CM नीतीश से करेंगे शिकायत : पेंशन बंद करने के आदेश पर ACS केके पाठक के खिलाफ नाराज हुए MLC, की बड़ी घोषणा

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MLC angry against ACS KK Pathak on order to stop pension, will complain to CM Nitish MLC angry against ACS KK Pathak on order to stop pension, will complain to CM Nitish

PATNA:-शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर मीडिया में बयानबाजी करने वाले विवि शिक्षक संघ के नेताओं का पेंशन रोकने के आदेश का विरोध शुरू हो गया है.विवि शिक्षक संघ के साथ ही विपक्षी बीजेपी के नेताओं ने केके पाठक के आदेश को आपातकाल जैसी स्थिति बताया है.


बताते चलें कि कि शिक्षा विभाग के उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक रेखा कुमारी ने वीर कुंवर सिंह विवि के कुलसचिव प्रो. रणविजय कुमार को पत्र लिखा था,जिसमें विश्वविद्यालय शिक्षक संघ फुटाव के अध्यक्ष प्रो कन्हैया बहादुर सिन्हा और महासचिव सह MLC संजय सिंह के पेंशन पर रोक लगाने का आदेश दिया है.शिक्षक संघ के दोनो नेताओं पर शिक्षा विभाग के आदेश का विरोध करने को लेकर कार्रवाई की गयी है.शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें सभी विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों को कम से कम पांच क्लास लेने के लिए अनिवार्य करते हुए पत्र लिखा गया था.इस आदेश का विरोध विवि शिक्षक संघ के दोनो नेताओं ने मीडिया के जरिए किया है.इसलिए इन दोनो के पेंशन पर रोक लगायी गयी है.शिक्षा विभाग ने कहा है कि मीडिया या सोसल मीडिया के जरिए आदेश का विरोध करना अनुशासनहीनता की तरह है.इस तरह की गतिविधि कभी भी बर्दास्त नहीं किया जायेगा.


शिक्षा विभाग के इस कार्रवाई के बाद एमएलसी संजय सिंह काफी नाराज हैं.वे वामपंथी पार्टी से जुड़े हैं.इस संबंध में संजय सिंह ने वित्त मंत्री विजय चौधरी से बात की है और सीएम नीतीश से मिलकर केके पाठक की शिकायत करने की बात कही है.संजय सिंह की पार्टी नीतीश सरकार के समर्थन कर रही है.

वही इस मुद्दे पर बीजेपी ने भी केके पाठक के आदेश का विरोध किया है.पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा है कि संघ बनाने और मीडिया में बयान देने को गैर कानूनी घोषित करना शिक्षा विभाग का आदेश आपातकाल जैसा है.सीएम नीतीश कुमार को संज्ञान लेना चाहिए.क्योंकि शिक्षा विभाग में आये दिन नियमों के विरूद्ध एक के बाद एक आदेश निकाले जा रहे हैं.

वहीं बीजेपी के एमएलसी नवल किशोर यादव ने केके पाठक पर निशाना साधते हुए कहा कि उच्च शिक्षा, माध्यमिक, प्राइमरी में षड्यंत्र चल रहा है.यहां खुद की टीआरपी के लिए शिक्षकों के अधिकारों को हनन किया जा रहा है.इसे शिक्षक समुदाय स्वीकर नहीं करेगा.अनुच्छेद 6 में मौलिक अधिकारों में के रूप में स्पष्ट रूप से लिखा गया है हम अपने संगठन को बना सकते हैं और अपने अधिकारों के लिए हम विरोध कर सकते हैं.किसी भी स्थिति में भारत के सांसद और राज्यों का विधान मंडल मौलिक अधिकार को होना नहीं रोक सकता है तो कोई विभाग का अधिकारी कैसे कर सकता है. शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के मौलिक अधिकारों के साथ छेड़छाड़ किया है.जो गाइडलाइन दिया गया है कि कोई शिक्षक संगठन नहीं बन सकता है और कोई सदस्य नहीं हो सकता और कोई सोशल मीडिया पर अपने वक्तव्य को नहीं दे सकता है और इस शिक्षक के अधिकार को कोई ऐसा करेगा तो तमाम विश्वविद्यालय के शिक्षक और विभाग हैं नोटिस नहीं लेगे विवि का मापदंड यूजीसी है ना कि बिहार सरकार. बिहार के राज्यपाल जो विवि के चांसलर होते हैं उनका निर्देश माना जाएगा. राज्य सरकार का जो भी निर्देश दिया जा रहा है वह गैर उचित है. विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव से से आग्रह है कि इस चुनौती को स्वीकार कर शिक्षा विभाग के आदेश को नहीं मानना है.मुख्यमंत्री नियमों को तत्काल प्रभाव से हटा दें वरना हमलोग ईट से ईट बजा देंगे.

बताते चलें कि केके पाठक के अभियान और काम की तारीफ सीएम नीतीश कुमार सार्वजनिक मंच से कई बार कर चुकें हैं.2 नवंबर को गांधी मैदान में आयोजित नियुक्ति वितरण समारोह में सीएम नीतीश के तारीफ पर नवनियुक्त बीपीएससी शिक्षकों ने ताली बजाकर समर्थन किया था.शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर से विवाद में अपर मुख्य सचिव केके पाठक ही भारी पड़े हैं,अब देखना है कि एमएलसी संजय सिंह के मामले में बिहार की नीतीश सरकार का क्या रूख रहता है.


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