बहुत कठिन है झारखंड NDA में सीट बंटवारा : पढ़ लीजिये किन-किन सीटों पर फंस रहा है पेंच ? इन पर तो अड़ गई BJP-AJSU! JDU-NCP और LJP(R)भी..
रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कभी भी हो सकता है लेकिन अब भी एनडीए और इंडिया अलायंस में सीट बंटवारे का पेंच नहीं सुलझ पाया है. सभी दल अपने-अपने लिए ज्यादा से ज्यादा सीट की मांग कर रहे हैं. आज हम बात करते हैं एनडीए की. सुदेश महतो की आजसू पार्टी के साथ भाजपा का गठबंधन लगभग तय माना जा रहा है, जबकि जदयू, लोजपा (आर) और एनीसीपी (अजित पवार गुट) भी एनडीए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ना चाहते हैं. हालांकि, चारों दलों का गठबंधन होता है तो फिर सीट बंटवारे का मसला सुलझाना आसान नहीं होगा. खबर है कि विधानसभा की दर्जन भर से ज्यादा सीटों पर पेंच फंस रहा है. इन सीटों पर गठबंधन में शामिल होनेवाले दो या इससे अधिक दल चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। तो चलिए हम आपको सीटवार बताते हैं कि आखिर वो कौन-कौन सीट है जहां विवाद है...
गांडेय में कौन देगा कल्पना सोरेन को टक्कर ?
शुरुआत करते हैं गांडेय विधानसभा सीट की...2024 में गांडेय विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा-आजसू के गठबंधन में पेंच फंस गया था। आजसू यहां से अपने नेता अर्जुन बैठा को प्रत्याशी बनाना चाहती थी, जबकि भाजपा ने दिलीप वर्मा को चुनाव मैदान में उतार दिया। बाद में अर्जुन बैठा निर्दलीय चुनाव में उतर गए, नतीजा दोनों की हार हो गई और बाजी तीसरा मार गया। तब अर्जुन बैठा को बतौर निर्दलीय उम्मीदवार करीब 6 हजार 960 वोट मिले थे जबकि बीजेपी प्रत्याशी दिलीप कुमार वर्मा को 82 हजार 678..आपको बता दें कि अर्जुन बैठा जब साल 2019 में आजसू के टिकट पर चुनाव लड़े थे तब उन्हें 15 हजार 361 वोट मिले थे...इस नाते आजसू इस सीट पर अपना दावा कर रहा है लेकिन चूंकि पिछले दिनों जेएमएम से गांडेय के पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा की भाजपा में वापसी हो गई है, ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि गांडेय से जयप्रकाश वर्मा ही भाजपा के प्रत्याशी होंगे। ऐसे में आजसू को इस बार भी यह सीट मिलती नहीं दिख रही है...
मांडू पर जेडीयू के दावे से फंसा पेंच !
इधर, जदयू प्रदेश कार्यसमिति ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव पारित कर पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व को सौंपा है, उनमें मांडू प्रमुख है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो इस सीट से अपने बेटे दुष्यंत पटेल को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं. दूसरी तरफ, इस सीट पर आजसू की भी दावेदारी है. पार्टी यहां से तिवारी महतो को प्रत्याशी बनाना चाहती है. अगर पिछले विधानसभा चुनाव परिणाम की बात करें तो यहां से जेपी पटेल भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे. जेपी पटेल को 49 हजार 855 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर यहां आजसू के निर्मल महतो रहे थे, निर्मल महतो को 47 हजार 793 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर जेएमएम के रामप्रकाश भाई पटेल रहे. उन्हें जेएमएम 44 हजार 768 वोट मिले. जाहिर तौर पर यहां से आजसू का क्लेम बनता भी है क्योंकि जेपी पटेल बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में जा चुके हैं और उन्होंने हजारीबाग से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था. थोड़ा और पीछे की बात करें तो साल 2005 में यहां से मौजूदा जेडीयू के राज्यसभा सांसद खीरु महतो भी चुनाव जीत चुके हैं. तब उन्हें 33 हजार 350 वोट मिले थे. इस नाते जेडीयू भी रेस में है.
चंदनकियारी से अमर बाउरी या कोई और ?
इसी तरह, चंदनकियारी सीट को लेकर भी बड़ा पेंच है। भाजपा नेता और नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी की यह सीटिंग सीट है और वे यहां से वर्ष 2014 से ही चुनाव जीत रहे हैं। ऐसे में यह सीट आजसू को मिलना संभव नहीं लग रहा है। दूसरी तरफ, उनके प्रतिद्वंदी रहे आजसू के केंद्रीय महासचिव सह पूर्व मंत्री उमाकांत रजक इस बार भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। अमर बाउरी किसी और सीट से चुनाव लड़ें, यह भी संभव नहीं लग रहा है। अब चलिए ये भी जान लीजिए कि आखिर इस सीट पर आजसू अपना उम्मीदवार क्यों देना चाहता है..साल 2019 के आम चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट अमर कुमार को कुल 67 हजार 739 वोट मिले थे और वो 9 हजार 211 वोट से आजसू उम्मीदवार उमाकांत राजक को हराया था. उमाकांत रजक को तब 58 हजार 528 वोट मिले थे. जेएमएम कैंडिडेट बिजय कुमार रजवार 36 हजार 400 वोट लाकर तब तीसरे नंबर पर रहे थे...साल 2014 में भी यहां से अमर बाउरी बतौर जेवीएम उम्मीदवार जीते थे, जबकि साल 2009 में यहां से आजसू प्रत्याशी उमाकांत रजक 36 हजार 620 वोट लाकर चुनाव जीते थे.
