मंजिल उन्हीं को मिलती, जिनके सपनों में होती जान : कोडरमा के एक ऐसे किसान जो पथरीले जमीन पर फूलों की खेती से कमा रहे लाखों

Edited By:  |
manjil unhi ko milti , jinke sapnon mai hoti jaan manjil unhi ko milti , jinke sapnon mai hoti jaan

कोडरमा : आज राष्ट्रीय किसान दिवस है. आज हम आपको कोडरमा के एक ऐसे किसान के बारे में बता रहे हैं जिसने पत्थर का सीना चीर कर फूलों की खेती शुरू की. फूलों की खेती के जरिए किसान पप्पू ने न सिर्फ आर्थिक आमदनी का जरिया बनाया बल्कि इसके जरिए वह अपने गांव की 50 से अधिक लोगों को रोजगार भी दे रहा है.


कोडरमा के जिस डोमचांच को बिहार झारखंड की सबसे बड़ी पत्थर की मंडी के रूप में जाना जाता है, उस डोमचांच में पत्थरों के बीच फूलों की खेती की बात सोचना भी बेमानी होगी, लेकिन इसे सच कर दिखाया है, डोमचांच के फुलवरिया के रहने वाले किसान पप्पू कुमार ने. पप्पू ने तीन साल पहले महज 3500 रुपये से 5 कट्ठा जमीन में फूलों की खेती शुरू की और आज पप्पू तकरीबन दो एकड़ भूभाग पर गेंदा और चंद्रमणि फूलों की खेती कर लाखों रुपए की आमदनी कर रहा है.


पप्पू ने जब फूलों की खेती की खेती शुरू की थी तो परिवार और गांव के लोगों ने उसका मजाक उड़ाया था , लेकिन आज उसकी तरक्की और मेहनत देख परिवार के हर लोग उसका इस काम में हाथ बंटा रहे हैं और फूलों की खेती के जरिए पप्पू फुलवरिया के 50 से ज्यादा लोगों को अपने साथ रोजगार भी उपलब्ध करा रहा है. पप्पू के द्वारा खेतों में उपजाए गए फूल बिहार और झारखंड के कई शहरों में सप्लाई किया जाता है और उसके यह फूल भगवान के चरणों में भी चढ़ता है और नेताओं के गले की शोभा भी बनता है.


पप्पू की पत्नी सुमित्रा भी बताती हैं कि जब उसके पति ने पथरीले जमीन पर फूलों की खेती शुरू की थी तो उन्हें भी थोड़ा अजीब लगा था. लेकिन पति के मेहनत और लगन से आज बंजर भूमि पर फूल लहलहा रहे हैं और पूरा फुलवरिया फूलों की खुशबू से महक रहा है और यह देख सुमित्रा भी अपने पति का बखूबी साथ निभा रही है.

फूलों के इन पौधों को पप्पू मध्य प्रदेश से मांगते हैं और 60 दिनों के बाद पौधे से फूल निकलना शुरू हो जाता है. गांव की महिलाएं फूल तोड़ने से लेकर उसकी गुथाई करने में पप्पू का सहयोग करती है. इसके एवज में महिलाओं को अच्छी खासी आमदनी भी हो जाती है. महिलाएं बताती है कि सुख-दुख हर चीज में यह फूल काम आते हैं.

कोडरमा के डोमचांच में जर्रे जर्रे में पत्थर है. ऐसे में पथरीली और बंजर भूमि पर फूल उगाकर पप्पू ने न सिर्फ अपनी इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प की मिसाल पेश की है बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बने हैं.