गुवा गोलीकांड की 44वीं बरसी : सीएम हेमंत सोरेन ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि, कई योजनाओं का किया उद्घाटन और शिलान्यास
मुख्यमंत्री ने 201 करोड़ 83 लाख 6 हज़ार 547 रुपए की लागत से 96 योजनाओं का किया उद्घाटन- शिलान्यास, लाभुकों के बीच 103 करोड़ 41 लाख 80 हज़ार रुपए की परिसंपत्तियों का हुआ वितरण
मुख्यमंत्री ने कहा- अपने वीर शहीदों के आदर्श पर चलकर झारखंड को दे रहे हैं नई दिशा
मुख्यमंत्री बोले-
● आदिवासी संघर्षों से बिखरता नहीं है बल्कि और मजबूत होकर सामने आता है
● गुवा गोलीकांड के शहीदों को शत-शत नमन
● आदिवासी- मूलवासी अपने मान -सम्मान और स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं करते
● जितना आदिवासी का खून जमीन पर गिरता है, उतने ही आदिवासी वीर पैदा लेते हैं
● बेटियां हमारी बोझ नहीं मजबूत संपत्ति बनेंगीचाईबासा : कोल्हान समेत पूरे झारखंड के लिए यह एक ऐसा दिन है, जिसे हम ना कभी भूले हैं और ना कभी भूलेंगे। आने वाली पीढ़ी के लिए हमारे वीर शहीद हमेशा आदर्श रहेंगे । ये वीर शहीद सदैव हमारे मार्गदर्शक रहे हैं। ऐसे में इनके आदर्श पर चलकर झारखंड को नई दिशा दे रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन आज पश्चिमी सिंहभूम जिले के नोवामुंडी में गुवा गोली कांड के शहीदों की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा -सह - परियोजनाओं का शिलान्यास- उद्घाटन एवं परिसंपत्ति वितरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे । इस अवसर पर उन्होंने शहीद स्थल में माल्यार्पण कर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
'हमेशा से वीरों की धरती रही है झारखंड'
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड हमेशा से वीरों की धरती रही है। झारखंड का कोई भी ऐसा कोना नहीं है , जहां से वीर शहीदों के नाम आपको सुनने को ना मिले। चाहे अन्याय- शोषण- जुल्म के खिलाफ लड़ाई हो या फिर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंग। हमारे आदिवासी -मूलवासियों ने हमेशा संघर्ष किया ।उन्होंने किसी के सामने कभी झुकना नहीं सीखा। इन्होंने अपने मान -सम्मान और स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। भले ही इसके लिए अपनी कुर्बानी ही क्यों ना देनी पड़े। यही वजह है कि इतिहास के पन्नों में हमारे कई वीर शहीदों के नाम दर्ज है तो कई आज भी गुमनाम है। हमने हमें अपने सभी वीर शहीदों पर गर्व है।
'आदिवासी अपने संघर्ष और ताकत से अपना अधिकार लेते हैं'
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी मूल वासियों के रगों में जो खून दौड़ रहा है, वह जब उफान लेता है तो अपने हक और अधिकार के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देता है। जितना आदिवासी का खून जमीन पर गिरता है, उतने ही आदिवासी वीर पैदा लेते हैं। आदिवासी संघर्षों से बिखरता नहीं है बल्कि और मजबूत होकर सामने आता है । मैं इस बात को दावे के साथ कर सकता हूं कि जिस तरह लंबी लड़ाई के बाद झारखंड अलग राज्य लिया, उसी तरह इस राज्य को और मजबूत बनाने का काम कर रहे हैं।
'2019 में सरकार गठन के साथ चुनौतियों पर चुनौतियां आती रहीं पर विकास को देते रहे रफ्तार'
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2019 में हमारी सरकार के गठन के साथी बड़ी-बड़ी चुनौतियां हमारे सामने आती रही। एक तरफ कोरोना की वजह से झारखंड समेत पूरी पूरी वैश्विक व्यवस्था ठप हो गई थी । ऐसे समय में भी हमारी सरकार ने जीवन आजीविका को बचाने का कार्य किया। इसके बाद भी चुनौतियां कम नहीं हुई। पिछले दो वर्षों में सुखाड़ हमारे हमारे लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय बना रहा। लेकिन, इन विपरीत परिस्थितियों के बीच भी राज्य सरकार की योजनाएं शानदार तरीके से धरातल पर उतर रही हैं और विकास का नया आयाम गढ़ा जा रहा है।