हुसैनाबाद में एनसीपी (अजित पवार गुट) या फिर आजसू ?
हुसैनाबाद विधानसभा सीट पर भी रस्साकसी है...यहां से आजसू पार्टी पूर्व विधायक शिवपूजन मेहता को उम्मीदवार बनाना चाहती है। कभी बसपा के विधायक रहे शिवपूजन मेहता पिछले विधानसभा चुनाव में ही आजसू में सम्मिलित होकर एनसीपी के प्रत्याशी रहे कमलेश सिंह के खिलाफ चुनाव लड़े थे। हालांकि कमलेश सिंह से वे चुनाव हार गए थे। एनसीपी अजीत पवार गुट में फिलहाल कमलेश सिंह हैं..ऐसे में एनडीए फोल्डर के तहत चुनाव लड़ने पर यह सीट उन्हें मिलनी तय है। चर्चा है कि इस सीट से कमलेश सिंह इस बार अपने बेटे सूर्या सिंह को चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं। बात पिछले चुनाव की करें तो कमलेश कुमार सिंह ने एनसीपी उम्मीदवार के तौर पर 41 हजार 293 वोट लाया था और राजद प्रत्याशी संजय सिंह यादव को 9 हजार 849 वोट से शिकस्त दी थी...संजय यादव को 31 हजार 444 वोट मिले थे...यहां आजसू उम्मीदवार कुशवाहा शिव पूजन मेहता 15 हजार 544 वोट लाकर पांचवें नंबर पर रहे थे...लेकिन चूंकि शिवपूजन मेहता साल 2014 में यहां से बतौर बसपा उम्मीदवार 57 हजार 275 वोट लाकर 27 हजार 752 वोटों के भारी अंतर से जीत का परचम लहरा चुके हैं..आजसू चाहता है कि ये सीट उसकी झोली में जाय...
छतरपुर सीट पर भी बीजेपी और आजसू में जिच !
एक अन्य सीट छतरपुर है जिसपर भी गठबंधन में जिच है। जदयू इस सीट पर पूर्व मंत्री सुधा चौधरी को चुनाव मैदान में उतारना चाहता है, जबकि यह भाजपा की सीटिंग सीट है। बताया जाता है कि पूर्व मंत्री राधाकृष्ण किशोर भी जदयू के रास्ते इस सीट पर चुनाव लड़ने के प्रयास में हैं। साल 2019 में इस विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी पुष्पा देवी ने 64 हजार 127 वोट लाकर 26 हजार 792 वोटों के अंतर से राजद प्रत्याशी विजय राम को हराया था...विजय राम को 37 हजार 335 वोट मिले थे जबकि तीसरे नंबर पर आजसू उम्मीदवार राधाकृष्ण किशोर थे..उन्हें 16 हजार 18 वोट मिले...
लोहरदगा और जुगसलाई पर भी नहीं बन रही बात !
इधर, लोहरदगा और जुगसलाई पर भी बीजेपी और आजसू के बीच खींचतान है...कहा जाता है कि साल 2019 में लोहरदगा सीट को लेकर ही आजसू ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया था और अकेले चुनाव लड़ा था...साल 2019 में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार रामेश्वर ओराँव 74 हजार 380 वोट लाकर चुनाव जीते थे..उन्होंने तब कांग्रेस से बीजेपी में आए सुखदेव भगत को 30 हजार 150 वोटों के अंतर से चुनाव हराया था...सुखदेव भगत को 44 हजार 230 वोट मिले थे जबकि तीसरे नंबर पर रही आजसू उम्मीदवार नीरू शांति भगत को 39 हजार 916 वोट मिले थे...बीजेपी और आजसू के बीच वोट बंटने का फायदा रामेश्वर उरांव को मिला था...जुगसलाई की बात करें तो यहां से साल 2019 में जेएमएम कैंडिडेट मंगल कालिंदी ने 88 हजार 581 वोट लाकर 21 हजार 934 वोटों से बीजेपी उम्मीदवार मोचीराम बाउरी को मात दी थी...तीसरे नंबर पर आजसू प्रत्याशी रामचंद्र सहिस थे जिन्हें 46 हजार 779 वोट मिले थे...आजसू का दावा यहां इसलिए मजबूत बनता है क्योंकि साल 2009 से लेकर 2014 तक यहां से रामचंद्र सहिस ही जीतकर सदन पहुंचे थे...
कई और सीटों पर है खींचतान !
इनके अलावा भी कुछ और सीट है जिनपर एनडीए के सहयोगी दलों के अंदर दावेदारी का खेल चल रहा है...देखने वाली बात होगी कि आखिर कैसे इसको शॉर्टआउट किया जाता है...लेकिन अगर मिल बैठकर सीट विवाद सुलझा लिया गया तो 2019 का प्रदर्शन 2024 में दोहराना हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के लिए आसान नहीं रहनेवाला है...वैसे इस समस्या से खुद हेमंत सोरेन को भी दो चार होना है क्योंकि कांग्रेस भी पिछली बार की तुलना में कुछ और सीटों की डिमांड कर रही है...राजद भी चाहता है कि इस बार उसे वैसी सीट दी जाय जो जिताउ हो...बहरहाल क्या होता है..कशिश की नजर इसपर है और हमारी कोशिश होगी कि सबसे पहले जो भी डेवलपमेंट सामने आता है हम आपतक लेकर आएं..