पिता ने बिटिया को दिया सबसे बड़ा तोहफा : चांद भी कर चुके हैं बेटी के नाम, एक बार फिर पेश की मिसाल

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मधुबनी : घर की रौनक बेटियां हर पिता को जान से प्यारी होती है। कहा जाता है कि जिस घर में बेटियां रहती हैं, वहां खुशियाँ अपने आप आ जाती है। घर में बेटी का जन्म लेना सौभाग्य होता है।


इस भौतिकवादी संसार में जहां लोग जन्मदिन पर रंग बिरंगे उपहार देते हैं। वहीं चिकित्सक सुरविंद्र झा ने अपनी चांद सी बिटिया आस्था जिसे मून गर्ल से विभूषित किया है उसे उसकी 12 वीं जन्मदिन पर देहदान जैसा उपहार भेंट किया है।

बताते चलें कि डॉक्टर झा ने दधीचि देहदान समिति पटना को अपना अंगदान देने की घोषणा पत्र दी है। जिसमें उन्होंने कहा कि मेरी पुत्री को कभी ईश्वर ऐसा ना करें लेकिन ऐसे कोई अंग की जरूरत पड़ी तो उसे स्वयं देने की घोषणा कर दी है। वहीं मृत्युपरांत जरूरतमंद लोगों को अंग दान देने के लिए घोषणा पत्र दी। दधीचि देहदान समिति बिहार को डाॅ सुरविंद झा ने अपने देहदान संकल्प पत्र में कहा है कि अपने बेटी के जन्म दिन पर स्वस्थ, दीर्घ, उत्कर्षमय जीवन हेतु आवश्यक पड़ने पर शरीर का कोई भी अंग दे दी जाएगी। इसके लिए पिता पुत्री ने मेडिकल जांच कराकर भी सौंप दिया है। जिससे भविष्य में कभी परेशानी नहीं होगी। मृत्युपरांत जरूरतमंद लोगों को आंख, किडनी, लीवर, हृदय, त्वचा समेत सम्पूर्ण शरीर दान दे दिया है।


उन्होंने निःस्वार्थ रूप से मानवता की रक्षा और सेवा हेतु उक्त क़दम उठाया है। उन्होंने कहा कि एक जमाना था कि एक बेटा श्रवण कुमार अपने माता पिता को टोकरी में लेकर चारों धाम को निकल गये थे। वहीं रोहिणी आचार्या ने अपने पिता व पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को अपनी एक किडनी देकर उनके जीवन को बचाने के सार्थक प्रयास के साथ ही पूरे समाज के सामने एक नायाब नजीर पेश की। एक बेटी अपने पिता के जीवन रक्षा के लिए अपने जीवन को उत्सर्ग कर सकती है।रोहिणी आचार्या की प्रेरणा से ये अनुठा कदम उठाया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि मृत्युपरांत मृत शरीर को जला दिया जाता है या दफन कर दिया जाता है। जिससे किसी का भला नहीं होता है। अगर अंग को दान में दे दिया जाए तो एक शरीर से छह लोगों को बचाया जा सकता है।

आपको बता दें कि डॉक्टर सुरविंद झा ने 2022 में अपनी इकलौती बेटी आस्था भारद्वाज के जन्म दिन पर चांद पर जमीन खरीद कर उपहार स्वरूप दिया था। लेकिन इस बार उन्होंने बेटी के जन्मदिन पर ये अनूठा उपहार देकर समाज को आईना दिखाया है। वहीँ अपने 12 वें जन्मदिन पर मेरे पिता ने जो उपहार मुझे और पूरे समाज को दिया है वो कल्पना से भी परे है गर्व है मुझे मेरे पिता पर। मरने के बाद भी अंगदान से अगर कई लोगों को जीवनदान मिलता है तो ये एक बेटी को पिता के द्वारा दिया गया सर्वोच्च उपहार है। ऐसे पिता को पाकर मैं धन्य हूँ।


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