MLC चुनाव है...महागठबंधन में फिर तनाव है ! : उपचुनाव में कांग्रेस को मिला था गहरा घाव, MLC चुनाव में भी आरजेडी ने नहीं दिया कांग्रेस को भाव

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बिहार में वैसे तो कौन सी सियासी पार्टी कब किसका दोस्त बन जाए, किसका दुश्मन कहा नहीं जा सकता है। लेकिन एक पार्टी है, जो दोस्त बने या दुश्मन रहती है दूसरे के रहमोकरम पर। कांग्रेस। बिहार में पिछले 3 दशकों से ज्यादा से अपनी सियासी ज़मीन तलाश रही कांग्रेस के साथ स्थिति ये है कि गठबंधन में रहने पर उसे आरजेडी की हर बात माननी पड़ेगी, नहीं तो अकेले चलना पड़ेगा और अकेले चलने पर सिर्फ हार ही मिलती है। उपचुनाव के बाद एक फिर से कांग्रेस के सामने यही संकट सामने है 24 सीटों केलिए होने वाले MLC चुनाव में।

इससे पहले साल 2021 में महज 10 दिनों में ही महागठबंधन खंड-खंड हुआ था। महज 10 दिनों के अंदर उपचुनाव की दो सीटों को लेकर सारी एकजुटता की हवा निकल गई थी। कुशेश्वरस्थान सीट पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी में थी, लेकिन उससे पहले ही आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने उम्मीदवार के नामों का ऐलान कर कांग्रेस को गहरा घाव दिया। उपचुनाव में सीटों को लेकर कांग्रेस-आरजेडी में बढ़ा तनाव इस कदर बढ़ा कि एक दूसरे के साथ हाथ मिलाकर चलने का दावा करने वाले नेता एक दूसरे पर जुबानी वार करने लगे। लालू ने तो बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्तचरण दास के लिए भकचोन्हर जैसे शब्द तक का इस्तेमाल कर दिया। तब कांग्रेस प्रभारी भक्तचरण दास ने आरजेडी से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया था। साल बदला, लेकिन आरजेडी का रवैया नहीं बदला। आरजेडी के रवैये से लग रहा है कि वो कांग्रेस को साथ लेकर तो चलना चाहता है लेकिन कांग्रेस का हाथ पकड़कर नहीं, हाथ को दबाकर। जिसकी झलक एक बार फिर 24 सीटों के लिए स्थानीय कोटे से होने वाले MLC चुनाव के बहाने दिख रही है।

दरअसल विधान परिषद के चुनाव को लेकर आरजेडी मुखर है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव लगातार विधानपरिषद चुनाव की रणनीति बनाने और उम्मीदवारों के नाम तय करने में जुटे हैं। यहां तक कि कई उम्मीदवारों के नाम फाइनल भी कर दिए हैं। वहीं आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने कांग्रेस को साफ कह दिया कि जिसका जितना आधार वोट होगा वो उस सीट का हकदार होगा। कांग्रेस को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस को कंप्रोमाइज कर आरजेडी के फैसले को स्वीकार करना चाहिए। हालांकि कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए कह दिया आरजेडी अपनी बात करें, कांग्रेस अपनी बात करेगी।

अंदरखाने से खबर ये है कि आरजेडी, कांग्रेस को सीधे-सीधे 2015 के सियासी समझौते को याद दिला रही है। आरजेडी ने मात्र चार सीटों की पेशकश कर दी, वहीं कांग्रेस नाराज है. कारण है कि कांग्रेस के दावे वाले सीटों पर आरजेड़ी ने पहले ही अपने उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल 2015 के विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस ने पूर्णिया, सहरसा और कटिहार के साथ पश्चिम चंपारण जैसी सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा किया था। कांग्रेस के अंदर से खबर आ रही है कि पार्टी इस बार समझौता नहीं होने की स्थिति में सात से अधिक सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा कर देगी। कांग्रेस की नाराजगी की वजह से ये भी है कि जिस सीट के लिए कांग्रेस पूरी तरह तैयार है, वो सीट पश्चिम चंपारण की है. लेकिन आरजेड़ी ने बिना सलाह के वहां से अपना उम्मीदवार तय कर दिया है. इतना ही नहीं बेगूसराय में भी आरजेडी के उम्मीदवार बकायदा प्रचार में जुट गए हैं. आरजेडी की ओर से बार-बार कांग्रेस को सियासी औकात दिखाया जा रहा है। कांग्रेस को मात्र 4 सीटें देने की बात कही जा रही है। कांग्रेस में इस बात को लेकर नाराजगी है और बिहार कांग्रेस इस बात से आलाकमान को अवगत कराने की बात कह रहा है।

तो वहीं उपचुनाव की तरह महागठबंधन में चल रही खिंचतान पर एनडीए चुटकी ले रहा है। डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि महागठबंधन को जनता से कोई मतलब नहीं है, सिर्फ अपने यह राजनीतिक फायदे के लिए एक साथ हैं। वहीं तारकिशोर प्रसाद ने एनडीए के एकजुट होने का दावा भी किया। साफ है कहने को विपक्ष भले ही बार-बार एकजुट होने का दावा करे, लेकिन जब बात चुनाव और सीट बंटवारे की आती है, तो एकजुटता की हवा निकल जाती है। सो आरजेडी-कांग्रेस के बीच उपचुनाव वाला तनाव फिर से दोहराए तो कोई आश्चर्य नहीं।


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