'आपको किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़े'
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में आज भी एक बड़ी आबादी गरीबी की जिंदगी जीने को मजबूर है। यहां वे बिचौलियों- दलालों के चंगुल में फंसे रहते हैं। खाने- पीने के समान से लेकर अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए दलालों से पैसे लेना पड़ जाता है। ऐसे में बिचौलियागिरी खत्म करना हमारा संकल्प है । यही वजह है कि हमारी सरकार ग्रामीण व्यवस्था को मजबूत करने के मकसद से कई योजनाएं लेकर आई है, ताकि आप इन योजनाओं से जुड़कर अपने को सशक्त बनाएं ताकि किसी के आगे आपको हाथ फैलाना नहीं पड़े। उन्होंने कहा कि आने वाले 5 वर्षों में हर घर में एक लाख रुपए हर वर्ष पहुंचानेने का काम हमारी सरकार करेगी, ताकि आपको किसी से कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़े।
'बेटी हमारी बोझ नहीं मजबूत सम्पति बनेंगी'
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटियां हमारी बोझ नहीं मजबूत संपत्ति बनेंगी। अपनी बहन- बेटियों के सशक्तिकरण के लिए सरकार पूरी ताकत के साथ काम कर रही है । उन्होंने लोगों से कहा कि वे अपनी बेटियों को जरूर पढ़ाएं। पढ़ाई पर होने वाले खर्च की चिंता नहीं करें। सरकार बच्चियों की पढ़ाई का पूरा जिम्मा उठा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अपनी बहन बेटियों के तकलीफ और दुःख- दर्द से भली भांति वाकिफ हैं। ऐसे में उन्हें कैसे आगे बढ़ाएं, इस पर सरकार लगातार काम कर रही है। इसी कड़ी में झारखंड मुख्यमंत्री मंइयाँ सम्मान योजना के माध्यम से आधी आबादी को सशक्त बना रहे हैं।
'देश के नीति निर्धारकों ने झारखंड पर नहीं दिया कोई ध्यान'
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश- दुनिया में झारखंड की पहचान सोने के चिड़िया के रूप में है। यहां खनिज -संसाधनों की प्रचुरता है, लेकिन यहां के आदिवासी -मूलवासी आज तक पिछड़े हैं। इसकी साफ वजह है कि देश के नीति- निर्धारकों की नजर में झारखंड की कभी अहमियत नहीं रही। यहां के लोगों को मजदूरी करने के लिए छोड़ दिया गया। वे रोजी-रोटी की खातिर हमेशा पलायन करने को मजबूर रहे । झारखंड को किस कदर दरकिनार किया गया, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज भी इस राज्य का एक लाख 36 हज़ार करोड रुपए केंद्र पर बकाया है । अगर यह पैसा हमें मिल जाए तो झारखंड की दशा और दिशा पूरी तरह बदल देंगे।
77 योजनाओं की रखी गई आधारशिला, 19 का उद्घाटन
मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम में 201 करोड़ 83 लाख 6 हज़ार 547 रुपए की लागत से 96 योजनाओं का उद्घाटन शिलान्यास शामिल है। इसमें 153 करोड़ 33 लाख 3 हज़ार 847 रुपए की 77 योजनाओं की नींव रखी गयी, वहीं 48 करोड़ 50 लाख 2 हज़ार 650 रुपए की 19 योजनाओं का उद्घाटन हुआ। इसके साथ लाभुकों के बीच 103 करोड़ 41 लाख 80 हज़ार रुपए की परिसंपत्तियां बांटी गई।
कार्यक्रम में ये थे उपस्थित
शहादत दिवस कार्यक्रम में मंत्री दीपक बिरूवा, सांसद जोबा मांझी, विधायक निरल पूर्ति, विधायक दशरथ गागराई, विधायक सुखराम उरांव, विधायक सोनाराम सिंकू, कोल्हान प्रमंडल के आयुक्त हरि कुमार केशरी, डीआईजी मनोज रतन चौथे के अलावा पश्चिमी सिंहभूम जिले के उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक समेत जिला प्रशासन के कई अधिकारी मौजूद रहे।
चाईबासा से राजीव सिंह की रिपोर्ट