नेहरू को लोक देवता मानते थे दिनकर : भारत को आधुनिक देश बनाने का श्रेय पंडितजी को जाता है

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PATNA : आज बाल दिवस अर्थात 14 नवंबर है, आज के दिन देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ था। बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कह कर बुलाते थे। कहा जाता है कि चाचा नेहरू स्कूली छात्र-छात्राओं एवं बच्चों से बहुत प्यार किया करते थे। विज्ञान को महत्व देते थे। देश की सभ्यता संस्कृति से प्यार करते थे। संभवत यही कारण था कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर उन्हें लोक देवता नेहरू कहा करते थे।

राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित अपनी आत्म संस्मरण में दिनकर पंडितजी को लोक देव नेहरू कहकर संबोधित करते हैं। इस किताब में दिनकर लिखते हैं कि पंडित नेहरू अपने जीवन काल में युवा हृदय सम्राट हुआ करते थे, बाद में उन्हें जनता हृदय सम्राट कहा जाने लगा। उनके निधन के बाद जब विनोबा भावे उनको श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो उन्हें लोक देवता कह कर संबोधित किया। दिनकर खुलकर कहते हैं कि पंडित नेहरू सच में भारतीय जनता के देवता थे। जिस तरह परमहंस रामकृष्ण की कथा के बिना स्वामी विवेकानंद का प्रसंग पूरा नहीं हो सकता उसी तरह गांधी की कथा बिना जवाहरलाल नेहरू अधूरे हैं।

नेहरूजी से दिनकरजी की पहली मुलाकात सन 1948 में बिहार के मुजफ्फरपुर में होती है। उसी मंच पर दिनकर को भी कविता पढ़ने का मौका मिला था। इस अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री डॉ श्री कृष्ण सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। एक बार मिलने के दौरान दिनकर ने नेहरू से पूछा था कि आपने क्या क्या पढ़ा है। नेहरू ने मुस्कुराकर जवाब दिया था कि मुझे फारसी का ज्ञान नहीं है, अंग्रेजी और फ्रेंच के सिवा मैंने थोड़ी हिंदी पढ़ी है। थोड़ा-थोड़ा संस्कृत भी मुझे आता है।

एक जगह दिनकर अपनी संस्मरण में लिखते हैं कि नेहरू बच्चों से बहुत प्यार किया करते थे, यही कारण था कि दिल्ली में बच्चों के लिए स्पेशल पार्क बनाने का निर्णय लिया गया। उनकी बेटी इंदिरा गांधी इस पार्क का क्या नाम रखा जाए इस पर काम कर रही थी। एक दिन इंदिरा गांधी ने दिनकर से पूछा था क्या आनंदग्राम अच्छा रहेगा। तब दिनकर ने इंदिरा से पूछा था कि क्या यह नाम नेहरूजी को पसंद है। उनके ही कहने पर इंदिरा गांधी ने नेहरू के सामने इस पार्क का नाम खेलगांव रखने को कहा था, जो नेहरू को बहुत पसंद भी आया था।

वर्तमान समय में जिस नेहरू के बारे में अनर्गल प्रलाप किया जाता है उस नेहरू के बारे में दिनकर लिखते हैं कि पंडित जी के बारे में इतिहास चाहे जो लिखें, किंतु एक बात तो जरूर लिखेगा कि भारत देश को आधुनिक बनाने की दिशा में जवाहरलाल ने जो अथक प्रयास किया वह विस्मयकारी था।

पंडित जी की दिनचर्या के बारे में दिनकर लिखते हैं कि वह आठ 8 बजे भोर में तैयार हो जाते थे। गांव देहात से आए लोगों से मिलना आरंभ कर देते थे। फिर अपने कार्यालय को निकल जाते थे। अपने काम के प्रति वह इतनी जवाब देह थे कि दोनों सदन में बारी-बारी से उपस्थित हुआ करते थे। दिनकर की मानें तो रात में हरेक दिन नेहरू एक बजे के बाद सोया करते थे और सुबह पांच या छह बजे उठ जाया करते थे।

काम के प्रति पंडितजी सदैव सचेत रहा करते थे। संभवत: यही कारण है कि उनका सचिवालय जबरदस्त काम किया करता था। टेलीफोन से भी समय मांगने पर कोई न कोई ठीक-ठाक जवाब जरूर दिया करता था। संसद सदस्यों द्वारा लिखे गए पत्रों का तो नेहरू हद से ज्यादा सम्मान किया करते थे। कोई भी सदस्य क्यों ना हो सबके पत्र का उत्तर पंडित जी अपने हस्ताक्षर से दिया करता थे। आसान भाषा में कहा जाए तो सबका पत्र नेहरू खुद पढ़ा करते थे।

पंडितजी समय के बहुत पांबद थे। किसी भी सभा में सही समय पर पहुंच जाया करते थे। अगर किसी कारणवश लेट हुआ तो सबसे पहले माफी मांगते थे।

-ROSHAN JHA

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