य की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो जाए तो उसकी आने वाली दो पीढ़ियां अनपढ़ हो सकती है। प्रशांत ने शिक्षा का महत्व समझाते हुए बताया कि गरीबी से निकलने का एकमात्र साधन शिक्षा है। अपने जीवन का अनुभव साझा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि जैसे हमारे दादा बैलगाड़ी चलाते थे। लेकिन बाबूजी (पिताजी) हमारे पढ़े तो डॉक्टर हो गए, हम लोग सरकारी स्कूल से पढ़े हैं, तब भी यहां बैठ कर बात कर रहे है। उन्होंने कहा कि यदि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई होगी ही नहीं तो कोई गरीब का बच्चा बिहार में आगे नहीं निकल सकता। बिहार की यह दुर्दशा इसलिए है क्योंकि समतामूलक शिक्षा व्यवस्था बनाने के नाम पर गुणवत्ता की चिंता, शिक्षकों की चिंता, बच्चों की चिंता किये बिना लालू-नीतीश ने राज्य में बस हर जगह स्कूल खोल दिया।

प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जब कोरोना के दौरान हजारों लोगों की मृत्यु हुई, जब बिहार के लोग दर-दर की ठोकर खाकर पूरे भारत से पैदल लौट रहे थे। तब नीतीश कुमार अपने बंगले से नहीं निकले और उन बच्चों के लिए कोई प्रयास नहीं किया। प्रशांत ने कहा कि कोरोना के समय मैंने नीतीश कुमार को फोन किया कि दिल्ली में लड़के फंसे हुए हैं, इसलिए कुछ अफसरों को दिल्ली में बैठा दीजिए ताकि बच्चों को बस के सहारे बिहार लाया जा सके। अगर बिहार सरकार ने दिल्ली में 20 अफसरों को बैठा कर भी 100 बसों की भी व्यवस्था कर दी होती तो यह स्थिति सुधर सकती थी। लेकिन नीतीश कुमार ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया।

उन्होंने गोपालगंज में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जन सुराज पदयात्रा के माध्यम से हमारा प्रयास है की जैसे दही से मथकर मक्खन निकाला जाता है ठीक वैसे ही समाज से मथकर अच्छे लोगों को निकालना है। पदयात्रा के दौरान हम गांव, पंचायतों में जाकर लोगो से पूछ रहे हैं कि समाज में ऐसे कौन लोग है जो ठग नहीं है। एक बार समाज में ऐसे लोगों को चुनकर निकल दे चाहे वो गरीब हो या अमीर, अगड़ा हो या पिछड़ा, हिन्दू हो या मुसलमान, महिला हो या पुरुष। फिर इनके पीछे अपनी ताकत, शक्ति, पैसा लगाकर उन्हें चुनाव लड़वाकर जनता के आशिर्वाद और समर्थन से उन्हें जीता कर लाएंगे। जन सुराज का मतलब समझाते हुए प्रशांत किशोर ने कहा की जन सुराज मतलब जनता का सुंदर राज है।


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