पाकुड़ जिला प्रशासन की अनूठी पहल : पाकुड़ में चास हाट पहल से बदल रही है महिला किसानों की जिंदगी

Edited By:  |
Reported By:
pakur jila prashasan ki anuthi pahal pakur jila prashasan ki anuthi pahal

RANCHI : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के आदेश के बाद पाकुड़ जिले में योजनाओं के अभिसरण से बदलाव की दस्तक. चास हाट पहल के जरिए जिले के विभिन्न विभागों की खेती की योजनाओं का लाभ समेकित रुप से सखी मंडल की बहनों को दिया जा रहा है. सखी मंडल की महिलाओं को सशक्त आजीविका से जोड़ने के लिए हॉर्टिकल्चर आधारित अभिनव प्रयास किया गया है. चास हाट नामक इस पहल से ग्रामीण परिवारों की आमदनी में बढ़ोतरी सुनिश्चित की जा रही है. पाकुड़ जिला प्रशासन एवं झारखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के संयुक्त प्रयास से चास हाट पहल के जरिए सखी मंडल की महिलाओं को सब्जी उत्पादन से जोड़कर उनकी जिंदगी में बदलाव के लिए कार्य किया जा रहा है.

चास हाट पहल के जरिए पाकुड़ को हॉर्टिकल्चर हब के रूप में विकसित करने के लक्ष्य से साल 2021 में चास हाट पहल की शुरुआत की गयी थी. इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य सभी संबंधित विभागों के समेकित प्रयास एवं अभिसरण से जिलें में सब्जी, फसलों का उत्पादन एवं विपणन को बढ़ाना है. इसके साथ ही इस परियोजना के माध्यम से लक्षित किसान परिवारों की वार्षिक आय 1 लाख तक सुनिश्चित करना और महिला उद्यमिता को बढ़ावा देना है. एक साल से भी कम समय में जिला प्रशासन एवं जेएसएलपीएस की इस पहल से बदलाव धरातल पर दिखने लगा है. दीदियों की आमदनी बढ़ने लगी है.

पाकुड़ जिले के महेशपुर प्रखण्ड अंतर्गत बलियापतरा गाँव की रहने वाली माया देवी किसी तरह से अपना घर चलाती थी. चास हाट पहल से जुड़कर माया ने 50 डिसमिल जमीन पर सूक्ष्म टपक सिंचाई, उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण के जरिए फुल गोभी , परवल समेत कई सब्जियाँ उगा कर अच्छी आमदनी कर रहीं है. माया बताती है, “ पहले सिंचाई, सही बीज और खाद आदि के अभाव में सही तरीके से खेती नहीं हो पाती थी और लाभ भी नहीं होता था, लेकिन चास हाट पहल की मदद से पिछले सीजन में ही मैंने सिर्फ 17000 रुपए की लागत से सब्जियों की खेती कर कृषि लागत निकाल कर 55,050 रुपए का लाभ प्राप्त किया. चास हाट परियोजना से जुड़कर मुझ में आत्मविश्वास आया है और मैं खेती के जरिए अपने परिवार की स्थिति बदल रही हूँ “.

चास हाट पहल के जरिए जिले के विभिन्न विभागों की खेती की योजनाओं का लाभ समेकित रुप से सखी मंडल की बहनों को चास हाट के जरिए दिया जा रहा है. सिंचाई की समस्या दूर करने के लिए भूमि संरक्षण एवं अन्य विभाग डीप बोरिंग एवं पम्प सेट उपलब्ध करा रहे हैं. वहीं टपक सिंचाई योजना से भी किसानों की मदद की जा रही है.इसी क्रम में मनरेगा द्वारा दीदी बाड़ी योजना अंतर्गत 05 डिसमिल की योजना एवं सिंचाई सुविधा हेतु कूपों की भी व्यवस्था की जा रही है. वहीं झारखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी,केवीके एवं आत्मा के जरिए विभिन्न प्रकार का प्रशिक्षण,क्षमतावर्धन एवं बीज की व्यवस्था की जाती है. इसके अतिरिक्त अपेडा जैसी सरकारी संस्थाओं के सहयोग से उत्पादों का निर्यात अंतरराष्ट्रीय बाजारों में करने का प्रयास भी किया जा रहा है. क्लस्टर स्तरीय सोटिंग ग्रेडिंग केन्द्र,फसल संग्रहण केन्द्र,चास-हाट फॉर्म फ्रेस विपणन केन्द्र एवं सभी पंचायतों में वेज कार्ट (चलंत सब्जी दुकान) आदि की व्यवस्था की जा रही है ताकि कृषि आधारित उद्यमिता को बढ़ाया जा सके.

पिछले वित्तीय साल में चास हाट पहल के जरिए पाकुड़ के करीब 7803 किसानों ने 1712 एकड़ भूमि पर सब्जियों की खेती शुरू की है. इन किसानों ने कम समय में करीब 266 मीट्रिक टन सब्जियों के उत्पादन के जरिए करीब साढ़े चार करोड़ की बिक्री सुनिश्चित की गई है. इस परियोजना के अंतर्गत अब तक जिले के करीब 8000 किसानों एवं 5000 एकड़ भूमि को चिन्हित करते हुए चास-हाट फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी का गठन किया गया है. इन सभी चिन्हित किसानों को 28 कलस्टरों एवं 112 पेचों में विभाजित कर सब्जी की खेती करवाई जा रही है. सालाना 3 से 4 फसलों का उत्पादन करवाना इस योजना के सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक है. इस पहल के जरिए पाकुड़ जिला हॉर्टिकल्चर हब के रुप में स्थापित होने की राह पर है.

चास हाट पहल से पाकुड़ जिले को हॉर्टिकल्चर हब के रुप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है. इस पहल के जरिए ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाकर उनके कारोबार को विस्तार देने का कार्य उत्पादक कंपनी के जरिए किया जा रहा है. महिलाओं के नेतृत्व में कंपनी का बेहतर तरीके से संचालन हो रहा है और महिलाओं की आमदनी भी बढ़ रही है. इस पहल से पाकुड़ जिले की हजारों ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भरता की राह पर है.


Copy