मैट्रिक तथा इंटरमीडिएट लेवल की परीक्षा पर बवाल : उर्दू को शामिल नही किये जाने पर झारखंड छात्र संघ का विरोध
रांची : जिला स्तरीय पदों के लिए मैट्रिक तथा इंटरमीडिएट स्तर की प्रतियोगिता परीक्षा में क्षेत्रीय भाषा के साथ दितीय राजभाषा उर्दू को शामिल नही किये जाने पर झारखंड छात्र संघ एवं अंजुमन फरोग़ ए उर्दू ने कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग के सचिव वंदना डाडले का विरोध किया है।
छात्र संघ के अध्यक्ष एस अली ने 2011 जनगणना अनुसार जिलावार उर्दू भाषियों की संख्या 19 लाख से अधिक है। झारखंड में उर्दू भाषा को क्षेत्रीय भाषा के रूप में 2003 से रखा गया है। एकीकृत बिहार राज्य में उर्दू भाषा को द्वितीय राजभाषा के रूप में 1981 को मान्यता दी गई।
वहीं झारखंड राज्य अलग होने पर बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत उर्दू भाषा को अधिग्रहण कर लिया गया, जिसके आधार पर कैडर बंटवारा के बाद वर्ष 2001 में प्रखंडों एवं जिला मुख्यालयों सहित सरकारी कार्यालयों में उर्दू अनुवादक, सहायक उर्दू अनुवादक एवं उर्दू टंकण पदस्थापित किया गया। ताकि क्षेत्रिय स्तर पर उर्दू भाषी इसका लाभ उठा सके। वही 16 अक्टूबर 2007 को अधिसूचना संख्या 6807 जारी कर द्वितीय राजभाषा उर्दू को जिलावार घोषित किया गया।
जिसके बाद जिलावार प्रारंभिक विद्यालयों में इंटरमीडिएट प्रशिक्षित टेट उत्तीर्ण उर्दू शिक्षकों की बहाली 2014, 2015 में हुई। वही इसके पूर्व जिला वार पुलिस बहाली और दूसरे बहालियों में उर्दू भाषा को क्षेत्रीय भाषा के साथ शामिल रखा गया है।
बैठक में उपस्थित लोगों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह कि कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग की अधिसूचना 8630 को संशोधित कर जिलावार बहाली में क्षेत्रीय भाषा के साथ दितीय राजभाषा उर्दू को शामिल किया जाए। अगर सुधार नही होती है 05 जनवरी 2022 को उर्दू पंचायत कर आंदोलन की घोषणा की जाएगी।