महाराष्ट्र का सियासी भूचाल : एकनाथ शिंदे की उद्धव ठाकरे को खुली चिठ्ठी...2.5 वर्षों तक चर्चा के लिए क्यों नहीं बुलाया?

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पटना। महाराष्ट्र का सियासी संकट थमने का नाम ही नहीं ले रहा। लगातार गहरा रहे संकट पर बुधवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव आकर एकनाथ शिंदे से आकर चर्चा करने और अपनी बात रखने को कहा था। उसके बाद से इस पर नजर बनी थी कि उद्धव ठाकरे की बातों पर शिंदे किस तरह रिएक्ट करेंगे।

अब एकनाथ शिंदे ने इस मसले पर अपनी बात कही है। शिंदे ने उद्धव ठाकरे को खुली चिठ्टी लिखी है और उसमें उन्होंने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। एकनाथ शिंदे ने कहा कि पार्टी में शिवसेना के विधायकों की बात कभी नहीं सुनी गई और उद्धव ठाकरे के घर के दरवाजे हमेशा उनके लिए बंद रहे। खुली चिठ्ठी में यह कहा गया कि "कई बार निर्वाचन क्षेत्र के काम, अन्य मुद्दों, व्यक्तिगत समस्याओं के लिए सीएम साहब से मिलने का अनुरोध करने के बाद हमें बुलाया जाता और बंगले के गेट पर घंटों खड़ा रखा जाता. मैंने कई बार सीएम को फोन किया पर फोन रिसीव नहीं होता था. आखिरकार हम ऊब जाते और चले जाते. हमारा सवाल ये है कि अपने ही विधायकों के साथ ऐसा अपमानजनक व्यवहार क्यों?" एकनाथ शिंदे ने यह भी लिखा है कि आज बातचीत के लिए बुलाया जा रहा है। इससे पहले 2.5 वर्षों तक क्यों नहीं चर्चा की। राज्यसभा चुनाव में उनपर क्यों अविश्वास जताया गया। चिठ्ठी में यह भी कहा गया कि राज्य में शिवसेना का CM होने के बावजूद पार्टी के विधायकों को वर्षा बंगला (मुख्यमंत्री आवास) जाने का अवसर नहीं मिला। CM के आसपास के लोग तय करते थे कि हम उनसे मिल सकते हैं या नहीं। हमें लगा हमारा अपमान किया गया है।हम मुख्यमंत्री से नहीं मिल पाते थे लेकिन हमारे 'असली विपक्ष' कांग्रेस और NCP के लोगों को उनसे मिलने का मौका मिलता था और यहां तक कि उन्हें उनके निर्वाचन क्षेत्रों में काम के लिए धन भी दिया जाता था।

हिंदुत्व पर एकनाथ शिंदे ने कहा कि जब हिंदुत्व और राम मंदिर पार्टी के लिए अहम मुद्दे हैं तो पार्टी ने हमें अयोध्या जाने से क्यों रोका। आदित्य ठाकरे की अयोध्या यात्रा के दौरान विधायकों को बुलाया गया और अयोध्या जाने से रोका गया।

जाहिर है कि दोनों पक्षों की ओर से अपनी बातें रखी गयी है। लेकिन इसका कोई सकारात्मक नतीजा निकलेगा, इसकी उम्मीद कम है। इससे पहले एकनाथ शिंदे के खेमे ने एक लिस्ट जारी की थी, जिसमें एकनाथ शिंदे के साथ 34 विधायकों के हस्ताक्षर थे।


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