मुकेश सहनी का 'कूपन' कौन करेगा रिचार्ज? : क्या जेडीयू मुकेश सहनी को फिर से MLC बनाएगा? कब तक मंत्री बने रहेंगे सहनी?
![now-what-will-happen-with-mukesh-sahani-sword-hanging-on-his-minister-and-mlc-post](https://cms.kashishnews.com/Media/2022/March/24-Mar/CoverImage/COimg9493da10bdd8479a90371b47c751625c42.png)
![now-what-will-happen-with-mukesh-sahani-sword-hanging-on-his-minister-and-mlc-post](https://cms.kashishnews.com/Media/2022/March/24-Mar/CoverImage/COimg9493da10bdd8479a90371b47c751625c42.png)
कहा जाता है सियासत में कोई भी दोस्त या दुश्मन स्थायी नहीं होता है। कभी दोस्त, दुश्मन बन जाता है, तो कभी दुश्मन दोस्त। लेकिन क्या हो जब दोस्त पर ही खंजर भोंकने का आरोप लगाकर दुश्मन से हाथ मिला कर उसे दोस्त बना लें और फिर कुछ दिनों बाद उस दोस्त पर भी छुरा घोंपने का आरोप लगाए, तो फिर सियासत में कहीं कोई विकल्प नहीं रह जाता है। बिहार की सियासत में सन ऑफ मल्लाह के नाम से जाने जाने वाले मुकेश सहनी के साथ भी ऐसा ही है। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी पर खंजर भोंकने का आरोप लगाकर गठबंधन तोड़ा और बीजेपी के साथ गए और अब बीजेपी में जब VIP के तीनों विधायक चले गए तो बीजेपी पर भी छुरा भोंकने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन अब सवाल है कि मुकेश सहनी का क्या होगा। क्योंकि 21 जुलाई को उनके एमएलसी की सदस्यता खत्म हो रही है। मंत्री पद पर तलवार लटक रही है। वैसे तेजस्वी ने एक साल पहले ही सदन में अंदेशा जताया था और तंज कसते हुए मुकेश सहनी से पूछा था कि कूपन फिर रिचार्ज होगा कि नहीं। तो सवाल अब वही है कि मुकेश सहनी का सियासी कूपन रिचार्ज होगा कि नहीं औऱ सबसे अहम सवाल मुकेश सहनी का कूपन कौन रिचार्ज करेगा। इस सवाल को समझने के लिए ज़रा MLC चुनाव के अंकगणित को समझिए।
मुकेश सहनी के MLC का कार्यकाल 21 जुलाई को खत्म हो रहा है। मुकेश सहनी समेत 7 एमएलसी का कार्यकाल 21 जुलाई को खत्म होगा। निर्वाचन क्षेत्र के तहत विधायकों के द्वारा सातों MLC चुने गए थे। एक एमएलसी के लिए 31 विधायकों के वोटों की जरूरत होगी। बीजेपी के पास 77 विधायक, जेडीयू के पास 45 विधायक हैं। हम पार्टी के 4 और एक निर्दलीय विधायक के साथ एनडीए के पास कुल 127 विधायक हैं। ऐसे में अंकगणित के मुताबिक बीजेपी के खाते में 3 और जेडीयू के खाते में एक सीट जा सकती है। वहीं विपक्षी खेमे में आरजेडी के 75 विधायक, वाम दल के 16 विधायक, कांग्रेस के 19 विधायक और AIMIM के 5 विधायक हैं। ऐसे में अंकगणित के मुताबिक आरजेडी के खाते में 2 और अन्य के खाते में 1 सीट जा सकती है। मतलब दोबारा MLC बनने के लिए मुकेश सहनी को बीजेपी, जेडीयू या आरजेडी के रहमोकरम पर रहना पड़ेगा। बीजेपी और आरजेडी से पहले से ही मुकेश सहनी के सियासी रिश्ते खराब हो गए हैं। वहीं जेडीयू, मुकेश सहनी को समर्थन देकर बीजेपी से नाराजगी मोल नहीं ले सकती है। ऐसे में मुकेश सहनी का दोबारा MLC बनना फिलहाल संभव नहीं है। वहीं नीतीश सरकार में मंत्री पद भी गंवा सकते हैं मुकेश सहनी।
हालांकि सियासत में कुछ भी संभव है। खास तौर पर तब जब मुकेश सहनी को लेकर जेडीयू में अभी भी नरम रुख बना हुआ है। वहीं जेडीयू के कुछ नेता मुकेश सहनी का खुल कर समर्थन कर रहे हैं। मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि उनके साथ जो हुआ दुर्भाग्यपूर्ण है, मुकेश सहनी उभरते हुए नेता हैं, अपने समाज के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। वहीं मंत्री जमा खान ने तो एक कदम आगे बढ़कर कह दिया मुकेश सहनी हमारे भाई हैं। दोबारा MLC उन्हें बनाएंगे और मंत्रिमंडल में मुकेश सहनी 5 साल तक साथ रहेंगें। वहीं मांझी भी लगातार मुकेश सहनी के समर्थन में नज़र आ रहे हैं। पहले मांझी ने बोचहां सीट VIP को मिलने की वकालत की थी और अब VIP के तीनों विधायक के बीजेपी में शामिल होने पर कहा कि अगर बोचहां सीट के लिए यह सब हुआ है तो यह ठीक नहीं है। जबकि मुकेश सहनी के मंत्री पद से इस्तीफा को लेकर उन्होंने कहा कि 21 जुलाई तक मुकेश सहनी मंत्री हैं, उसके बाद भी मुख्यमंत्री की कृपा पर 6 महीना और भी मंत्री रह सकते हैं। मतलब साफ है बीजेपी ने मुकेश सहनी को भले ही किनारा कर दिया हो, लेकिन मुकेश सहनी अभी भी जेडीयू और मांझी के लिए अपने बने हुए हैं। तो क्या जेडीयू मुकेश सहनी को दोबारा MLC भेजकर उनका सियासी कूपन रिचार्ज करेगा और क्या इसके लिए वो बीजेपी की नाराजगी मोल लेने का खतरा उठाएगा। इसका जवाब आने वाले दिनों में मिल सकता है। लेकिन इतना तय है कि मुकेश सहनी के बहाने आने वाले दिनों में एनडीए में लकीरें और खिचेंगी।