सोशल मीडिया पर छा गए JNU के छात्र और बिहार के प्रोफेसर डॉ ललन कुमार, कहा— मुफ्त सैलरी नहीं चाहिए

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PATNA- बिहार के एक प्रोफेसर और जेएनयू के छात्र डॉ ललन इन दिनों सोशल मीडिया पर छा गए हैं। उन्होंने दो साल की सैलरी लगभग 23 लाख रुपए लेने से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि इन दो सालों के दौरान बच्चे एक दिन भी पढ़ने नहीं आए। इसलिए मैं वेतन लेने से इंकार करता हूं।

मामला प्रकाश में आते ही बिहार के प्रोफेसर साब सोशल मीडिया में छा गए हैं। लोग जमकर उनकी प्रशंसा कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि किसने क्या कहा है—

सुशील सुमन लिखते हैं कि डॉ. ललन का यह सत्याग्रह अद्भुत है! लेकिन जैसा कि कई साथियों ने कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था को शायद ही इससे कोई फ़र्क़ पड़े! बिहार विश्वविद्यालय, मुज़फ़्फ़रपुर को तत्काल ऐसे अनूठे शिक्षक का तबादला उस संस्थान में करना चाहिए, जहाँ कक्षाएं नियमित चलती हों। साथ ही उन्हें डॉ. ललन को साग्रह यह पैसा वापस करना चाहिए। वे न मानें तो भी उन्हें मनाने की हरसंभव कोशिश करनी चाहिए।

Shrimant Jainendra का कहना है कि जेएनयू में हमलोगों के क्लासमेट रहे डॉ. ललन ने 2019 में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में बिहार यूनिवर्सिटी ज्वाइन किया था। ललन पढ़ने-पढ़ाने में रुचि रखने वाले रहे हैं। अगर हमलोग पढ़ाई के समय गलती से उनके कमरे में चले जाते थे तो वो असहज हो जाते थे। पढ़ाई के आगे उनके लिए सब कुछ बेकार था। बिहार यूनिवर्सिटी में उनकी पोस्टिंग ऐसी जगह पर हुई जहाँ उनको एक भी बच्चे को पढ़ाने का मौका ही नहीं मिला। इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी के 2 साल 9 महीने का वेतन 23 लाख 82 हजार 228 रुपये विश्वविद्यालय के कुलसचिव को लौटा दिया। उन्होंने कहा कि अगर शिक्षक ऐसे ही बैठकर सिर्फ सैलरी लेते रहे तो उनकी एकेडमिक डेथ हो जाएगी। करियर तभी बढ़ेगा जब लगातार एकेडमिक अचीवमेंट हो।

DrKumar Gauravकहते हैं कि मित्र ललन आपको इस विषय पर विस्तार से लिखना चाहिए|

डॉ. रवि प्रकाश सिंह- डॉ. ललन कुमार जी आपकी सत्यनिष्ठा एवं कर्तव्यनिष्ठा को बारम्बार प्रणाम है। आपकी सोच अगर ऐसे शिक्षकों का हृदय परिवर्तन कर सके जो कक्षा में पढ़ाने जाना ही नही चाहते, तो आपका यह त्याग सार्थक हो जाएगा। शिक्षा जगत में आज छात्र और शिक्षक दोनों ही अपराधी की तरह दिखाई पड़ रहे हैं। छात्र पढ़ने आना नही चाह रहा और शिक्षक पढ़ाने नही जाना चाह रहा।