संयुक्त भारत-अफ्रीका स्मृति स्तंभ का अनावरण : प्रथम विश्व युद्ध के सैनिकों को दी गई श्रद्धांजलि, रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ हुए शामिल

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NEWS DESK :केन्या के तैत टवेटा काउंटी स्थित माइल 27 पर एक भावपूर्ण समारोह में संयुक्त भारत-अफ्रीकाWar Memorial (स्मृति स्तंभ ) का अनावरण किया गया. यह स्तंभ प्रथम विश्व युद्ध के दौरान पूर्वी अफ्रीकी मोर्चे पर अपने प्राणों की आहुति देने वाले अज्ञात भारतीय और अफ्रीकी सैनिकों के अदम्य साहस और बलिदान को समर्पित है.

इस स्मृति स्तंभ का अनावरण रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ और केन्या की रक्षा मंत्री मा. रोसालिंडा सोइपान तूया,ईजीएच,कैबिनेट सचिव,रक्षा मंत्रालय,गणराज्य केन्या द्वारा संयुक्त रूप से किया गया. इस अवसर पर केन्या रक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारी,तैत टवेटा काउंटी के गणमान्य जनप्रतिनिधि,भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधिमंडल तथा राजनयिक और सैन्य समुदाय के सदस्य उपस्थित थे.

यह महत्वपूर्ण पहल केन्या में भारतीय उच्चायोग के रक्षा विंग द्वारा प्रारंभ की गई थी और इसे भारत के रक्षा मंत्रालय के आर्थिक सहयोग से मूर्त रूप दिया गया. इस परियोजना को केन्या रक्षा बलों तथा तैत टवेटा काउंटी के अधिकारियों के सहयोग से क्रियान्वित किया गया.

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान,1.4 मिलियन से अधिक भारतीय सैनिकों ने युद्ध में भाग लिया. यह पहला अवसर था जब भारतीय सेना को इतनी बड़ी संख्या में विदेशी भूमि पर तैनात किया गया था,वह भी भारत से भिन्न जलवायु और परिस्थियों में. पूर्वी अफ्रीका में जर्मन सेनाओं का मुकाबला करने हेतु दक्षिण अफ्रीकी,रोडेशियन और भारतीय सैनिकों का मिश्रित बल तैनात किया गया था. हालांकि भारतीय सेना के योगदान को अक्सर संयुक्त युद्ध स्मारकों में पर्याप्त स्थान नहीं मिलता. केन्या में केवल 1235 सैनिकों की स्मृतियाँ दर्ज हैं,जिनमें 1151 भारतीय सैनिक हैं,जो एक्सपेडिशनरी फोर्स बी का हिस्सा बनकर मोंबासा पहुंचे थे.

1914 से 1918 की अवधि में लगभग 50,000 भारतीय सैनिकों ने पूर्वी अफ्रीका में कदम रखा,जिनमें से किसी भी समय लगभग 15,000 सैनिक सक्रिय मोर्चे पर तैनात रहते थे. कुल 2,972 सैनिक युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए,2003 घायल हुए,और 43 सैनिक लापता या बंदी बनाए गए–कुल मिलाकर 5018 भारतीय सैनिक हताहत हुए. इनके अतिरिक्त भी अनेक सैनिक ऐसे थे जिनकी कोई ज्ञात कब्र नहीं है–वे‘अज्ञात भारतीय सैनिक’की भावना को जीवंत करते हैं. इसी प्रकार,अनेक अफ्रीकी/ केन्याई सैनिक भी भारतीय सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़े,किंतु अब तक उनके लिए कोई समर्पित स्मारक या कब्र नहीं थी.

माइल 27 पर स्थित यह स्मारक स्थल,जहाँ ऐतिहासिक मिलस्टोन भी स्थित है,भारत और केन्या के साझा बलिदान और स्थायी मित्रता का प्रतीक है. यह स्तंभ न केवल शहीदों की स्मृति को समर्पित है,बल्कि भारत और केन्या की संयुक्त सैन्य विरासत की गहराई और गौरव की भी गवाही देता है.

यह पहल भारत-केन्या रक्षा सहयोग को और अधिक सुदृढ़ बनाती है,जो आपसी सम्मान,साझा मूल्यों और वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के प्रति समर्पणपरआधारितहै.

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